पीथमपुर में जलेगा यूनियन कार्बाइड का कचरा, हजारों लोगों को सता रहा है जान का खतरा


भोपाल गैस त्रासदी के 337 टन जहरीले कचरे को पीथमपुर के रामकी प्लांट में जलाने की योजना ने ग्रामीणों में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। तारपुरा और आसपास के गांवों में पहले से ही प्रदूषित पानी और बंजर होती जमीन ने लोगों का जीवन मुश्किल बना दिया है।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :
रामकी के इसी प्लांट में जलाया जाना है भोपाल गैस त्रासदी का शेष कचरा
पीथमपुर में रामकी का प्लांट


भोपाल गैस त्रासदी के 40 वर्षों बाद इसका जहरीला कचरा एक बार फिर चर्चा में है। इस कचरे के निपटान के लिए पीथमपुर के रामकी प्लांट में जलाने की तैयारियों ने ग्रामीणों में भय और आक्रोश का माहौल पैदा कर दिया है। यह प्लांट धार जिले के तारपुरा गांव के समीप स्थित है, जहां पहले से ही जल और भूमि प्रदूषण गंभीर समस्या बनी हुई है।

तारपुरा गांव, जहां एक समय पांच पंचायतों के लोग कुएं के पानी का उपयोग करते थे, आज प्रदूषण के कारण यहां का पानी जानवरों के भी पीने योग्य नहीं रहा। गांव में फैले प्रदूषण से खेत बंजर हो चुके हैं, बच्चों और वयस्कों को जलजनित बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा यहां जलाया गया तो स्थिति और भी विकराल हो जाएगी। ग्रामीणों का आरोप है कि पानी की गुणवत्ता इतनी खराब हो चुकी है कि यह बदबूदार और अजीब रंग का हो गया है। स्थानीय लोगों के अनुसार, प्रदूषण से कैंसर और त्वचा रोग जैसी घातक बीमारियां फैल रही हैं।

कचरा जलाने का आदेश और विरोध

जबलपुर हाईकोर्ट ने यूनियन कार्बाइड के 337 टन खतरनाक कचरे के निपटान के लिए आदेश जारी किया है। इस कचरे को पीथमपुर के रामकी प्लांट में जलाने की योजना बनाई गई है, जिसके लिए केंद्र सरकार ने 126 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। लेकिन इस निर्णय के खिलाफ पीथमपुर और आसपास के 50 गांवों में विरोध तेज हो गया है।

पीथमपुर बचाओ समिति और कई सामाजिक संगठनों ने भोपाल से लेकर धार तक प्रदर्शन किया है। समिति के अध्यक्ष डॉ. हेमंत हिरोले ने कहा कि यदि कचरे को जलाने की प्रक्रिया नहीं रोकी गई, तो इसे लेकर भोपाल और दिल्ली में भी प्रदर्शन किया जाएगा।

कचरे के दुष्प्रभाव और संभावित खतरे

विशेषज्ञों का कहना है कि कचरे के जलने से डाइऑक्सिन और फुरान जैसे जहरीले रसायन हवा में फैल सकते हैं, जिससे हवा और पानी और अधिक प्रदूषित होंगे। रामकी प्लांट जिस स्थान पर स्थित है, वह क्षेत्र यशवंत सागर का कैचमेंट एरिया है। यह इंदौर और धार के लिए जल आपूर्ति का प्रमुख स्रोत है। ऐसे में यह निर्णय लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित कर सकता है।

प्रशासन की तैयारियां और ग्रामीणों का रोष

प्रशासन ने भोपाल से पीथमपुर तक सुरक्षा कॉरिडोर बनाकर कचरा लाने की योजना बनाई है। इसके लिए पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीमें तैनात की जा रही हैं। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें इस निर्णय में शामिल नहीं किया गया। उनका आरोप है कि सरकार और प्रशासन ने स्थानीय लोगों की राय लिए बिना ही यह फैसला किया।

ग्रामीणों की मांग

तारपुरा के लोगों ने सरकार से साफ कहा है कि यदि यह कचरा जलाया गया, तो पहले उन्हें इच्छामृत्यु दी जाए। उनका कहना है कि जल और भूमि पहले ही जहरीले हो चुके हैं, और यह कचरा जलाने से उनकी जिंदगियां और भी बदतर हो जाएंगी।

  1.  कचरे को पीथमपुर में जलाने की प्रक्रिया को तुरंत रोका जाए।
  2. ग्रामीणों को प्रदूषण के लिए मुआवजा और साफ पानी उपलब्ध कराया जाए।
  3. सरकार स्थानीय लोगों को निर्णय प्रक्रिया में शामिल करे।

 

 

हम पीथमपुर की जनता के साथ खड़े हैं। हम इस कचरे को पीथमपुर में नही जलने देने का प्रस्ताव ला चुके है। जिसे सर्वसम्मती से पास किया जा चुका है। कचरे में कई जहरीली गैस होने की सम्भावनाए है जो जरा सी गलती से फेल सकती है।
सेवंती सुरेश पटेल अध्यक्ष नपा पीथमपुर

सरकार कचरा जलाए उससे पहले हमें 2500 परिवारों को इच्छामृत्यु दें। हमारे जिंदा रहते इस कचरे को नही जलने ने दिया जाएगा। इस कचरे से त्वचा रोग और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा है। रामकी कम्पनी के कचरे से खेती उपजाउ और पानी पीने योग्य नही बचा है।
बाबू दसाना, रहवासी तारपुरा

 

जन प्रतिनिधियों की चुप्पी पर नाराजगी

ग्रामीण नेताओं और सामाजिक संगठनों ने केंद्रीय मंत्री और स्थानीय विधायकों की चुप्पी पर भी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि चुनाव के समय सक्रिय रहने वाले ये नेता अब चुप क्यों हैं। लोगों ने कहा कि भोपाल गैस त्रासदी का यह जहरीला कचरा न केवल पर्यावरण के लिए, बल्कि लाखों लोगों के जीवन के लिए भी गंभीर खतरा है। ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों का यह विरोध उनकी बुनियादी सुरक्षा और स्वास्थ्य के अधिकार की लड़ाई है। सरकार और प्रशासन को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार कर लोगों की राय लेकर समाधान निकालना चाहिए।

हम कचरे को जलने नही देंगे। इस के बदले हमे जो कीमत चुकानी पड़े हम तैयार हैं। जिस कचरे को जर्मनी, गुजरात जैसे देश प्रदेश मना कर चुके है उसे पीथमपुर में नही जलने नही दिया जााना चाहिए। प्रशासन कोर्ट में जानबूझकर मजबूती से अपना मजबूती से नहीं रख रहा है।
डॉ. हेमंत हिरोले, अध्यक्ष, पीथमपुर बचाओ समिति



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