मनरेगा के कामों की ई – एमबी लागू होने से इंजीनियरों की जवाबदेही तय, चार साल बाद लागू यह व्यवस्था 


इंजीनियरों को 15 जुलाई से निर्माण कार्यों की मूल्यांकन रिपोर्ट ऑनलाइन करनी होगी और इसके बाद ही होगा भुगतान


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :

महात्मा गांधी रोजगार गारंटी एक्ट (मनरेगा) में होने वाले घपलों को रोकने के लिए 15 जुलाई से ई-एमबी व्यवस्था लागू हो रही है, इसके तहत इंजीनियरों द्वारा निर्माण कार्यों के मूल्यांकन के दौरान एमबी (मेजरमेंट बुक) यानि माप पुस्तिका में की जाने वाली एंट्री अब ऑनलाइन करनी होगी, इससे पहली बार इंजीनियरों की भी जवाबदेही तय हो पाएगी।

अभी जब भी कोई घपला होता है तो इसकी गाज रोजगार सहायक (सहायक सचिव), सचिव और सरपंच पर गिरती है, इसलिए इनकी ओर से ही सबसे ज्यादा मांग की जा रही थी कि यह व्यवस्था लागू की जाए।

दरअसल मप्र मनरेगा परिषद ने 2021 में ही इस व्यवस्था को लागू करने के निर्देश दिए थे। 2022 में पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग ने दोबारा आदेश जारी किए, इसमें उल्लेख किया गया था कि मप्र के 6 जिलों में इस पर काम भी होने लगा है।  2022 में ही मनरेगा पोर्टल में ई-एमबी के माध्यम से जनपद व ग्राम पंचायत स्तर मेजरमेंट बुक एंट्री का ऑप्शन यानि विकल्प दे दिया गया था।

2018 से ही चल रही थी प्रक्रिया:

ऑनलाइन मेजरमेंट बुक की व्यवस्था को लेकर 2018 से ही काम चल रहा था। नरेगा परिषद ने 2021 में इसे लागू करने के आदेश जारी किए। जुलाई 2022 में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने भी आदेश जारी किए। तब से ही सॉफ्टवेयर के मस्टर रोल ऑप्शन में मेजरमेंट बुक एंट्री का प्रावधान हो गया था।

बताया गया था कि 2021 से ही बड़वानी, बैतूल, छतरपुर, इंदौर, जबलपुर, भोपाल और खंडवा में एंट्री की जाने लगी थी। विभाग ने इस पर भी नाराजगी जाहिर की थी कि बाकी जिलों में ऐसा काम नहीं हो रहा है। विभाग ने तभी यह आदेश दिए कि मनरेगा के तहत होने वाले सभी सामुदायिक व अन्य कामों का साप्ताहिक मूल्यांकन ऑनलाइन होगा। इसमें 50 हजार या इससे कम लागत वाले कामों को छोड़ा गया है। जैसे घरेलू शौचालय, सोक पिट, नाडेप , प्रधानमंत्री आवास मजदूरी आदि।

अब ई-एमबी से यह होगा फायदा:

कार्यों के मूल्यांकन उपरांत नरेगा साफ्ट में e-MB की प्रविष्टि के आधार पर वेज लिस्ट के माध्यम से मजदूरी भुगतान तथा e-MB में दर्ज सामग्री राशि के आधार पर सामग्री भुगतान के देयकों की प्रविष्टि को ही मान्य किया जायेगा।

ई-एमबी व्यवस्था से इंजीनियरों की जवाबदेही तय हो जाएगी। उन्हें 7 दिन के भीतर मूल्यांकन करके अपनी एमबी अपलोड करना ही होगी। इसके बाद ही भुगतान हो पाएगा। ऑनलाइन व्यवस्था के कारण वे तारीखों में हेराफेरी नहीं कर पाएंगे। दूसरी ओर इस एमबी को मनरेगा पोर्टल पर कोई भी देख सकेगा। ऐसे में एमबी के जरिए मौके पर हुए काम और भुगतान के बीच के अंतर को कोई भी देख सकेगा।

योजना में अभी इस तरह हो रहे कार्य:

मनरेगा के तहत होने वाले कामों का मूल्यांकन 7 दिन में करना होता है। इंजीनियर अपनी एमबी में दर्ज करता है कि मौके पर कितना काम हुआ। उसके आधार पर कितना भुगतान किया जाना चाहिए। ऑफलाइन मूल्यांकन वाली वर्तमान व्यवस्था में अक्सर इंजीनियर ऐसा नहीं करते।

दूसरी ओर सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक पर मजदूरी व अन्य भुगतान का दबाव बढ़ता जाता है। ऐसे में फर्जी कागजी खानापूर्ति से भुगतान किया जाता रहता है। ऐसे में होता यह है कि मौके पर काम कम होता है और भुगतान ज्यादा हो जाता है, इसमें इंजीनियर व सरपंच, सचिव व रोजगार सहायक, सभी को फायदा होता है, लेकिन जब कोई घपला पकड़ता है और जांच होती है तो इंजीनियर यह कहकर बच जाते है कि उन्होंने मूल्यांकन किया ही नही।

कई रोजगार सहायक  इसी तरह के घपलों में बर्खास्त हो चुके हैं। जबकि पंचायत सचिव चूंकि स्थाई कर्मचारी होने से वे सिर्फ सस्पेंड होते हैं। सरपंचों पर कार्रवाई की लंबी प्रक्रिया चलती है। इंजीनियर व अधिकारी बच जाते हैं।

शासन के आदेश का पालन करवाएंगे:

मनरेगा के कामों को लेकर शासन स्तर से ई – एमबी के आदेश आए है उसका पालन करवाया जाएगा ई एमबी लागू होने से इंजिनियरों को निर्माण कार्यों की मूल्यांकन रिपोर्ट ऑनलाइन करनी होगी इससे पारदर्शिता बढ़ेगी। विता झानिया सीईओ जिला पंचायत, धार



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