
महिला सशक्तिकरण को लेकर गंभीर चर्चा और ठोस कदमों की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही है। इसी दिशा में आशा पारस फॉर पीस एंड हारमनी फाउंडेशन, भारत ने “Women Empowerment: Past, Present & Future” विषय पर दो दिवसीय Vice Chancellor’s Conclave का आयोजन किया, जिसका आज शुभारंभ हुआ। यह कार्यक्रम पूरी तरह ऑनलाइन हो रहा है और इसमें देशभर के जाने-माने शिक्षाविद, कुलपति, शोधार्थी और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हो रहे हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रो. आशा शुक्ला (पूर्व कुलपति, ब्राउस एवं प्रबंध निदेशक, आशा पारस फॉर पीस एंड हारमनी फाउंडेशन, भारत) के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने महिला सशक्तिकरण के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, मौजूदा हालात और भविष्य की संभावनाओं पर रोशनी डालते हुए इस विषय पर सार्थक चर्चा की जरूरत बताई।
इसके बाद मंच संभाला देशभर के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने, जिन्होंने अपने अनुभव और विचार साझा किए। उनके विचारों में महिला शिक्षा, कार्यस्थलों पर समानता और नीति-निर्माण में महिलाओं की भागीदारी जैसे अहम मुद्दों पर जोर दिया गया।
इस कॉन्क्लेव में कई प्रमुख शिक्षाविदों और विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया, जिनमें शामिल रहे:
- प्रो. नीलिमा गुप्ता, कुलपति, डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय, सागर
- प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल, पूर्व कुलपति, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय, उत्तराखंड
- प्रो. शुभा तिवारी, कुलपति, महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, छतरपुर
- प्रो. कल्पलता पांडे, पूर्व कुलपति, जन नायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया (यूपी)
- प्रो. अरुणा पल्टा, पूर्व कुलपति, हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग, छत्तीसगढ़
- प्रो. विनय कपूर मेहरा, पूर्व कुलपति, डॉ. बी.आर. अंबेडकर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, सोनीपत
- प्रो. रूबी ओझा, प्रो वाइस चांसलर, एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय, मुंबई
इन वक्ताओं ने शिक्षा और कार्यक्षेत्र में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों के साथ-साथ उनके समाधान पर भी बात की। कुछ वक्ताओं ने इसे सिर्फ चर्चा तक सीमित न रखते हुए, ठोस नीतियों और बदलाव की दिशा में बढ़ने पर जोर दिया।
अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस
इस अवसर पर एक बड़े आयोजन की घोषणा भी की गई। “Breaking Barriers, Building Inclusive Spaces – Challenges and Strategies to Address Gender Disparities” नाम से एक अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस 15 से 17 नवंबर 2025 को आयोजित होगी। इस कॉन्फ्रेंस के पहले ब्रोशर का लोकार्पण प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने किया। यह आयोजन वैश्विक स्तर पर महिला सशक्तिकरण की चुनौतियों और उनके समाधान पर केंद्रित होगा।
शोधार्थियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की मजबूत भागीदारी
कॉन्क्लेव में सिर्फ शिक्षाविद ही नहीं, बल्कि शोधार्थी, सामाजिक कार्यकर्ता और मीडिया जगत से जुड़े लोग भी बड़ी संख्या में शामिल हुए। उनकी भागीदारी ने इस चर्चा को और भी विविध और गहरी बना दिया।
इस दो दिवसीय आयोजन में आगे भी कई अहम चर्चाएं होंगी, जिनमें नीति निर्माण, महिला नेतृत्व, लैंगिक समानता और सामाजिक परिवर्तन जैसे विषयों पर विचार-विमर्श होगा। कुल मिलाकर, इस कॉन्क्लेव का मकसद सिर्फ बात करना नहीं, बल्कि कुछ ठोस समाधान निकालना है, जो वास्तविक बदलाव ला सकें।