धार। जिले की पर्यटन नगरी मांडू में मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड के माध्यम से पर्यटकों के आकर्षण के लिए सोवेनियर यानी प्रतीक चिन्ह विकास के लिए डिजाइन डेवलपमेंट वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है।
वस्त्र मंत्रालय के हस्तशिल्प विकास आयुक्त के वित्तीय सहयोग से मांडू के ग्राम कनड़ीपुरा में बांस शिल्प और काष्ठ शिल्प की पारंपरिक शिल्प कला को प्रतीक चिन्ह के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से 2 माह की अवधि का यह डिजाइन डेवलपमेंट प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला ने इसके लिए पहल की है। बता दें कि ग्राम कनड़ीपुरा सहित आसपास के आदिवासी क्षेत्र के युवा व अनुभवी शिल्पी इसमें प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
खासकर इन प्रशिक्षणार्थियों को बैलगाड़ी से लेकर बांस और लकड़ी से बहुत ही सुंदर सामग्री बनाना सिखाने का दौर शुरू कर दिया गया है। शुरूआती पखवाड़ा में ही प्रशिक्षणार्थियों ने शानदार सामग्री तैयार की है।
मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड के माध्यम से यह आदिवासी अंचल के लिए लोगों के लिए महत्वपूर्ण पहल की गई है। इससे उनको रोजगार मिलेगा। साथ ही पर्यटकों को यहां आने पर प्रतीक चिन्ह के तौर पर अपने साथ सामग्री ले जाने का भी अवसर मिलेगा।
इससे मांडू की यादें उनके मन में बसी रहेगी। ऐसे में पर्यटक यहां बार-बार आने के लिए प्रेरित होगा। साथ ही आर्थिक रूप से हस्तशिल्प कलाकार आत्मनिर्भर होकर मजबूत होंगे।
यह प्रशिक्षण दो माह तक जारी रहेगा जिसका प्रशिक्षणार्थियों को लंबे समय तक लाभ मिलेगा। इसमें ऐसे शिल्पकारों को चयनित किया गया है जो अपने घरों और गांव के छोटे-मोटे काम करते हैं।
अब उन्हें बाजार की मांग अनुसार ऐसे समान बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है जो पर्यटकों के आकर्षण के लिए मांडू की पहचान के रूप में कलाकृतियां बनाएंगे।