मंत्रीजी के क्षेत्र में हावी अफसरशाही, दो साल में छलनी हो गई करोड़ों की सड़क मरम्‍मत के मरहम को भी तरसी


निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत अफसरों तक भी पहुंची, बावजूद नहीं दिया जा रहा ध्‍यान, फेसबुक पर जनप्रतिनिधि जता रहे नाराजगी।


आशीष यादव
घर की बात Published On :
damage road in badnawar assembly seat

धार। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत गांवों को शहरों से जोड़ने की योजना पर काम शुरू किया गया था। इसका मकसद था कि ग्रामीण आबादी का सीधा जुड़ाव शहरों से हो जाए जिससे उन्‍हें अपनी उपज और आने-जाने में सुविधा हो।

इस पर करोड़ों रुपये खर्च भी हुए, लेकिन अफसर तंत्र की निगरानी में कमी और निर्माण एजेंसियों को खुला संरक्षण होने के कारण करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी नतीजा सिफर ही रहा।

एक-दो नहीं बल्कि जिले में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां पर सड़क निर्माण के एक-दो साल में ही सड़के छलनी होकर बिखर गई। ऐसे में पहले की कच्‍ची सड़कों की तुलना में छलनी हो चुकी सड़कों पर चलना ओर भी परेशानी भरा हो गया है। इन छलनी सड़कों पर मरम्‍मत का मरहम तक नहीं लग पा रहा है।

अब अच्‍छी सड़कों के इंतजार में बैठे ग्रामीणों और गांवों से अपनी राजनीतिक पकड़ रखने वाले जनप्रतिनिधियों की नाराजगी साफ तौर पर देखने को मिल रही है। अपनी नाराजगी प्रकट करने के लिए जनप्रति‍निधि‍ सोशल मीडिया का सहारा लेते नजर आ रहे हैं।

हम बात कर रहे हैं बदनावर विधानसभा में आने वाली प्रधानमंत्री ग्राम सड़क ढोलाना से जवास्‍या और बदनावर से कारोदा-काछीबड़ौदा की। इन सड़कों का निर्माण वर्ष 2021 में किया गया था, लेकिन दो साल में ही यह सड़क छलनी होकर बिखर गई।

अब हालात यह है कि सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढों के कारण आवाजाही मुश्किल हो गई है। इतना ही नहीं वाहनों में नुकसान होता है। उपज लेकर निकलने वाले किसानों को गड्ढों से गुजरते वक्‍त वाहन में टूट-फूट का डर सताता है और रात के वक्‍त बाइक से आवाजाही करने वाले लोगों को हादसे का अंदेशा बना रहता है।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाई गई सड़क पर गड्ढों का साइज करीब 4 से 5 फीट तक चौड़ा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सड़क निर्माण में अफसरों की निगरानी किस हद तक की गई होगी।

मंत्री जी का क्षेत्र, फिर भी हावी अफसरशाही –

जिस बदनावर विधानसभा में यह सड़कें आती हैं, वह प्रदेश के यशस्‍वी उद्योग मंत्री राजवर्धन सिंह दत्‍तीगांव की विधानसभा क्षेत्र है, लेकिन यहां पर अफसरशाही इतनी हावी है कि उन्‍हें निर्माण की गुणवत्‍ता से कोई सरोकार नहीं है।

भाजपा कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधियों ने भी निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत मंत्री दत्‍तीगांव तक पहुंचाई है। बावजूद अफसर इस मामले में काम करने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में जनप्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं की नाराजगी इन दिनों सोशल मीडिया पर जमकर देखने को मिल रही है।

बदनावर काछीबड़ौदा से कारोदा मार्ग –

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 14 किमी लंबी सड़क का निर्माण 5 फरवरी 2021 को शुरू किया गया था। इस सड़क के निर्माण पर सरकार की तरफ से 297.16 लाख रुपये खर्च किए गए।

सड़क का निर्माण हुए दो साल भी नहीं हुए हैं और गड्ढों में सड़क ढूंढना पड़ रही है। डामर बिखर चुका है और अब सड़क से आवाजाही करने वाले लोगों को गिटटी से वाहन को बचाकर निकालना पड़ता है।

गडढे इतने बड़े हैं कि बाइक चालकों को किनारे से अपने वाहन निकालने पड़ते हैं। 4 से 5 फीट चौड़े गड्ढों के कारण वाहन चालकों को खासी परेशानी झेलना पड़ती है।

उज्‍जैन पेटलावद से जवास्‍या-बदनावर –

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क परियोजना इकाई क्रमांक 3 के अधीन आने वाले इस सड़क का निर्माण वर्ष 2018 में शुरू हुआ था। मरम्‍मत के लिए मई 2023 केटी कंस्‍ट्रक्‍शन इंदौर को जिम्‍मेदारी मिली हुई है, लेकिन निर्माण के बाद से ही सड़क की हालत खराब है।

सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे हैं। हालात यह है कि गड्ढों में सड़क ढूंढना पड़ रही है। ग्रामीणों की शिकायत के बावजूद हालात में सुधार नहीं हो रहा है। अब मेंटेनेंस अवधि खत्‍म होने के बाद विभाग की जिम्‍मेदारी भी खत्‍म हो जाएगी। ऐसे में ग्रामीणों को मरम्‍मत के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा।

मंत्री तक पहुंची शिकायत –

बदनावर के भाजपा नेता व पूर्व महामंत्री शिवराम सिंह रघुवंशी ने खराब हो रही सड़कों की शिकायत मंत्री राजवधर्न सिंह दत्‍तीगांव तक पहुंचाई है। रघुवंशी ने बताया कि खराब सड़कों को लेकर कई बार अधिकारियों को बता चुके हैं, लेकिन इस मामले में अधिकारी ध्‍यान नहीं दे रहे हैं। मैंने मंत्री जी को भी इस घटना की जानकारी से अवगत कराया है।

फोन नहीं उठाया –

इधर इस मामले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना परियोजना इकाई क्रमांक-3 के महाप्रबंधक अनूपम सक्‍सेना से उनके मोबाइल पर खराब सड़कों को लेकर पक्ष जानने के लिए संपर्क किया गया तो उन्‍होंने फोन तक रीसिव नहीं किया।

ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि सत्‍ता पक्ष से जुड़े होने के बावजूद जनप्रतिनिधियों की खराब सड़कों को लेकर होने वाली शिकायतें कितनी वाजिब हैं और अफसरशाही कितनी हावी है और वह भी उस सीट पर जहां से प्रदेश के उद्योग मंत्री हैं।


Related





Exit mobile version