यूपी से सटे परेथा में तीन दिन के भीतर चार मौतों के बाद सहमा पूरा गांव


हरपालपुर थाना क्षेत्र में स्थित उप्र से सटा परेथा गांव मातमी सन्नाटे में डूबा हुआ है। गांव की तमाम सड़कें वीरान हैं। छोटी-बड़ीं सभी दुकानें बंद पड़ी हैं। इस गांव में तीन दिन के भीतर चार लोगों की मौत के मामले सामने आने के बाद अब प्रशासन, पुलिस और मेडिकल टीमें गांव में डेरा डाले हुए हैं।


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Chhatarpur Updated On :

छतरपुर। हरपालपुर थाना क्षेत्र में स्थित उप्र से सटा परेथा गांव मातमी सन्नाटे में डूबा हुआ है। गांव में लोग अपने दरवाजे के बाहर बैठे हैं लेकिन आपस में बातचीत नहीं कर रहे हैं। अहिरवार मोहल्ले में हर घर के बाहर महिलाओं के रोने और बिलखने की आवाजें आ रही हैं।

गांव की तमाम सड़कें वीरान हैं। छोटी-बड़ीं सभी दुकानें बंद पड़ी हैं। इस गांव में तीन दिन के भीतर चार लोगों की मौत के मामले सामने आने के बाद अब प्रशासन, पुलिस और मेडिकल टीमें गांव में डेरा डाले हुए हैं।

उधर रविवार को मारे गए 75 साल के लल्लू बरार और 39 साल के तुलसीदास अहिरवार के शव दोपहर गांव पहुंचे। यहां भारी पुलिस बल की मौजूदगी में दोनों ही शवों का अंतिम संस्कार कराया गया।

बता दें कि बीते 9 फरवरी को गांव के शीतल अहिरवार की पत्नि की तेरहवीं थी। तेरहवीं के बाद इस परिवार ने शराब का अत्यधिक सेवन किया। इस अहिरवार मोहल्ले के लोग बताते हैं कि गांव से सटे यूपी के घुटईं गांव में स्थित शराब ठेके से शराब लायी गई थी और इसी शराब को पीने के कारण गांव के पांच से ज्यादा लोग बीमार हो गए।

सबसे पहले 12 फरवरी को शीतल अहिरवार के 25 वर्षीय बेटे हरगोविंद की मौत हो गई। 13 फरवरी को पिता शीतल अहिरवार ने भी दम तोड़ दिया। 14 फरवरी को 75 वर्षीय लल्लूराम बरार और 39 साल के तुलसीदास अहिरवार ने भी अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इनके साथ शराब पीने वाला हरगोविंद का एक अन्य भाई जयराम गंभीर रूप से बीमार है जिसे सोमवार की सुबह झांसी रिफर किया गया है।

औरतों ने बताया पूरा गांव शराब का आदी, गांव में ही चार जगह मिलती है शराब –

परेथा गांव में तीन दिन के भीतर चार मौतें हो जाने के बाद पूरा गांव सहमा हुआ है। पुरूष शराब को लेकर डरे हुए जरूर हैं लेकिन अपनी शराबखोरी को खुलकर बयां नहीं कर रहे हैं।

इस दौरान गांव में मीडिया के कैमरों के माध्यम से जब औरतों से बात की गई तो औरतों ने खुलकर बताया कि गांव में अधिकांश लोग शराब पीते हैं। आसपास कई स्थानों पर खुलकर शराब बेची जाती है।

किराने की दुकानों पर भी शराब उपलब्ध है। उप्र से सटे गांव होने के कारण यूपी के शराब माफिया भी शराब बेचते हैं। उप्र की शराब सस्ती होने के कारण गांव के लोग घुटईं जाकर शराब खरीदकर लाते हैं और पीते हैं।

