
मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने आज विधानसभा में वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश किया। 4 लाख 21 हजार 32 करोड़ रुपये के इस बजट में सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों के लिए नई योजनाओं की घोषणा की है। हालांकि, विपक्षी दल कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने इस बजट को आड़े हाथों लेते हुए इसे जनविरोधी और कॉरपोरेट हितैषी करार दिया है।
विपक्ष का आरोप: कर्ज़ के बोझ तले दबा प्रदेश
कांग्रेस नेताओं ने बजट पेश होने से पहले ही विधानसभा परिसर में अनोखे तरीके से विरोध प्रदर्शन किया। विधायकों ने सिर पर काले रंग की पोटली और शरीर पर जंजीरें लपेटकर सरकार की कर्ज़ नीति के खिलाफ नाराजगी जताई। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि प्रदेश सरकार की लापरवाही और कर्ज़ लेने की आदत ने आम जनता को कर्ज़ की जंजीरों में जकड़ दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि हर व्यक्ति पर 55,000 रुपये से ज्यादा का कर्ज़ थोप दिया गया है, और सरकार बेशर्मी से कर्ज़ लेकर घी पी रही है। माकपा के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने भी बजट पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि 4 लाख 34 हजार करोड़ रुपये के कर्ज़ वाले राज्य में 4 लाख 21 हजार 32 करोड़ रुपये का बजट पेश करना राज्य की वित्तीय स्थिति को दर्शाता है। इसमें भी 78 हजार 902 करोड़ रुपये का घाटा है, जो आगामी वित्त वर्ष के अंत तक कर्ज़ को 5 लाख 12 हजार 902 करोड़ रुपये तक पहुंचा देगा।
किसानों, मजदूरों और युवाओं की अनदेखी का आरोप
विपक्ष ने आरोप लगाया कि बजट में किसानों, मजदूरों, महिलाओं और युवाओं की उम्मीदों को नजरअंदाज किया गया है। कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने बजट को कर्ज़ में डुबोने वाला दस्तावेज़ बताया और कहा कि इसमें विकास की कोई ठोस योजना नहीं है। उन्होंने इसे कर्ज़ बढ़ाने, कमीशनखोरी को संस्थागत करने और भ्रष्टाचार को मजबूत करने के लिए तैयार किया गया बजट करार दिया।
माकपा नेता जसविंदर सिंह ने कहा कि बजट में किसानों से गेहूं 2500 रुपये और धान 3100 रुपये में खरीदने के चुनावी वादे पर चुप्पी साध ली गई है। लाड़ली बहनों के नए पंजीयन या उन्हें 3000 रुपये प्रतिमाह देने की घोषणा भी नहीं की गई है। एक लाख भर्ती के मुद्दे पर भी बजट में कोई प्रावधान नहीं है। रोजगार के लिए सिर्फ 1 प्रतिशत की व्यवस्था युवाओं के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। ‘
आर्थिक सर्वेक्षण और बजट में विरोधाभास
माकपा ने बजट और एक दिन पहले जारी आर्थिक सर्वेक्षण के बीच विरोधाभास की ओर इशारा किया। सर्वेक्षण में निजी क्षेत्र में रोजगार में कमी और महिलाओं के रोजगार में और भी अधिक कमी का उल्लेख है। बजट में 17 प्रतिशत राशि ढांचागत विकास के लिए है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह विकास पूंजीपतियों के लिए होगा या पीपीपी मोड से उनकी तिजोरियां भरने के लिए।
शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र की उपेक्षा
राज्य सरकार द्वारा जारी आर्थिक सर्वेक्षण में स्कूलों में छात्र-छात्राओं की घटती संख्या पर चिंता व्यक्त की गई है, लेकिन बजट में इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। सामाजिक क्षेत्र में भी आदिवासी और दलित आबादी के अनुपात में खर्च कम है। स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार की बजाय आम जनता को माफियाओं के हाथों लुटने के लिए छोड़ दिया गया है।
सरकार का पक्ष: विकास और कल्याण का बजट
वहीं, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बजट को हर वर्ग के विकास और विश्वास का बजट बताया है। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 4,21,032 करोड़ रुपये का यह बजट ऐतिहासिक है, जो विकसित मध्यप्रदेश की विकास यात्रा को नई ऊर्जा और गति प्रदान करेगा।