मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल के साथ देखी ‘द साबरमती रिपोर्ट’, फिल्म को बताया ऐतिहासिक


मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ को अपनी कैबिनेट के साथ देखा और इसे टैक्स फ्री घोषित किया। फिल्म गोधरा कांड और उसके बाद की सच्चाई को उजागर करने का प्रयास करती है। मुख्यमंत्री ने इसे ऐतिहासिक बताते हुए झूठी धारणाओं को तोड़ने वाला कदम कहा।


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भोपाल Published On :
मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल के साथ देखी ‘द साबरमती रिपोर्ट’, फिल्म को बताया ऐतिहासिक

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 20 नवंबर को अपने मंत्रिमंडल के साथ होटल अशोका लेक व्यू में बॉलीवुड फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ देखी। इस फिल्म में मुख्य भूमिकाएं विक्रांत मैसी और राशि खन्ना ने निभाई हैं। फिल्म देखने से पहले मुख्यमंत्री ने अपने निवास पर फिल्म के कलाकारों से मुलाकात की और उनके काम की सराहना की। इस मौके पर डॉ. यादव ने घोषणा की कि ‘द साबरमती रिपोर्ट’ को मध्यप्रदेश में टैक्स फ्री किया जाएगा ताकि इसे अधिक से अधिक लोग देख सकें। उल्लेखनीय है कि इस फिल्म को लेकर कई लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। इस पर विक्रांत मैसी ने सीधे उन लोगों को संदेश दिया है कि वे पहले फिल्म को देखें और फिर अपनी प्रतिक्रिया दें, वे इसे स्वीकार करेंगे।

फिल्म देखने से पहले मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉल के माध्यम से अभिनेता विक्रांत मैसी से बात की। इस बातचीत में उन्होंने अभिनेता के प्रदर्शन की प्रशंसा करते हुए कहा कि फिल्म ने गोधरा कांड की सच्चाई को उजागर किया है। उन्होंने यह भी कहा कि मध्यप्रदेश में फिल्मों की शूटिंग को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार कई सुविधाएं और रियायतें दे रही है। विक्रांत ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में शूटिंग का अनुभव हमेशा बेहतरीन रहा है और वह भविष्य में भी यहां काम करना चाहेंगे।

मंत्रियों और विधायकों के साथ विशेष शो

मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों और विधायकों को साथ लेकर फिल्म देखने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि इस फिल्म ने गोधरा कांड के बारे में जो झूठ परोसा गया था, उसे स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि इतिहास में गोधरा कांड एक ऐसा काला अध्याय है जिसे इस फिल्म ने सही रूप में पेश किया है। राजनीति अपनी जगह है, लेकिन समाज को सच दिखाना भी जरूरी है।

मंत्री विश्वास सारंग की प्रतिक्रिया

कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग ने फिल्म को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह फिल्म कांग्रेस द्वारा फैलाए गए झूठ का पर्दाफाश करती है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने हमेशा इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया है। सारंग ने घोषणा की कि क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं और जनता को यह फिल्म दिखाने के लिए विशेष शो आयोजित किए जाएंगे ताकि लोग सच्चाई को समझ सकें।

फिल्म का ऐतिहासिक संदर्भ

‘द साबरमती रिपोर्ट’ 15 नवंबर को रिलीज हुई और यह 2002 के गोधरा कांड पर आधारित है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे 27 फरवरी 2002 की सुबह साबरमती एक्सप्रेस में हुए हादसे ने गुजरात और देश की राजनीति को झकझोर कर रख दिया। फिल्म ने इस घटना से जुड़ी सच्चाई को सामने लाने का साहसिक प्रयास किया है।

प्रधानमंत्री की सराहना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी फिल्म की तारीफ की है। उन्होंने इसे एक ऐसा प्रयास बताया जो सच्चाई को सामने लाने में मददगार है। ‘द साबरमती रिपोर्ट’ का निर्देशन धीरज सरना ने किया है और इसे एकता कपूर, शोभा कपूर, और अंशुल मोहन ने प्रोड्यूस किया है। फिल्म के निर्माता-निर्देशक ने इसे न केवल एक सिनेमाई कृति, बल्कि एक ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में पेश किया है। मुख्यमंत्री की पहल से फिल्म को जनता के बीच एक नई पहचान मिल रही है।

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गोधरा कांड की याद दिलाती है ‘द साबरमती रिपोर्ट’

गोधरा कांड भारतीय इतिहास में सबसे दुखद और विवादास्पद घटनाओं में से एक है, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। यह घटना 27 फरवरी 2002 की सुबह गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर हुई, जब साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगा दी गई। इस हादसे में 59 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर कारसेवक थे, जो अयोध्या से लौट रहे थे। यह घटना गुजरात दंगों की शुरुआत का कारण बनी, जो भारतीय राजनीति और समाज में स्थायी प्रभाव छोड़ गई।

साबरमती एक्सप्रेस अयोध्या से अहमदाबाद की ओर जा रही थी। गोधरा स्टेशन पर ट्रेन के रुकने के दौरान कथित तौर पर स्थानीय मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने ट्रेन के एस-6 कोच में आग लगा दी। सरकारी जांच रिपोर्ट के अनुसार, यह आग सुनियोजित थी। ट्रेन में सवार 59 लोगों की जलकर मौत हो गई, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे।

घटना के बाद की प्रतिक्रिया

गोधरा कांड के बाद गुजरात में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे। इन दंगों में हजारों लोगों की जान गई, जिनमें बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक दोनों समुदायों के लोग शामिल थे। दंगे महीनों तक चले और इन्हें स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे भयानक सांप्रदायिक हिंसा के रूप में देखा गया।

राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव

गोधरा कांड और इसके बाद हुए दंगों ने न केवल गुजरात, बल्कि पूरे देश की राजनीति और समाज को गहराई से प्रभावित किया। इस घटना ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना और सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया।

  • कई मानवाधिकार संगठनों ने राज्य सरकार पर दंगों को नियंत्रित करने में विफल रहने का आरोप लगाया।
  • सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गोधरा कांड और उसके बाद के दंगों की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया।
  • 2011 में एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि गोधरा कांड एक सोची-समझी साजिश थी।

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