पीथमपुर में “धीमी मौत”? यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा जलाने पर हंगामा


भोपाल गैस पीड़ित संगठनों ने पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को जलाने पर गंभीर आपत्ति जताई। संगठनों ने सरकार से इसे अमेरिका भेजने की मांग की। पढ़ें पूरी खबर।


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भोपाल Updated On :

भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ित संगठनों ने पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को जलाने को लेकर गंभीर आपत्ति जताई है। इन संगठनों ने सरकार से अपील की है कि वह इस कचरे के निपटान के लिए कानूनी और सुरक्षित तरीका अपनाए ताकि पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य को होने वाले संभावित नुकसान से बचा जा सके।

भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने हाल ही में सूचना के अधिकार (RTI) के तहत प्राप्त दस्तावेज़ों के आधार पर बताया कि मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPPCB) ने दिसंबर 2024 में पीथमपुर वेस्ट मैनेजमेंट फैसिलिटी को जल संरक्षण अधिनियम, 1974 के उल्लंघन पर कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

भूजल हो सकता है जहरीला

पीड़ित संगठनों ने बताया कि पीथमपुर में पहले से ही लैंडफिल से जहरीले रसायनों का रिसाव हो रहा है, जिससे आसपास के इलाकों का भूजल दूषित हो सकता है। हालिया परीक्षणों में डाइक्लोरोबेंजीन और ट्राइक्लोरोबेंजीन जैसे रसायनों की मौजूदगी पाई गई है, जो भोपाल के जहरीले पानी में भी मौजूद रहे हैं। भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष नवाब खान ने कहा, “अगर अमेरिका अपनी नीतियों के तहत हमारे नागरिकों को बेड़ियों में भेज सकता है, तो हमारी सरकार कानूनी तरीके से इस कचरे को अमेरिका क्यों नहीं भेज सकती?”

 

डीजल जलाने से बढ़ेगा प्रदूषण

भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने बताया कि जब 2015 में यूनियन कार्बाइड के 10 टन कचरे को जलाया गया था, तब 80 हजार लीटर डीजल का उपयोग हुआ था। यह 2010-12 के अन्य खतरनाक कचरे की तुलना में 30 गुना अधिक था। इतना अधिक डीजल जलाने से हवा में खतरनाक प्रदूषण होगा, जिससे डाइऑक्सिन और फ्यूरन्स जैसे जहरीले तत्व बढ़ सकते हैं।

 

कचरे के निपटान में भारी चूक?

भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 337 टन कचरे के जलाने से 900 टन से अधिक जहरीली राख बनेगी, जिसमें भारी धातुएं मौजूद होंगी। इस राख को प्लास्टिक शीट से ढकने की योजना है, लेकिन इससे लीक होने का खतरा बना रहेगा। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने 2003 में कोडाइकनाल के यूनिलीवर थर्मामीटर प्लांट से 300 टन जहरीला कचरा न्यूयॉर्क भेजा था, तो मध्य प्रदेश सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकती?

सरकार से मांग – अमेरिका भेजा जाए कचरा

संगठनों ने मांग की है कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर इस कचरे के निपटान के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करें और इसे अमेरिका भेजने की व्यवस्था करें। उनका कहना है कि अगर यह कचरा पीथमपुर में जलाया गया, तो वहां एक “धीमी मौत” वाला भोपाल दोहराया जा सकता है।

भोपाल गैस पीड़ितों के इन संगठनों ने न्यायपालिका से भी अपील की है कि वे इस मामले को गंभीरता से लें और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनदेखी को संज्ञान में लें।



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