मध्य प्रदेश में सहकारी दुग्ध संघ “सांची” को लेकर एक बार फिर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर सांची दुग्ध संघ को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) को सौंपने के फैसले पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने मांग की है कि इस प्रक्रिया में किसानों और कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखा जाए और सांची को अमूल पर निर्भर न बनाया जाए।
दिग्विजय सिंह ने लिखा पत्र
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपने पत्र में कहा कि NDDB को सांची का प्रबंधन सौंपने के बाद सहकारी दुग्ध संघ के किसानों और कर्मचारियों को किसी भी प्रकार की हानि नहीं होनी चाहिए। उन्होंने यह भी मांग की कि इस प्रक्रिया में किसानों की सहभागिता सुनिश्चित होनी चाहिए और उनके प्रतिनिधियों को समिति में शामिल किया जाना चाहिए।
मुख्य सुझाव और मांगें
दिग्विजय सिंह ने पत्र में किसानों और दुग्ध प्रदायकों की ओर से कुछ महत्वपूर्ण मांगें रखी हैं:
1. किसानों और कर्मचारियों के हितों की सुरक्षा: NDDB को प्रबंधन सौंपने के बाद उनके अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए।
2. अमूल पर निर्भरता का खतरा: सांची को अमूल के ऊपर आश्रित न बनाया जाए, ताकि ब्रांड की स्वतंत्रता बनी रहे।
3. किसानों की भागीदारी: सांची दुग्ध संघ की प्रबंधन समिति में किसानों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए।
4. दूध के उचित मूल्य: भोपाल सहित अन्य जिलों में किसानों को दूध के लिए अधिक मूल्य दिया जाए।
5. दूध में मिलावट पर रोक: प्रदेश में मिलावटखोरी पर सख्त कार्रवाई की जाए।
6. बोनस का भुगतान: किसानों को दिए जाने वाले बोनस का भुगतान जल्द किया जाए, जो लंबे समय से लंबित है।
विपक्ष के आरोप
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने NDDB को सांची का प्रबंधन सौंपने को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि यह कदम अमूल को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से उठाया गया है। विपक्ष का दावा है कि सांची जैसे सहकारी ब्रांड को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।
सरकार का पक्ष
राज्य सरकार का कहना है कि NDDB को सांची का प्रबंधन सौंपने का उद्देश्य ब्रांड को अधिक कुशल और प्रतिस्पर्धी बनाना है। सरकार के अनुसार, इससे किसानों को बेहतर मूल्य मिलेगा और ब्रांड की गुणवत्ता में सुधार होगा।
केंद्र की भूमिका और आगामी कदम
सांची का प्रबंधन NDDB के हाथों में अगले 5 वर्षों तक रहेगा। इस अवधि में ब्रांड की संरचना और संचालन में व्यापक बदलाव की संभावना है। हालांकि, यह देखा जाना बाकी है कि यह बदलाव किसानों और कर्मचारियों के लिए कितना लाभदायक होगा।