धार। जिला फ्लोराइड प्रभावित है। जल जीवन मिशन के तहत करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी लोग मूलभूत जरूरत शुद्ध पानी से मोहताज हैं। जिले में बड़े पैमाने पर जल जीवन मिशन के तहत पेयजल योजनाओं का काम हुआ है।
जिले के 423 गांवों में योजना का काम पूरा भी कर लिया गया है, लेकिन इसके बाद भी एक बड़ी आबादी फ्लोराइड प्रभावित है, जहां पेयजल स्त्रोत से फ्लोराइड वाला पानी आ रहा है। इसका सेवन कर गांव के बच्चे और ग्रामीण फ्लोरोसिस जैसी घातक बीमारी की चपेट में आ रहे हैं।
फ्लोराइड से जिले के दूरस्थ गांव ही नहीं बल्कि धार शहर के आसपास के गांव भी अछूते नहीं हैं। शुक्रवार को फ्लोरोसिस स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का आयोजन धार के मांडू रोड स्थित आदर्श आवासी बालक छात्रावास में किया गया जहां पढ़ाई करने वाले छात्रों का परीक्षण किया गया।
राष्ट्रीय फ्लोरोसिस निवारण एवं नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जिला फ्लोरोसिस कंसल्टेंट डॉक्टर एमडी भारती, आरबीएसके टीम के डॉक्टर शाहिद खान व टेक्नीशियन रंजना चौहान की संयुक्त टीम ने यह परीक्षण किया।
इस दौरान टीम ने छात्रावास के 131 बच्चों की जांच की। इनमें से 43 बच्चे संभावित डेंटल फ्लोरोसिस से ग्रसित पाए गए। टीम ने इन बच्चों को चिन्हित किया है। साथ ही कैल्शियम, विटामिन सी और मल्टीविटामिन की दवाईयां उपलब्ध करवाई गई हैं।
टयूबवेल से आ रहा है हॉस्टल में पानी –
बच्चों को फ्लोरोसिस से से ग्रसित पाए जाने के बाद हॉस्टल अधीक्षक गणेश निरंजन से भी पेयजल साधन की जानकारी टीम ने ली। इस पर अधीक्षक निरंजन ने बताया कि ट्यूबेल का पानी पीते हैं।
इसके बाद टीम द्वारा ट्यूबवेल के पानी का भी सैंपल लिया गया। इसका परीक्षण जिला फ्लोरोसिस लैब में किया जाएगा। डॉ. भारती द्वारा हॉस्टल अधीक्षक व बच्चों को विस्तार से फ्लोरोसिस बीमारी के बारे में जागरूक किया गया। फ्लोरोसिस से बचने के उपाय बताए गए।
समें बताया कि दवाइयों के साथ-साथ अपने दैनिक जीवन में दूध, दही एवं हरी सब्जियों का इस्तेमाल ज्यादा करें एवं पीने के पानी में 1 पीपीएम से ज्यादा फ्लोराइड वाले पानी का इस्तेमाल पीने में ना करने की बात कही।
जिले की 801 बसाहट फ्लोराइड प्रभावित –
जिले में फ्लोराइड एक बड़ी समस्या है, जिसका निराकरण लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी धार को करना है, लेकिन पीएचई द्वारा फ्लोराइड बसाहट में लगाए गए आरओ प्लांट तक की हालत खराब है।
आधा दर्जन से अधिक प्लांट तो बंद पड़े है जबकि जहां प्लांट चालू है, वहां पर भी पानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। जिले के 801 गांव आज भी ऐसे हैं, जहां पर लोगों को फ्लोराइडयुक्त पानी पीने की मजबूरी है।