प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में यूजी-पीजी की 975 सीटें खाली, लंबी प्रक्रिया के बाद भी प्रवेश अधूरा


तीन महीने चली इस प्रक्रिया में 5 राउंड हुए, फिर भी कई विषयों में सीटें पूरी नहीं हो सकीं।


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धार Published On :

प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में स्नातक (यूजी) और स्नातकोत्तर (पीजी) की प्रवेश प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है, लेकिन अभी भी 975 सीटें खाली रह गई हैं। तीन महीने चली इस प्रक्रिया में 5 राउंड हुए, फिर भी कई विषयों में सीटें पूरी नहीं हो सकीं। विभाग ने इन सीटों को भरने के लिए दो ऑनलाइन और तीन सीएलसी (कॉलेज लेवल काउंसलिंग) चरणों का आयोजन किया, लेकिन अपेक्षित परिणाम नहीं मिले। बीकॉम प्लेन जैसे कुछ प्रमुख विषयों में विशेष रूप से सीटें खाली रही हैं।

 

प्रवेश प्रक्रिया मई की शुरुआत में शुरू हुई थी। पहले दो चरणों में मेरिट आधारित प्रवेश हुआ, जिसमें टॉपर छात्रों ने अपने पसंदीदा कॉलेज और विषय चुन लिए। इसके बाद के तीन चरण सीएलसी के थे, जिसमें सीटों को भरने की कोशिश की गई। हालांकि, केवल कुछ विषयों में ही सीटें भर पाईं। विभाग अब चौथे सीएलसी चरण के लिए नया शेड्यूल जारी करेगा ताकि बचे हुए छात्रों को एक और मौका मिल सके।

 

धार पीएम महाराजा भोज कॉलेज में यूजी की 1350 और पीजी की 2970 सीटें थीं, लेकिन अभी भी अधिकांश सीटें खाली हैं। प्रवेश प्रक्रिया 1 मई से शुरू हुई और अगस्त तक चली, लेकिन फिर भी सीटें पूरी नहीं भरी जा सकीं। जुलाई से नया सत्र शुरू हो गया है, लेकिन छात्रों की संख्या अपेक्षा से कम रही है।

 

इस स्थिति के कारणों में 12वीं बोर्ड परीक्षा के कमजोर परिणाम और पूरक परीक्षाओं के बाद भी छात्रों की संख्या में अपेक्षित वृद्धि नहीं होना शामिल हैं। उच्च शिक्षा विभाग ने छूटे हुए छात्रों को एक और मौका देते हुए सीएलसी का चरण बढ़ाया है, जिसमें ऑनलाइन पंजीयन 2 से 5 अगस्त तक हुआ, और सत्यापन की प्रक्रिया भी साथ ही चली। 7 अगस्त को सीट अलॉटमेंट की सूची जारी हुई, लेकिन 10 अगस्त तक छात्रों द्वारा प्रवेश शुल्क जमा न करने के कारण सीटें खाली रह गईं।

 

प्रवेश प्रक्रिया की लंबाई और छात्रों की कम संख्या के कारण, सरकार द्वारा चलाया गया ‘कॉलेज चलो’ अभियान भी बेअसर साबित हो रहा है। अब विभाग को इस समस्या से निपटने के लिए और अधिक प्रभावी कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में इस तरह की स्थिति से बचा जा सके।



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