भोपाल से पीथमपुर तक जहरीले कचरे का सफर: विरोध और सुरक्षा के बीच बड़ी चुनौती


भोपाल गैस त्रासदी के 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को पीथमपुर ले जाने पर स्थानीय लोगों का विरोध। ग्रीन कॉरिडोर के जरिए कंटेनरों में कचरा पहुंचा, 3 जनवरी को पीथमपुर बंद का आह्वान।


आशीष यादव
धार Published On :

भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के गोदाम में रखे गए 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को जलाने के लिए पीथमपुर ले जाने की प्रक्रिया मंगलवार से शुरू हो गई। इस कचरे को विशेष कंटेनरों में भरकर 250 किलोमीटर लंबे ग्रीन कॉरिडोर के जरिए ले जाया जाएगा। लेकिन इस प्रक्रिया के खिलाफ स्थानीय निवासियों और संगठनों ने विरोध तेज कर दिया है।

कैसे हो रहा कचरे का परिवहन?

12 में से 8 कंटेनरों में जहरीला कचरा भरकर तैयार किया जा चुका है, जबकि बाकी कंटेनरों में बुधवार को भरने का काम पूरा किया जाएगा। प्रत्येक कंटेनर में लगभग 30 टन कचरा भरा जा रहा है। यह कचरा विशेष प्रकार के जंबू बैग में भरा गया है, जिसमें मिट्टी, सेविन और नेफ्थॉल जैसे रसायनों के अवशेष शामिल हैं। भोपाल से पीथमपुर तक पहुंचाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है, जहां रास्ते में ट्रैफिक रोक दिया जाएगा।

मजदूरों की शिफ्ट:

जहरीला कचरा भरने के दौरान मजदूरों की 30-30 मिनट की शिफ्ट लगाई गई है। उन्हें पीपीई किट और दस्ताने पहनाए गए हैं।

वीडियोग्राफी: पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी हो रही है।

पुलिस बल: यूनियन कार्बाइड परिसर में 100 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। 200 मीटर के दायरे को सील कर दिया गया है।

पीथमपुर में विरोध का माहौल

कचरे को पीथमपुर स्थित रामकी एनवायरोफैक्ट्री में जलाने की योजना है। इसके लिए पहले चरण में 37 मीट्रिक टन कचरा 1200 डिग्री सेल्सियस तापमान पर जलाया जाएगा। इस प्रक्रिया का परीक्षण भी किया जाएगा। लेकिन स्थानीय निवासियों और संगठनों का कहना है कि यह क्षेत्र के लिए गंभीर खतरा पैदा करेगा।

3 जनवरी को पीथमपुर बंद:

10 से अधिक संगठनों ने 3 जनवरी को बंद का आह्वान किया है। “पीथमपुर बचाओ समिति” और अन्य संगठनों ने कचरे को अमेरिका भेजने की मांग की है। उनका कहना है कि भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ित पहले ही इसका खामियाजा भुगत चुके हैं, अब पीथमपुर को खतरे में डालना अनुचित है।

भोपाल गैस कांड की भयावहता

3 दिसंबर 1984 को हुए भोपाल गैस कांड में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव ने हजारों लोगों की जान ले ली थी। आज भी इसके प्रभाव से लाखों लोग पीड़ित हैं। यह जहरीला कचरा उसी त्रासदी की याद दिलाता है, जिससे निपटने में तीन दशकों से अधिक का समय लग गया।

क्या कहते हैं अधिकारी?

अधिकारियों के मुताबिक, यह प्रक्रिया पूरी तरह से सुरक्षा गाइडलाइंस के तहत की जा रही है। हर कंटेनर का वजन भोपाल और पीथमपुर दोनों जगह जांचा जाएगा। यदि परीक्षण सफल रहता है, तो आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

 


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