धार। जिले में शराब दुकानों को ऑनलाइन टेंडर के माध्यम से आवंटित किया जाएगा। इसके लिए ठेकेदारों द्वारा टेंडर प्रक्रिया में फॉर्म डाले गए हैं जिसको लेकर विभाग द्वारा तैयारी पूर्ण कर ली गई है।
सरकार के लिए चुनावी वर्ष होने के कारण ठेकेदार इसमें रुचि नहीं दिखा रहे हैं। हाल ही में चुनावी वर्ष होने से उमा भारती के मैदान में आने के बाद शराब अहाते बंद करने का निर्णय सरकार के गले की हड्डी बन गया था जिसको लेकर सरकार को अपनी नीति व रीति बदलनी पड़ी।
धार जिले की शराब दुकानों की रिन्युअल प्रक्रिया नहीं हो पाई जिसके कारण अब इनका निष्पादन टेंडर प्रक्रिया द्वारा किया जाना है। वित्तीय वर्ष 2023-24 को लेकर आबकारी विभाग द्वारा शराब दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
हालांकि इस मर्तबा दुकानों के प्रथम व दूसरे चरण को लेकर की गई आवंटन प्रक्रिया में किसी भी ठेकेदार द्वारा रुचि नहीं दिखाई गई। इसी कारण अभी तक दुकानों के ठेके नहीं हुए हैं जिसके बाद अब जिला समिति द्वारा निर्णय लिया गया है कि शराब दुकानों के बड़े समूह के बजाय ठेकेदार छोटे समूह के लिए टेंडर प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं।
इसको लेकर समूहों को तोड़कर छोटे रूप में विभाजित किया गया है। ऐसे में अब विभाग को उम्मीद है कि शराब दुकानों के लिए ठेकेदार टेंडर प्रक्रिया में शामिल होकर दुकानें लेंगे जिससे करोड़ों रुपये के राजस्व की विभाग को प्राप्ति होगी।
इसको लेकर टैंडर प्रक्रिया की शुरुआत की गई है, ऑनलाइन प्राप्त टेंडरों को अब 18 मार्च को दोपहर के समय खोला जाएगा।
प्रदेश सरकार द्वारा शराब दुकानों को लेकर पिछले दिनों नई शराब नीति बनाई गई थी जिसमें दुकानों के पास मौजूद अहातों को बंद करने सहित स्कूल, मंदिर सहित अन्य प्रतिष्ठित स्थानों से दुकानों की दूरी बढ़ाने का भी निर्णय लिया गया था।
नए आदेशों का असर धार जिले में भी देखने को मिला है। जिले में करीब 63 अहातों को बंद करने के साथ ही तीन दुकानों का स्थान भी बदला गया है। इन नए नियमों सहित आदेशों के बाद शराब ठेकेदार भी दुकानों को लेने में अब ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे थे।
दुकानों के आवंटन के पहले चरण में वर्तमान संचालकों को ही 10 प्रतिशत की राशि बढ़ने के साथ नवीनीकरण का ऑफर दिया गया था, किंतु किसी भी दुकान संचालक सहित ग्रुप ने इस प्रक्रिया में भाग नहीं लिया जिसके बाद लॉटरी सिस्टम की शुरुआत ही गई, इसमें भी विभाग को कोई फायदा नहीं हुआ था।
प्रतिस्पर्धा का मिलेगा लाभ –
सहायक आबकारी आयुक्त विक्रमदीप सिंह सांगर ने बताया कि जिले में शराब दुकानों को लेकर पूर्व में 10 समूह बनाए गए थे, जिसमें कुल 88 शराब दुकान शामिल की गई थी, लेकिन नवीनीकरण और लॉटरी द्वारा निष्पादन नहीं होने के कारण जिला समिति के निर्णय और आबकारी आयुक्त के अनुमोदन के बाद बड़े समूहों को तोड़कर 24 छोटे-छोटे समूह बनाए गए हैं।
इन दुकानों से आबकारी विभाग को इस वित्तीय वर्ष में 377 करोड़ रुपये की आय होने का अनुमान है। वहीं गत वर्ष आबकारी को शराब दुकानों से 358 करोड़ रुपये की आय प्राप्त हुई थी।
विभागीय अधिकारियों की माने तो 24 समूह बनाने के कारण टेंडर प्रक्रिया में बड़े ठेकेदारों के मुकाबले अब छोटे ठेकेदार भी भाग लें सकेंगे। साथ ही दुकानों को लेने के लिए प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी। साथ ही शासन को भी अधिक राजस्व मिलेगा।