छतरपुरः छह सौ किमी की रैली कर लौटे किसान फिर कड़ी ठंड में खुले आसमान के नीचे दिया धरना


बुधवार को छतरपुर पहुंची इस ट्रैक्टर रैली ने छत्रसाल चौराहे पर एक आम सभा आयोजित की जिसमें तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर किसानों ने अपना आक्रोश व्यक्त किया।


शिवेंद्र शुक्ला शिवेंद्र शुक्ला
घर की बात Updated On :

छतरपुर। विवादित कृषि कानूनों के विरोध में छतरपुर शहर से शुरु होकर जिले की सभी तहसीलों से होते हुए यात्रा बुधवार को फिर शहर पहुंची। यहां पहले से धरना प्रस्तावित था लेकिन प्रशासन वादे से मुकर गया और टैंट लगाने की अनुमति देने से मना कर दिया। ऐसे में किसानों ने कड़ी ठंड में खुले आसमान के नीचे धरना दिया।

इस आंदोलन के तहत एक टैक्टर रैली ग्रमीण अधिकार संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अमित भटनागर के नेतृत्व में निकाली जा रही है। यह रैली आठ जनवरी को छतरपुर से रवाना हुई थी और छह दिन में जिले की सभी तहसीलों से होते हुए लगभग 600 किलोमीटर का सफर तय कर वापिस छतरपुर पहुंच गई है।

बुधवार को छतरपुर पहुंची इस ट्रैक्टर रैली ने छत्रसाल चौराहे पर एक आम सभा आयोजित की जिसमें तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर किसानों ने अपना आक्रोश व्यक्त किया।

सभा को संबोधित करते हुए अमित भटनागर ने कहा कि मोदी सरकार कॉर्पोरेट दबाब में जो कृषि कानून लाई है उससे न केवल किसान को नुकसान होगा बल्कि इसका खामियाजा हर उस आदमी को उठाना पड़ेगा जिसके थाली में अन्न है।

पहले अनुमति की बात कही बाद में मुकर गया प्रशासन

किसान आंदोलन को लेकर भाजपा शासित प्रदेशों की सरकारें काफी आशंकित हैं। जहां भी किसान प्रदर्शन  का नाम आता है अतिरिक्त सतर्कता बरती जाने लगी है। शांतिपूर्ण ढंग से ज़िले में यात्रा करने वाले किसानों ने धरने की अनुमति के लिए प्रशासन को आवेदन दिया। इसके बाद उसमे सीएसपी व अन्य अधिकारियों की टीप लगवाने की बात कही है।

संगठन के अमित भटनागर ने बताया कि फिर 6 तारीख को आवेदन दिया और मौखिक तौर पर प्रशासन ने अनुमति स्वीकृत होने की बात कही लेकिन जैसे ही यात्रा सम्पन्न होकर छतरपुर पहुंची और धरना प्रदर्शन के लिए टेंट लगाना शुरू किया प्रशासन ने टेंट लगाने से मना कर दिया। वहीं एसडीएम ने कहा कि अभी धरने की अनुमति नहीं है जब अनुमति हो जाएगी तभी टेंट लगाएं।

प्रशासन विभिन्न बहाने बनाकर अनुमति देने से मुकर गया। हालांकि इसके बाद भी किसान अपनी बात से नहीं हटे और बिना टेंट के खुले आसमान के नीचे धरने पर बैठ गए। इस दौरान ये किसान ठंड से परेशान होते रहे लेकिन प्रशासन नहीं पिघला।



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