धारः किले व महल को मिलेगा नया स्वरूप, शहरवासियो को मिलेगी नई सौगात


धार शहर के धार किला और अमझेरा के महल को संवारने के लिए प्रदेश सरकार ने 30 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। इसके तहत 20 करोड़ रुपये से किले और 10 करोड़ रुपये से महल को संवारना प्रस्तावित है। कार्ययोजना बनाने के लिए जिला प्रशासन के पास 30 दिन का समय है। ऐसे में जिला प्रशासन बिना देर किए कार्ययोजना बनाने में जुट गया है।


आशीष यादव
धार Published On :
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– धार किले और अमझेरा के महल के क्षरण को बचाने के लिए केंद्र ने दिया फंड।

धार। अब धार किला भी प्रदेश भर में अपनी अलग पहचान से जाना जायेगा। बता दें कि धार के किले को संवारने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है क्योकि किला परिसर में पुरातत्व विभाग ने मैपिंग का काम शुरू कर दिया है।

अपने साजो-सामान के साथ पहुंची पुरातत्व विभाग की टीम ने मैपिंग के जरिये यह तय किया कि कहां क्या बनना है। किले के दूसरी तरफ जर्जर हिस्से की जुड़ाई का काम भी किया जा रहा है।

कलेक्टर आलोक कुमार सिंह ने किला पहुंचकर व्यवस्थाएं देखीं और कहा कि पुरातत्व विभाग के साथ आर्किटेक्ट को भी बुलाया है। पहले किले के मैंटेनेंस पर जोर देंगे। साथ ही किले के अंदर वॉक-वे, गार्डन सहित पर्यटकों के लिए जरूरी व्यवस्थाएं जुटाएंगे।

दरअसल, 15वें वित्त आयोग से केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार को स्मारकों, ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण और विकास कार्य के लिए करीब 110 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं।

संग्रहालयों की देखरेख और उनके निर्माण आदि के लिए 70 करोड़ रुपये मिले हैं। इसमें धार शहर के धार किला और अमझेरा के महल को संवारने के लिए प्रदेश सरकार ने 30 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं।

इसके तहत 20 करोड़ रुपये से किले और 10 करोड़ रुपये से महल को संवारना प्रस्तावित है। कार्ययोजना बनाने के लिए जिला प्रशासन के पास 30 दिन का समय है। ऐसे में जिला प्रशासन बिना देर किए कार्ययोजना बनाने में जुट गया है। कलेक्टर के अनुसार 15 दिन में प्लानिंग कर शासन को भेज दी जाएगी।

300 मीटर की परिधि में 555 मकान, जिन्हें हटाने से किले को दूर से देख सकेंगे पर्यटक –

किले को संवारने के लिए जिला प्रशासन 20 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। इसमें सबसे बड़ा पेंच अतिक्रमण का फंस रहा है।

पुरातत्व विभाग के संग्रहाध्यक्ष देवी प्रसाद पांडे बताते हैं कि सन 1999 में निकले सर्कुलर के अनुसार किले की 300 मीटर की परिधि में कोई भी निर्माण नहीं किया जा सकता। विशेष परिस्थिति में कमिश्नर 100 मीटर के बाहर निर्माण की अनुमति देंगे।

दो साल पहले नगर पालिका ने सर्वे किया था जिसमें किले की 300 मीटर की परिधि में बने 555 मकानों को चिह्नित किया था। हाईकोर्ट ने इन मकानों को हटाने के आदेश दिए थे। इसके साथ ही अतिक्रमण तोड़ने का प्रकरण वर्तमान में कलेक्टर कोर्ट में लंबित है।

किले के आसपास अतिक्रमण तोड़ने का अधिकार कलेक्टर को है। चूंकि किला परमारकालीन है। उस दौर में किले को दूर से देखा जा सकता था। ऐसे में वर्तमान में जिला प्रशासन यहां से अतिक्रमण हटाता है तो दूर से ही किले की सौंदर्यता निहारी जा सकेगी।

प्रतीकात्मक रूप से हिंदू धर्म के धार्मिक चिह्न लगे हैं –

इस रानी महल में किसी समय 40 फीट ऊंची हल्दू लकड़ी पर कांच की नक्काशी से पूरा महल निर्मित था। महल में प्रतीकात्मक रूप से हिंदू धर्म के धार्मिक चिह्न महल के छज्जे पर लगे हुए हैं। किले के मुख्य द्वार एवं चारदीवारियों के अंदर की ओर मराठा शैली के मांडने और भित्ति चित्र बने हुए हैं।

किले का इतिहास –

खरबूजा महल में हुआ था बाजीराव पेशवा द्वितीय का जन्म। किले की चारदीवारी और खरबूजा महल केंद्रीय पुरातत्व विभाग के पास है। पूर्व जेल, गुफाएं, रानी का शीश महल राज्य पुरातत्व विभाग के अधीन है।

पंवार शासकों ने 1732 ईसवीं में किले पर आधिपत्य किया था। बताया जाता है कि एक गुफा के रास्ते का उपयोग गढ़ कालिका मंदिर की सुरक्षा के लिए सैनिक करते थे। एक गुफा उज्जैन भतृहरि में निकलती है और एक अन्य गुफा मांडू की ओर जाती है।


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