चक्कर आया, आंखों में धुंध पड़ी और चली गई जान –

शराब के अत्यधिक सेवन के कारण गांव के जिन चार लोगों की मौत अब तक हुई है उनके एक समान लक्षण देखने को मिले हैं। मरने के पहले रविवार को गांव के लल्लूराम बरार और तुलसीदास अहिरवार ने गांव पहुंचे मीडियाकर्मियों से भी बात की थी।

इस दौरान दोनों ने बताया था कि उन्हें शराब पीने के 24 घंटे बाद भी चक्कर आ रहे हैं, तेज पसीना बह रहा है, आंखों के आगे धुंध पड़ रही है। जब वे कैमरों के सामने बात कर रहे थे तब भी उनकी तकलीफ साफ नजर आ रही थी इसके बाद उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया जहां इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।

यूपी के शराब ठेकों पर मिलने वाली दारू की बोतलें गांव भर में बिखरीं –

गांव के हर हिस्से में शराबखोरी के निशान दिखाई दे रहे हैं। गांव में मिली अधिकांश शराब बोतलें यूपी के देशी शराब ठेकों पर मिलने वाली दिल से ब्रांड की है। यह शराब उप्र सरकार के द्वारा शासकीय ठेकों में विक्रय के लिए वैधानिक है।

एक चौंकाने वाली बात यह भी देखने को मिली है कि इस ब्रांड से मिलती जुलती दूसरी पैकिंग भी गांव में नजर आ रही है। संदेह ये है कि दिल से ब्रांड का नकली ब्रांड तैयार कर इसे आसपास के इलाकों में बेचा जा रहा है।

सूत्र बताते हैं कि कुछ मऊरानीपुर के शराब माफिया स्प्रिट की मदद से नकली शराब बना रहे हैं और सीमावर्ती इलाकों के ग्रामीण क्षेत्रों में यह शराब धड़ल्ले से बेची जा रही है।

कमलनाथ ने घेरा, गृहमंत्री ने दी सफाई –

छतरपुर जिले में हुए शराबकाण्ड में 4 लोगों की मौत के बाद अब सियासत भी गहरा गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस मुद्दे पर शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार पर निशाना साधा है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में खनन माफिया, रेत माफिया, वन माफिया और शराब माफिया हावी हो चुके हैं। शिवराज सिंह चौहान का बदला हुआ मूड कहां गया?

वहीं इस मुद्दे पर प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि यह मामला दुखद है। सरकार पूरे मामले की विधिवत जांच करा रही है। उप्र से सटे होने के कारण इस गांव के लोग यूपी से शराब लाकर पीते थे। हम सीमावर्ती इलाकों में चौकसी बढ़ाएंगे। ऐसे माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी।

मृतकों को आर्थिक सहायता मिली –

परेथा में 25 वर्षीय युवक हरगोंविद अहिरवार की मौत पर संबल योजना के अंतर्गत दो लाख रूपए की राशि स्वीकृत की गई है। इसी तरह तुलसीदास अहिरवार और लल्लूराम बरार की पत्नियों को विधवा पेंशन स्वीकृत की गई है।

शीतल प्रसाद अहिरवार के परिवार को राष्ट्रीय परिवार योजना के तहत 20 हजार रुपये की आर्थिक सहायता स्वीकृत की गई है। कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह के निर्देश पर नौगांव जनपद सीईओ ने परिवारों को आर्थिक सहायता दी।

गांव का हुआ सर्वे, अब कोई बीमार नहीं –

शराबखोरी के कारण बिगड़े परेथा के हालातों को सुधारने के लिए प्रशासनिक मशीनरी हरकत में नजर आ रही है। दूसरे दिन भी पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा, एसडीएम विनय द्विवेदी, तहसीलदार पीयूष दीक्षित सहित भारी पुलिस बल और मेडिकल टीम गांव में मौजूद रही।

