शहर के ‘राजा’ के सामने माथा टेकने के बाद ही कलेक्टर-एसपी लेते हैं ज्वाइनिंग


धार से जाने वाले अधिकारी भी भगवान धारनाथ को नमन करने के बाद ही यहां से रवाना होते है।


आशीष यादव
धार Published On :

धार। धारेश्वर मार्ग स्थित भगवान धारनाथ मंदिर का निर्माण राजा भोज के समय हुआ था। इस मंदिर की स्थापना स्वयं राजा भोज ने करवाई थी। राजा भोज रोजाना इस मंदिर में दर्शन करने आते थे।

राजा भोज भगवान धारनाथ को धार का महाराजा मानते थे और स्वयं उनका प्रतिनिधि बनकर न्याय करते थे। राजा भोज के समय से ही भगवान धारनाथ की सवारी निकाली जाती है। सोमवार 6 सितंबर को शाम 4 बजे धारनाथ पालकी पर बैठकर भक्तों का हाल जानने के लिए निकलेंगे।

इस शहर के ‘राजा’ के सामने मत्था टेकने के बाद ही कलेक्टर-एसपी लेते हैं ज्वाइनिंग ऐसी मान्यता है कि भगवान धारनाथ की आज्ञा के बिना यहां कुछ नहीं होता है। धार में जब भी कोई नया कलेक्टर या एसपी धार में ट्रांसफर होकर आता है तो अपनी ज्वाइनिंग से पहले धारेश्वर भगवान के मंदिर में मत्था टेककर ही अपना कार्यभार संभालता है।

धार से जाने वाले अधिकारी भी भगवान धारनाथ को नमन करने के बाद ही यहां से रवाना होते है। माना जाता है कि ये धार के राजा है और प्रजा का हाल जानने के लिए वर्ष में एक बार नगर भ्रमण पर निकलते है। यह परंपरा राजा भोज के समय से चली आ रही है। प्राचीनकाल में राजा खुद इस पालकी यात्रा में पैदल चलते थे।

माझी समाज के युवा उठाएंगे पालकी:

इस वर्ष भी धारनाथ बाबा धार महाराज की शाही पालकी में विराजीत होकर 6 सितंबर को शाम 4 बजे मांझी समाज के युवाओं द्वारा नंगे पैर कंधे पर उठाकर धारेश्वर महादेव मंदिर पुजारी के पूजा पाठ पश्चात निकलेगे।

वहीं समाज के गणेश खेर में बताया कि कोरोना नियम को देखते हुए सभी सुविधाएं साथ मे लेकर पालकी उठाए जायेगी नियमो का पालन करेंगे प्रशासन के नियमो का पालन किया जायेगा।

आयोजन में सुरक्षा का विशेष ध्यान रखेंगे:
पिछले साल कोरोना के कारण नियमो के तहत नगर बाबा को नगर भृमण कराया था।

इस बार भी नियमों को ध्यान में रखकर ही कार्यक्रम तय होगे वही धर्म मंडल महामंत्री नवनीत जैन ने बताया कि आयोजन में आम जनमानस की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाएगा।

जिसके लिए समिति प्रशासनिक अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर आयोजन को संपन्न किया जाएगा। धारनाथ बाबा का छबीना धर्म रक्षक मण्डल धार के तत्वाधान में मांझी समाज के युवाओं द्वारा कंधे पर पालकी उठाकर परम्परागत मार्ग से नगर भ्रमण कराया जाएगा ।

सार्वजनिक स्थलों मच नहीं लगाए जायेगा न ही कोई धार्मिक जुलुस या रैली निकाली जाएगी । साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी प्रकार की मूर्ति , झांकी , मंच आदि स्थापित नहीं किये जाएंगे।

स्थलों पर कोविड -19 के संक्रमण से बचाव के लिए एक स्थान पर एक से अधिक व्यक्ति इकट्ठे न हो । साथ ही उपासना स्थलों पर फेस कवर , सेनेटाईजर एवं सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों का कडाई से पालन किया जाना सुनिश्चित किया जाए ।

 


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