भाजपा जिलाध्यक्ष का चयन: धार में मची खींचतान और चुनौतियां


धार में भाजपा जिलाध्यक्ष चयन को लेकर खींचतान जारी। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए दो जिलाध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा। जानें संभावित नाम और चुनौतियां।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :

भारतीय जनता पार्टी के धार जिलाध्यक्ष के चयन को लेकर खींचतान जारी है। बड़े नेताओं के बीच सहमति नहीं बनने से सूची अब तक जारी नहीं हो पाई है। सूत्रों के अनुसार, इस बार पार्टी धार जिले में दो जिलाध्यक्षों की नियुक्ति कर सकती है—एक शहरी और दूसरा ग्रामीण क्षेत्र के लिए।

शहरी और ग्रामीण जिलाध्यक्ष के संभावित नाम
धार शहरी जिलाध्यक्ष के लिए प्रकाश धाकड़ और विश्वास पांडे का नाम प्रमुख दावेदारों में शामिल है। हालांकि, बदनावर से बड़े नेताओं की नाराज़गी के कारण इस चयन प्रक्रिया में देरी हो रही है। बदनावर क्षेत्र से शेखर यादव के नाम की भी चर्चा है, जिससे धार के शहरी और ग्रामीण नेतृत्व में संतुलन बनाए रखने की कोशिश की जा रही है। वहीं, ग्रामीण जिलाध्यक्ष पद के लिए जयदीप पटेल और वीरेंद्र बघेल के नाम सामने आए हैं। जयदीप पटेल को रंजना बघेल का समर्थन प्राप्त है, जबकि वीरेंद्र बघेल भी अपनी दावेदारी मजबूत बनाए हुए हैं।

पैराशूट एंट्री का डर
पार्टी के भीतर कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर नाराज़गी है कि कहीं बाहरी व्यक्ति को जिलाध्यक्ष पद पर न बैठा दिया जाए। कार्यकर्ताओं का कहना है कि जो नेता वर्षों से पार्टी के लिए मेहनत कर रहे हैं, उन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए। विश्वास पांडे जैसे वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का नाम इस चर्चा में प्रमुखता से लिया जा रहा है।

जिला विभाजन की मांग
धार जिला भौगोलिक रूप से बड़ा है, और इसे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में विभाजित करने की मांग लंबे समय से की जा रही है। कांग्रेस ने पहले ही यह प्रयोग किया है, और अब भाजपा भी इसी दिशा में बढ़ती दिख रही है। शहरी और ग्रामीण जिलाध्यक्षों की नियुक्ति से संगठन को अधिक व्यवस्थित और प्रभावी बनाने की योजना है।

महिला नेतृत्व की संभावना
सूत्र बताते हैं कि पार्टी इस बार किसी महिला नेत्री को भी जिलाध्यक्ष पद पर मौका दे सकती है। इससे संगठन में विविधता और संतुलन लाने की कोशिश की जाएगी।

संगठन के सामने चुनौतियां
बढ़ती दावेदारी और आंतरिक खींचतान के कारण धार जिलाध्यक्ष के चयन में देरी हो रही है। कई नाम भोपाल से लेकर दिल्ली तक चर्चा में हैं, जिससे पार्टी नेतृत्व के लिए फैसला लेना चुनौतीपूर्ण बन गया है। इस चयन प्रक्रिया में संगठन के सामने सामंजस्य बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी है।

भाजपा संगठन में बदलाव की तैयारी
सभी अटकलों के बीच यह देखना होगा कि भाजपा नेतृत्व किसे जिलाध्यक्ष के रूप में चुनता है और इस चयन से संगठन को कितना लाभ होता है। धार में यह निर्णय संगठन के भविष्य और आगामी चुनावों के लिए अहम साबित हो सकता है।