दो माह के बच्चे की समय पर इलाज नहीं मिलने से मौत


बच्चे के पिता की मांग: एम्बुलेंस चालक और संचालक पर हो कार्रवाई


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :

शासन ने जनता को सुविधा देने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर एंबुलेंस का संचालन किया है, लेकिन धार में सरकारी एंबुलेंस संचालकों की मनमानी के कारण मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। इस कारण मनावर के ग्राम पेटलावद के दो माह के बच्चे की इलाज के अभाव में मौत हो गई।

 

परिजन बच्चे को इलाज के लिए धार जिला अस्पताल ले जा रहे थे, लेकिन एंबुलेंस में प्रशिक्षित स्टाफ नहीं होने के कारण बच्चे को ऑक्सीजन सपोर्ट और चिकित्सा सुविधा नहीं मिल सकी। धार जिला अस्पताल पहुंचने से पहले ही बच्चे ने दम तोड़ दिया।

जिला अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पूरी लापरवाही एंबुलेंस स्टाफ की बताई जा रही है, जिन्होंने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाने के बजाय सीधे जिला अस्पताल पहुंचने का निर्णय लिया। अगर बच्चे को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाया जाता, तो शायद उसकी जान बच जाती।

 

लापरवाह लोग कर रहे हैं खुद का बचाव

 

एंबुलेंस का स्टाफ अपनी गलती से इनकार कर रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि जब बच्चे को धार लाया गया तो उसकी मौत एक से डेढ़ घंटे पहले ही हो चुकी थी। अगर बच्चे को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाया जाता तो उसे इलाज मिल सकता था।

पेटलावद गांव की एक महिला की 15 जून को प्रीमैच्योर डिलीवरी हुई थी, जिसमें जुड़वा बच्चों में से एक की जन्म के तुरंत बाद ही मौत हो गई थी। दूसरे बच्चे की तबीयत खराब होने पर एम्बुलेंस को सूचना दी गई, लेकिन जब वे बच्चे को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे, तो चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. मुकुंद बर्मन ने कहा कि बच्चे की मौत हो चुकी है। बच्चे के पिता ने आरोप लगाया कि अगर एंबुलेंस में ऑक्सीजन और उपचार मिलता तो बच्चा बच सकता था।

 

सरकारी एंबुलेंस में भ्रष्टाचार का खेल

 

सरकार ने जनता को सुविधा प्रदान करने के लिए एंबुलेंस की शुरुआत की, लेकिन इसमें भी भ्रष्टाचार हो रहा है। अगर समय रहते कलेक्टर इसकी जांच कराएं, तो एंबुलेंस के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आ सकता है। एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि धार में एंबुलेंस का ठेका एक व्यक्ति के पास है, जो परिचितों और दोस्तों के मोबाइल से फर्जी कॉल कर एंबुलेंस मंगवाता है और मरीज छोड़ने का फोन कर किलोमीटर बढ़ाता है।

अगर अभी तक जितने भी फोन मरीजों द्वारा एंबुलेंस बुलाने के लिए किए गए हैं, उनकी जांच की जाए तो अधिकांश नंबर निजी व्यक्तियों के होंगे। इस एंबुलेंस सेवा में भी भ्रष्टाचार की बू आने लगी है, जहां संचालक और ड्राइवर मिलकर फर्जी कॉल कर पेशेंट छोड़ने और लेने का काम कर रहे हैं।

 

कार्रवाई की जाएगी

 

सभी एंबुलेंस में ऑक्सीजन सहित आपात चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई है। मामले की पूरी जानकारी लेकर यदि एंबुलेंस स्टाफ की गलती पाई गई, तो कार्रवाई की जाएगी।.

डॉ. नरसिंह गहलोत, सीएमएचओ



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