सामने आई शिवराज और उमा के बीच की दरार, शराबबंदी पर लिखा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र


उमा भारती ने तीन पेज के अपने इस पत्र में मुख्यमंत्री की खासी आलोचना की है। उन्होंने भाजपा शासित सभी राज्यों में एक तरह की शराब नीति लागू करने की मांग की है।


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भोपाल Published On :

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के बीच का बैर अब खुलकर सामने आ चुका है। उमा भारती ने शिवराज सरकार की आलोचना करते हुए 9 जुलाई को ही एक पत्र पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखा है। उन्होंने कहा कि वे शराब नीति की आलोचना करतीं हैं लेकिन प्रदेश सरकार के कारण उनकी खिल्ली उड़ाई जाती है। उमा भारती ने तीन पेज के अपने इस पत्र में मुख्यमंत्री की खासी आलोचना की है। उन्होंने भाजपा शासित सभी राज्यों में एक तरह की शराब नीति लागू करने की मांग की है। उमा ने लिखा है कि वे मध्यप्रदेश में शराबबंदी के लिए लगातार सक्रिय हैं, फिर कल जब घुटन महसूस हुई, तब प्रेस विज्ञप्ति और ट्वीट किए। उन्होंने ट्वीट में कहा है कि वे अभी से लेकर अक्टूबर तक मैं अकेले ही शराब की दुकानों व अहातों के सामने खड़ी होएंगी, फिर अक्टूबर में गांधी जयंती पर भोपाल की सड़कों पर महिलाओं के साथ मार्च करूंगी, इसलिए जो भी इसके समर्थन में हों, अपने स्तर से प्रयास करें।

उमा भारती ने अपने इस पत्र में लिखा है कि…   ‘हमारे देश में नशामुक्त समाज हो, यह पार्टी के एजेंडे में हमेशा रहा। शराब भी दूसरे नशों का धरातल तैयार करने वाला एक नशा है, जब शराब के नशे का प्रभाव नष्ट हो जाता है, तब व्यक्ति दूसरे नशे शुरू कर देता है। पंजाब की प्रगति और फिर नशे में उड़ते पंजाब की कहानी सर्वविदित है। मप्र भी तेजी से प्रगति की ओर बढ़ता एक राज्य है, लेकिन वर्तमान में मप्र की नई शराब नीति प्रदेश को हर तरह से विनाश की दिशा में ले जा सकती है। आप इसके स्वयं साक्षी हो कि मैंने जब मार्च में इस जागरूकता अभियान को शुरू किया, जो कि हमारी पार्टी की नीति के अनुसार है, उसके बाद 13 अप्रैल से लेकर हमारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की हैदराबाद में हुई बैठक दिनांक 3 जुलाई तक मैं पार्टी एवं अपनी विचारधारा के सभी निर्णायक व्यक्तियों से मुलाकात करके इस विषय पर वार्ता कर चुकी हूं। शराबबंदी मेरे निजी अहंकार का विषय नहीं है, बल्कि मप्र की महिलाओं के सम्मान और उनके परिवार की सुरक्षा, युवाओं की रोजी-रोटी और भविष्य से जुड़ा एक सामाजिक विषय है।

 उन्होंने आगे लिखा है कि मेरी इस विषय पर जब भी मुलाकात हुई, तो मैंने उसे कभी सार्वजनिक नहीं किया, क्योंकि मुझे भरोसा हो जाता था कि सकारात्मक परिणाम आएगा। इस कारण से कई बार मेरे मौन से मैं निंदा, उपहास एवं आलोचना की पात्र बनी, इसलिए अब मैं आपसे अपनी पार्टी के मुखिया से सार्वजनिक अपील करती हूं कि शराब व नशे पर पार्टी के वरिष्ठ जनों से आप परामर्श करके एक जैसी शराब नीति सभी भाजपा शासित राज्यों को लागू करने का निर्देश दें। जैसे- गांव और शहरों में भीड़ को खुले अहातों में शराब पिलाना, किसी भी धार्मिक स्थल एवं शिक्षण संस्थाओं से शराब की दुकान की दूरी एवं निश्चित समय पर ही दुकान का खुलना, 11 शराब की बोतलें घर ले जाने की अनुमति, एक के बदले एक मुफ्त बोतल देने की दुकानदारों की नीति, मजदूरों की बस्तियों के पास शराब की दुकान एवं अहाता तथा जहां महिलाएं एकत्रित होती हो, इन सब में पार्टी की नीति स्पष्ट हो व हमारी पार्टी की हर राज्य सरकार उसका पालन करने के लिए बाध्य हो।

 अहातों को लाइंसेंस देना बताया गैरकानूनी

उमा ने उदाहरण देते हुए लिखा कि हमारे देश में शराब पीकर वाहन चलाना अपराध है, तो फिर हमारी मप्र की सरकार ने खुले अहातों में झुंड लोगों को शराब पिलाने का लाइसेंस देकर क्या गैरकानूनी काम नहीं किया, क्योंकि यह शराब के नशे में ही अपने घर तक वाहन से जाते हैं। अभी भी मेरा भरोसा शिवराज जी और उन सब पर है, जिनसे मैं मुलाकात कर चुकी हूं। मुझे भरोसा है कि मप्र की सरकार अपनी शराब नीति को वापस लेकर नई संशोधित नीति को आपके मार्गदर्शन में प्रस्तुत करेगी। आप मेरा बहुत सम्मान करते हैं और मुझे अच्छी तरह से जानते हैं कि मैं पार्टी लाइन नहीं तोड़ती हूं, लेकिन जिन विषयों पर मेरी आस्था होती है, उन्हें छोड़ नहीं सकती। आप इस पत्र में शराब के संबंध में उठाए गए बिंदुओं के निराकरण का मार्ग निकालिए।

उमा भारती के इस पत्र के बाद प्रदेश सरकार और उनके बीच की दूरी साफ दिखाई दे रही है। सरकार द्वारा उनके शराब बंदी अभियान की अनदेखी की गई और यही नहीं इसके उलट नई शराब नीति लागू की गई। इससे ज्यादा बिक्री वाली अंग्रेज़ी शराब दुकानों की संख्या कम होने की बजाए बढ़ गई। वहीं सरकार ने शराब बिक्री बढ़ाने के लिए कई और नए तरीके अपनाए। दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी के नेता प्रदेश सरकार और उमा भारती के बीच चल रही इस वैचारिक खींचतान पर तंज़ कस रहे हैं।

 

हालांकि ऐसे में साफ है उमा भारती ने प्रदेश में अपनी ही पार्टी की मजबूत लॉबी से अलग रास्ता अपनाया। ऐसे में उन्हें सामाजिक तौर पर भी अच्छा सर्मथन मिल रहा है। वहीं कई दूसरे लोग उमा से पूछ रहे हैं कि शराब के बिना प्रदेश की जीडीपी कैसे मज़बूत होगी। 



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