भोजशाला में पुरातत्व विभाग (एएसआई) की टीम का सर्वे तीसरे दिन शुरू हो चुका है। रविवार को सुबह आठ बजे टीम मौके पर पहुंचे। इस दौरान हिन्दू और मुस्लिम पक्ष के सदस्य भी उनके साथ मौके पर हैं। इनमें हिन्दू पक्ष की ओर से पक्षकार रहे आशीष गोयल, गोपाल शर्मा और मुस्लिम पक्ष की ओऱ से समद खान मौजूद हैं।
एएसआई के इस सर्वे में कुछ स्थानों का चयन किया गया है जिसने इर्द गिर्द अब खुदाई की जा रही है और भोजशाला में स्थित पुराने खंभे, शिलालेख आदि की उम्र का पता लगाया जा रहा है। इस बीच मुस्लिम पक्ष ने कहा है कि साल 2003 के बाद भी यहां कई परिवर्तन हुए हैं उन्हें सर्वे में शामिल न किया जाए। इसके अलावा उनका कहना है कि जो भी सर्वे रिपोर्ट में दर्ज हो उसकी जानकारी स्पष्ट रूप से दर्ज होनी चाहिए। मुस्लिम पक्ष को एएसआई की टीम के द्वारा किए जा रही कवायद पर भी आपत्ति है। सदर कमेटी के अब्दुल समद का कहना है कि मुस्लिम पक्ष की ओर से केवल वे हैं और ऐसे में एएसआई की तीन टीमों के साथ वे कैसे अलग-अलग स्थानों पर मौजूद रहकर काम देख सकते हैं। समद का कहना है कि पहले दिन जो सर्वे हुआ था उसे रद्द किया जाए क्योंकि उस दिन मुस्लिम पक्ष मौके पर मौजूद नहीं था।
वहीं इस मामले में मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को हिन्दू पक्ष के द्वारा खारिज किया जा रहा है। उनका कहना है कि इस तरह की आपत्ति भ्रामक है और यह हिन्दू समाज को भ्रमित करने की कोशिश है। हिन्दू समाज के प्रतिनिधि सुमित चौधरी ने बताया कि आरोप लगाए जा रहे हैं कि भोजशाला के अंदर काफी सामान ले जाया जा रहा है जिससे जांच प्रभावित हो सकती है जो कि बेबुनियाद आरोप हैं। उन्होंने कहा कि भोजशाला के अंदर और बाहर सुरक्षा है, कैमरे लगे हैं ऐसे में कोई सामान अंदर ले जाना संभव ही नहीं है।
इससे पहले…
भोजशाला के सर्वे के लिए दूसरे दिन शनिवार को टीम 8 बजे मौका स्थल पर पहुंची। यह टीम अपने साथ कुछ कर्मचारियों को लेकर अंदर गई। इस टीम ने मीडिया से कोई बात नहीं की।
मध्य प्रदेश के धार जिले में विवादास्पद भोजशाला, कमाल मौला मस्जिद परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा किया जा रहा सर्वेक्षण शनिवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। शनिवार सुबह करीब आठ बजे एएसआई की एक टीम परिसर में पहुंची। एएसआई टीम के साथ पुलिस और स्थानीय प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी भी थे।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के बाद शुरू हुए इस सर्वे के बारे में काफी चर्चा है। इसे वाराणासी की ज्ञानवापी मस्जिद मामले की तरह देखा जा रहा है, जो फिलहाल चर्चाओं में है। यही वजह है कि इस जगह पर खासी सुरक्षा बरती जा रही है। परिसर के बाहर और अंदर काफी सुरक्षाकर्मी मौजूद हैं।
इस सर्वे के दौरान हिंदू पक्ष के वकील व आशीष गोयल और गोपाल शर्मा भी भोजशाला परिसर पहुंचे। अदालत में पक्षकारों में से एक, कमाल मौला मस्जिद कल्याण सोसायटी के अध्यक्ष अब्दुल समद ने कहा कि उन्होंने इस प्रक्रिया में भाग नहीं लिया क्योंकि उनकी तबियत ठीक नहीं थी और उन्हें इस बारे में देर से जानकारी मिली। उन्होंने कहा, ‘‘हम उच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं। अगर संविधान के दायरे में और उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करते हुए सर्वेक्षण कराया जाए तो इसमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इसमें नए मुद्दे पैदा हो रहे हैं।
मुस्लिम पक्ष ने तत्काल सुनवाई के लिए 16 मार्च को उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया, लेकिन शीर्ष अदालत ने कहा कि वह एक अप्रैल को मामले की सुनवाई करेगी। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने 11 मार्च को एएसआई को धार जिले के विवादास्पद भोजशाला परिसर का छह सप्ताह के भीतर वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया। हिंदू पक्ष एएसआई के संरक्षित ऐतिहासिक भोजशाला परिसर को वागदेवी (सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम समुदाय इसे कमाल मौला की मस्जिद बताता है।एएसआई के सात अप्रैल 2003 को जारी एक आदेश के तहत हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है जबकि मुसलमानों को हर शुक्रवार को इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है।
3 स्थानों पर कार्बन कोडिंग की:
भोजशाला में सर्वे कर रही एएसआई की टीम ने यहां कुछ स्थान चिन्हित किए हैं। टीम चिह्नित 3 स्थानों में से एक में अभी जांच में जुटी है। यहां मौजूद स्तंभों पर बने चित्रों की सही उम्र पता करने के लिए इनकी कार्बन कोडिंग हो रही है। परिसर के भीतर स्तंभों की गिनती और शिलालेख, जिस पर सनातनी लिपि में देव नाम दर्ज होने का दावा किया जा रहा है, उनका भी टीम बारीकी से निरीक्षण कर रही है। टीम दोपहर में लंच के बाद टीम फिर पहुँचे ओर सर्वे टीम द्वारा बाजार से गेती व तगारी बुलवाई गई बता देकि अंदर अब खुदाई काम चलेगा
इस दौरान उत्खनन और सर्वे की वीडियोग्राफी कराई जा रही है। परिसर के सभी बंद पड़े कमरों, खुले परिसर और सभी खम्बों का विस्तार से सर्वे होगा। उत्खनन सर्वे की रिपोर्ट 2 महीने में प्रस्तुत करने के आदेश है। टीम ने भोजशाला के पिछले हिस्से में चिह्नित 3 स्थानों को कवर किया। दीवार से सटी मिट्टी को करीब 6 इंच तक हटाकर जांच कर रहे हैं। जो खुदाई के दौरान किया मिला इसकी पुष्टि नही है।
इन बिन्दुओ पर सर्वे:
- भोजशाला के पूरे परिसर का सर्वे और उत्खनन वैज्ञानिक पद्धति से होगा।
- उत्खनन और सर्वे GPS GPR तकनीक के साथ कार्बन डेटिंग व अन्य नई तकनीक से करने का आदेश।
- भोजशाला परिसर की बाउंड्रीवाल से 50 मीटर की दूरी तक सर्वे किया जाएगा।
- ASI के वरिष्ठ अधिकारियों की कमेटी की निगरानी में सर्वे होगा।
- उत्खनन और सर्वे की वीडियोग्राफी कराई जाएगी।
- परिसर के सभी बंद पड़े कमरों, खुले परिसर और सभी खम्बों का विस्तार से सर्वे होगा।