कूनो में बिना अनुमति चीतों को 110 बार से ज्यादा बेहोश किया, वन्यजीव कार्यकर्ता ने की उच्च स्तरीय जांच की मांग


2022 में शुरू हुई चीता पुनरुत्पादन परियोजना के तहत नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीते भारत लाए गए थे। अब तक 17 शावकों का जन्म हुआ, जिनमें से 12 जीवित हैं। जुलाई 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, लाए गए 26 चीतों में से 13 अभी भी जंगल में छोड़े जाने का इंतजार कर रहे हैं।


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भोपाल Published On :

भोपाल के वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) को पत्र लिखकर कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी), मध्य प्रदेश में चीता परियोजना की देखरेख में गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाया है। उन्होंने इस परियोजना में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन और चीता देखभाल में लापरवाही की बात कही है।

पत्र में अजय दुबे ने केएनपी की चीता परियोजना में कई अनियमितताओं का उल्लेख किया है और इसे लेकर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। यह पत्र पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) के सचिव और एनटीसीए के सदस्य सचिव को भी भेजा गया है।

 

अनियमितताओं और आरोपों का विवरण:

दुबे के पत्र में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के कई उल्लंघनों का आरोप लगाया गया है। उन्होंने कूनो राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों की कथित लापरवाही पर भी सवाल उठाए हैं। इसमें विशेष रूप से शेर परियोजना के निदेशक और केएनपी के वन मंडल अधिकारी उत्तम शर्मा का नाम लिया गया है। दुबे ने शर्मा को तत्काल हटाने और परियोजना की विफलताओं की निष्पक्ष जांच के लिए एक विशेष जांच दल बनाने की मांग की है।

दुबे ने अपने पत्र में दावा किया है कि चीतों को 110 बार से अधिक बेहोश किया गया, जिसके लिए मुख्य वन्यजीव संरक्षक (सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू) की आवश्यक मंजूरी नहीं ली गई। यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 11 के अनुसूची 1 का उल्लंघन है। दुबे ने यह भी आरोप लगाया कि इन कार्यवाहियों का कोई रिकॉर्ड नहीं रखा गया, जो इस मुद्दे को और गंभीर बनाता है।

इसके अलावा, दुबे ने हाल ही में मृत चीता ‘पवन’ का मामला उठाते हुए कहा कि उसे अवैध रूप से बेहोश किया गया था, जिससे उसकी मौत हुई। उन्होंने यह भी आशंका जताई कि उद्यान में अन्य चीतों की मौत भी इसी प्रकार की लापरवाही के कारण हुई होगी।

 

अन्य उल्लंघन और सवाल:

पत्र में एनटीसीए की मानक संचालन प्रक्रिया के उल्लंघन का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें मृत चीतों के पोस्टमॉर्टम के दौरान वीडियोग्राफी न करने का आरोप लगाया गया है। इसके साथ ही दुबे ने स्वास्थ्य निगरानी में चूक की ओर इशारा करते हुए कहा कि चीता शावकों में पाए गए टिकों की उपस्थिति से उद्यान की देखभाल में लापरवाही स्पष्ट होती है।

अंत में, दुबे ने आरोप लगाया कि चीतों से लिए गए नमूनों के परिणाम एनटीसीए और सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू के साथ साझा नहीं किए गए, जो प्रोटोकॉल का उल्लंघन है।

अजय दुबे ने पर्यावरण मंत्रालय से परियोजना को बचाने के लिए उत्तम शर्मा को पद से हटाने और कूनो राष्ट्रीय उद्यान की गतिविधियों की निष्पक्ष जांच की मांग की है।

 


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