स्वास्थ्य विभाग के अमले ने गांव के हर परिवार का सर्वे किया। किसी भी बीमार की जानकारी मिलने पर उसे दवा दी गई। पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा ने कहा कि फिलहाल अब गांव में कोई बीमार नहीं है।

इन्होंने भी पी शराब लेकिन कुछ नहीं हुआ –

गांव में 9 फरवरी से लगातार शराब का दौर जारी था। 9 फरवरी को शीतल अहिरवार की पत्नि की तेरहवीं के बाद रिश्तेदारों सहित परिवार के लोगों ने शराब पी। इसके अगले दिन भी रिश्तेदार गांव में ही रूके रहे और फिर मछली व शराब का दौर चलता रहा।

अत्यधिक शराब के कारण 12 फरवरी को शीतल अहिरवार के बेटे हरगोविंद की मौत हो गई। बेटे की मौत के गम भी शराब का दौर चला। शीतल के साथ शराब पीने वाले गांव के नवल अहिरवार ने बताया कि बेटे की मौत से पिता बहुत दुखी था इसलिए वह एक क्वार्टर शराब लेकर आया और हम दोनों ने उसमें से शराब पी।

इसके अगले दिन 13 फरवरी को शीतल अहिरवार की भी मौत हो गई। इन शराब पार्टियों में शामिल रहे हरगोविंद के मामा के लड़के अरविंद ने भी शराब पी लेकिन अरविंद अहिरवार, शीतल के साथ दारू पीने वाले नवल अहिरवार दोनों पूरी तरह ठीक हैं। उन्होंने सोमवार को मीडिया से बात करते हुए खुद को स्वस्थ बताया।

जांच के लिए सागर भेजा गया विसरा सैंपल, शॉर्ट पीएम में अत्यधिक शराब का मामला –

परेथा शराबकाण्ड में मारे गए लोगों की मौत का सही कारण पता लगाने के लिए उनकी विसरा जांच कराई जा रही है। इस जांच के अंतर्गत शरीर में मिलने वाले भोजन के तत्वों को जांच के लिए सागर लैब भेजा गया है। इसके साथ ही उनके ब्लड सैंपल एवं अन्य जांचें भी कराई गई हैं। प्रथम दृष्टया यह मामला अत्यधिक शराब सेवन से जुड़ा हुआ नजर आ रहा है।

सिविल सर्जन डॉ. एलएल तिवारी ने बताया कि मृतकों के पेट में शराब की अधिक मात्रा पायी गई है जबकि खाना बहुत कम पाया गया है। हो सकता है कि खाने की कमी और शराब की अधिकता ने इनकी जान ले ली हो। बहरहाल विस्तृत नतीजा विसरा जांच के बाद ही सामने आएगा।

जांचकर्ता थाना प्रभारी को आया हार्ट अटैक –

हरपालपुर के परेथा काण्ड में चार मौतों की जांच करने वाले हरपालपुर थाना प्रभारी याकूब खान को बीती रात हार्टअटैक के कारण इलाज के लिए झांसी ले जाना पड़ा।
जानकारी के मुताबिक याकूब खान कल दिन-भर गांव में मामले की पड़ताल करते रहे। डीआईजी, कलेक्टर और एसपी की मौजूदगी के कारण उन्हें दिन भर काफी मेहनत करनी पड़ी। रात 3 बजे वे तहसीलदार पीयूष दीक्षित के साथ इस मामले की लिखा-पढ़ी कर रहे थे।

इसी दौरान उन्हें सीने में दर्द शुरू हो गया और वे दीवार का सहारा लेकर टिकने लगे। यह देखकर तहसीलदार और उनके स्टाफ ने थाना प्रभारी की मदद की।

50 वर्ष से अधिक आयु के थाना प्रभारी को हार्टअटैक की आशंकाओं के चलते पहले हरपालपुर के एक निजी अस्पताल लाया गया इसके बाद उन्हें रात में ही झांसी रिफर कर दिया गया। अब उनकी हालत खतरे से बाहर बताई गई है।


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