भोपाल में अनोखा साहित्यिक संगम: दादा-पोती की पुस्तकों का एक साथ विमोचन


भोपाल के राज्य संग्रहालय में कवि ओम बबेले और बाल लेखिका रेवा बबेले की पुस्तकों का विमोचन हुआ। ओम बबेले के कामना से काल हारा कविता संग्रह और रेवा बबेले के बापू की डगर कहानी संग्रह को वरिष्ठ साहित्यकारों ने सराहा। कार्यक्रम में ओम बबेले की कविताओं और रेवा की गांधी पर आधारित कहानियों की विशेष चर्चा हुई।


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भोपाल Updated On :

भोपाल के राज्य संग्रहालय में शनिवार को कवि ओम बबेले के कविता संग्रह कामना से काल हारा और बाल लेखिका रेवा बबेले के कहानी संग्रह बापू की डगर का भव्य विमोचन हुआ।

 

समारोह को संबोधित करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार विजय बहादुर सिंह ने ओम बबेले की कविताओं को उनके हृदय की गहराई से निकली रचनाएँ बताया, जो छंदबद्ध कविता के युग में नई दिशा प्रदान करती हैं। मुख्य अतिथि ज्ञान चतुर्वेदी ने रेवा बबेले की पुस्तक को बच्चों के लिए नए गांधी की कल्पना बताते हुए उनकी लेखनी की सराहना की। उन्होंने ओम बबेले की बुंदेली भाषा में लिखी कविताओं की भी प्रशंसा की, जो लोक मानस से जुड़ी हैं।

 

लखनऊ से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार देवनाथ द्विवेदी ने ओम बबेले की रचनाओं की 30 वर्षों की यात्रा को साहित्य के लिए अमूल्य धरोहर बताया। कार्यक्रम के दौरान ओम बबेले ने अपनी कविताओं का पाठ किया, जिनमें उनकी कविता भीड़ का ओढ़े कफन सरकार है और बुंदेली गीत जो वे कै रए वो हम केरए श्रोताओं को विशेष रूप से पसंद आए।

 

रेवा बबेले ने अपनी किताब बापू की डगर पर बोलते हुए कहा कि वह अभी स्वयं को लेखक मानने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन उनकी इच्छा है कि महात्मा गांधी से जुड़ी भ्रांतियों को दूर किया जाए। कार्यक्रम का संचालन कवयित्री चित्रा सिंह ने किया।

 


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