
मध्य प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र का सोमवार को पांचवां दिन हंगामे से भरा रहा। कांग्रेस विधायकों ने मंडला जिले में हुए नक्सली एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए उसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग की। जब सरकार ने इस पर कोई ठोस जवाब नहीं दिया, तो विपक्षी विधायक नारेबाजी करते हुए सदन से वॉकआउट कर गए।
आदिवासी विधायकों का जोरदार प्रदर्शन
वॉकआउट के बाद कांग्रेस के आदिवासी विधायक ओमकार सिंह मरकाम, डॉ विक्रांत भूरिया, हीरालाल अलावा और कमलेश्वर डोडियार ने विधानसभा परिसर में भी विरोध प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि नक्सली बताकर पुलिस ने एक निर्दोष बैगा आदिवासी युवक की हत्या कर दी है।
विधायक ओमकार सिंह मरकाम ने कहा,
“सरकार मंडला एनकाउंटर की जांच कराने से बच रही है। जब हमने विधानसभा में इस पर चर्चा की मांग की, तो अध्यक्ष ने इसे अस्वीकार कर दिया। भाजपा सरकार तानाशाही रवैया अपना रही है, इसलिए हमने विधानसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया।”
क्या है मंडला एनकाउंटर मामला?
पुलिस ने बीते सप्ताह मंडला जिले के कान्हा क्षेत्र में एक माओवादी को मारने का दावा किया था। मृतक की पहचान खटिया नारंगी गांव के हीरन सिंह बैगा के रूप में हुई। हालांकि, परिजनों ने पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाया और दावा किया कि हीरन सिंह नक्सली नहीं था, बल्कि उन्हें साजिश के तहत मारा गया।
इस घटना के बाद गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (GGP) के प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर कमलेश तेकाम ने इसे “पुलिस की सुनियोजित साजिश” करार दिया और कहा कि सरकार आदिवासियों पर अत्याचार कर रही है।
कमलनाथ का सरकार पर हमला
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोमवार को विधानसभा पहुंचकर इस मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने मऊगंज में एएसआई की हत्या और इंदौर में वकील-पुलिस झड़प का भी जिक्र करते हुए कहा कि,
“मध्य प्रदेश अब कानून अव्यवस्था की राजधानी बन चुका है। भ्रष्टाचार की राजधानी बन चुका है। पूरा देश यहां की स्थिति देख रहा है।”
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार लोकायुक्त से मिले
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल भोपाल में लोकायुक्त से भी मिला। इस दौरान परिवहन विभाग में हुए सौरभ शर्मा घोटाले के सबूत सौंपे गए और जांच में तेजी लाने की मांग की गई।
सियासी संग्राम जारी
मंडला एनकाउंटर को लेकर कांग्रेस और आदिवासी संगठनों का विरोध तेज होता जा रहा है। विपक्ष इसे सरकारी तानाशाही करार दे रहा है, जबकि सरकार इस पर चुप्पी साधे हुए है। अब देखना होगा कि इस मामले में कोई नई जांच होती है या फिर यह विवाद सिर्फ सियासी बयानबाजी तक सीमित रह जाएगा।