31 दिनों में 17 बीमार, नहीं पिघल रहा प्रशासन, फिर भी जारी है किसान आंदोलन


अमित का कहना है कि प्रशासन बार बार अपनी बात से मुकर रहा है, व उनके आवेदन का कोई लिखित जबाब नहीं दे रहा, न तो प्रशासन अनुमति दे रहा है न ही अनुमति निरस्त की है, जब भी हम टेंट लगाते है प्रशासन तुरंत रोक देता है।


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Chhatarpur Updated On :

छतरपुर। विवादित कृषि कानून को वापस लेने व न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने की मांग के साथ स्थानीय छत्रसाल चौक पर किसानों का आंदोलन जारी है। यह आंदोलन अब बुंदेलखंड क्षेत्र के कृषि आंदोलन के रुप में पहचान बना रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता अमित भटनागर के नेतृत्व में खुले आसमान के नीचे चल रहे आंदोलन को 31 दिन हो चुके हैं और किसान विपरीत परिस्थितियों में भी हार मानने को तैयार नहीं हैं।

प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे अमित भटनागर ने बताया कि वे कई बार अपने प्रदर्शन के लिए टेंट लगाने की अनुमति मांग चुके हैं। अमित का कहना है कि प्रशासन बार बार अपनी बात से मुकर रहा है, व उनके आवेदन का कोई लिखित जबाब नहीं दे रहा, न तो प्रशासन अनुमति दे रहा है न ही अनुमति निरस्त की है, जब भी हम टेंट लगाते है प्रशासन तुरंत रोक देता है। यही वजह है कि किसान खुले आसमान के नीचे बैठने व सोने को मजबूर हैं और वे अब बीमार हो रहे हैं।

आंदोलन में शामिल सत्रह किसान अब तक बीमार हो चुके हैं और यह सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रशासन तक किसानों की इस हालत की खबर लगातार पहुंच रही है लेकिन वे उन्हें कोई राहत देने के लिए राजी नहीं है। प्रशासन पूरी तरह से  संवेदनहीन बना हुआ है।

संवैधानिक व मौलिक अधिकारों का हनन धरने में बैठे बहादुर आदिवासी व भगतराम तिवारी के मुताबिक प्रशासन में अधिकारी होते हैं जो नियम जानते हैं और जो संविधान की कसम खाते हैं लेकिन दुर्भाग्य से इस बार ये अधिकारी कसमें भूल चुके हैं। अब किसानों से विरोध प्रदर्शन करने का उनका संवैधानिक एवं मौलिक अधिकार तक छीन रहे हैं।

किसान यूनियन ने दिया समर्थन छतरपुर में चल रहे किसानों के धरने को समर्थन देते हुए किसान यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष ईश्वर चंद त्रिपाठी व यूनियन के अन्य पदाधिकारी आरती केवट आदि धरना स्थल पर पहुँचे।

किसान यूनियन ने जताई नाराजगी किसान यूनियन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष ईश्वर चंद्र त्रिपाठी धरना स्थल पर पहुँचे। उन्होंने नवनियुक्त एस डी एम अविनाश रावत से मुलाकात कर प्रशासन द्वारा किसानों के संवैधानिक अधिकारों की हनन पर नाराजगी व्यक्त करते हुए, धरने की अबिलम्ब अनुमति हेतू ज्ञापन सौंपा।

तानाशाही के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी आंदोलन के नेतृत्वकर्ता अमित भटनागर ने बताया कि प्रशासन की तानाशाही के चलते कई किसान लगातार बीमार हो रहे हैं इसके बावजूद भी ना तो हमने हिम्मत हारी है ना ही हमने धैर्य का साथ छोड़ा है।

अमित ने स्पष्ट किया कि किसानों का आंदोलन प्रशासन के अमानवीय रुख के बावजूद पूर्णता गांधीवादी तरीके से चल रहा था, चल रहा है और आगे भी चलेगा साथ ही अमित ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि प्रशासन उनके धैर्य व गांधीवादी तरीके से कार्य करने की पद्धति को उनकी कमजोरी ना समझे।

धरने में मुख्य रूप से भगतराम तिवारी, बहादुर आदिवासी, हिसाबी राजपूत, सोना आदिवासी, राकेश तिवारी, गणेश सिंह, दिनेश मिश्रा, कवि मणिकलाल, कालीचरण आदिवासी, रामकिशोर केवट, जसवंत यादव आदि शामिल हैं।


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