छतरपुरः ठिठुर रहे आंदोलनरत किसान, प्रशासन को निष्ठुर बता रहे लोग


भटनागर का आरोप है कि सरकार को खुश करने के लिए प्रशासन द्वारा उनका धरना खत्म करने की साजिश की जा रही है।


शिवेंद्र शुक्ला
घर की बात Updated On :

छतरपुर। केन्द्र सरकार के तीन विवादित कानूनों का विरोध करते हुए छत्रसाल चौराहे पर पिछले 19 दिनों से हड़ताल कर रहे किसानों के मुखिया ग्रामीण अधिकार संगठन के प्रदेशाध्यक्ष अमित भटनागर ने मीडिया के माध्यम से भाजपा सरकार एवं जिला प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

भटनागर का आरोप है कि सरकार को खुश करने के लिए प्रशासन द्वारा उनका धरना खत्म करने की साजिश की जा रही है। जहां कड़ाके की ठण्ड से लोग घरों के भीतर ठिठुर रहे हैं तो वहीं प्रशासन की तानाशाही के कारण किसानों को खुले आसमान के नीचे धरना देने को मजबूर होना पड़ रहा है।

मीडिया से चर्चा करते हुए अमित भटनागर ने कहा कि वे शांतिपूर्वक धरना दे रहे हैं। प्रशासन को आवेदन के माध्यम से धरना के लिए अनुमति मांगी गई थी। पूर्व में अनुमति दी गई लेकिन बाद में वे मुकर गए।

विभिन्न सामाजिक संगठनों ने भी धरना की अनुमति मांगी है फिर भी प्रशासन ने एक नहीं सुनी।  भटनागर का आरोप है कि जब वे गहरी नींद में थे तब उन पर हमला भी हुआ है। प्रशासन पर षडयंत्र रचकर धरना खत्म करने के प्रयास किए जा रहे हैं। 4 से 6 डिग्री तापमान के बावजूद वे अपने सहयोगी किसानों के साथ धरना में बैठे हैं।

आंदोलनकारी किसानों में 22 वर्षीय सोना आदिवासी भी शामिल हैं। कृषि बिल के बारे में पूछने पर वे ज़्यादा तो नहीं बता पातीं लेकिन इतना ज़रूर कहा कि अमित भैया आवाज़ उठा रहे हैं तो ज़रूर गलत के विरोध में ही होगी। इस आंदोलन में शामिल होकर वे दिन भर धरने पर बैठतीं हैं और शाम को खुले आसमान के नीचे चार ईंट रखकर चूल्हा बनाकर रोटियां सेक देतीं हैं। बिजावर जैसे पिछड़े इलाके से आईं सोना का कहना है कि सरकार केवल भाषण देती है वरना आज भी किसानों की हालत ऐसी न होती।।

परिजन दे जाते हैं आटा दालः 
खाने पीने की व्यवस्थाओं के बारे में पूछने पर आंदोलनकारी मिजाजी रैकवार बताते हैं कि बिजावर से ज़िला मुख्यालय पर क्षेत्र से कोई न कोई आता रहता है उनके माध्यम से आटा दाल आ जाता है। सब्जियां यहीं से खरीद ली जातीं हैं ज्यादातर बैगन टमाटर आग में भुजंकर धनिया नमक के साथ खाकर धरना चल रहा है।

प्रेमलाल यादव ने रोष जताते हुए कहा कि अधिकारी इतने निष्ठुर भी होते हैं अब पता चल रहा है। उसका कहना था कि रोज़ यहीं से कलेक्टर,एसडीएम और कई अधिकारियों की गाड़ियां देखते हुए निकल जातीं हैं कि किसान खुले आसमान के नीचे पड़े हैं लेकिन इन्हें टेण्ट लगाने की इजाजत देने में तकली फ होती है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जो अपने आप को किसान का बेटा कहते हैं क्या उनके पास तक खबर नहीं जाती होगी।आखिर कैसे किसान के बेटे हैं कि हमारा दर्द नहीं दिखता।

धरने में दिलीप शर्मा,  गोविंद सिंह राजपूत, सोना आदिवासी, शोहराब अली, मिजाजी रैकबार, जुम्मन मास्टर, राममिलन राजपूत, तुलसी आदिवासी, प्रेमलाल यादव, संतोष अहिरवार, शंकर राजपूत, छोटू अहिरवार, किशोरी कुशवाह, साक्षी आदि लोग, शशि राजपूत सहित बड़ी संख्या में किसान मौजूद थे।


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