भोपाल। प्रदेश की आबादी का करीब तीन प्रश जाट समाज से आते हैं और अब ये समाज भी अपने लिए अधिकार मांग रहा है। मप्र में आने वाले दिनों में जाट समाज का सम्मेलन होने जा रहा है।
इस सम्मेलन में करीब पांच लाख से अधिक नागरिकों के पहुंचने की संभावना है। इसके लिए लगातार तैयारियां तेज़ हैं। समाज के लोगों में लगातार बैठकें हो रहीं हैं।
इस सम्मेलन में अन्य प्रदेशों से भी जाट समाज से आने वाले नामचीन लोगों को बुलाया जा रहा है। इनमें फिल्म अभिनेता धर्मेंद्र, सनी देओल और जम्मूकश्मीर के पूर्व गर्वनर सत्यपाल मलिक, अभिनेता रणदीप हुड्डा आदि कई लोग पहुंच रहे हैं।
इस सम्मेलन के आयोजनकर्ताओं में शामिल राधे जाट ने बताया कि मप्र में पहली बार जाट समाज को एक साथ लाने की तैयारी की गई है और 14 मई को होने वाला यह कार्यक्रम काफी बड़ा होगा।
जाट के मुताबिक मप्र में जाट समुदाय के कई संगठन हैं और अब वे एक साथ आ रहे हैं। इस तरह प्रदेश में करीब 15 लाख से अधिक की जाट आबादी को एक साथ लाने की तैयारी है।
जाट समाज के एक साथ आने के कई बड़े कारण हैं। इनमें से एक बड़ा कारण केंद्र सरकार द्वारा जाटों को ओबीसी श्रेणी में शामिल करने का है।
जाट समाज को राष्ट्रीय स्तर पर ओबीसी का आरक्षण चाहिए। हालांकि 2014 में यूपीए सरकार ने इसे लेकर फैसला कर लिया था लेकिन इस मामले को कोर्ट में चुनौती दे दी गई और फिर यह मामला अटक गया।
जाट समुदाय की इसके अलावा भी कई मांगें हैं। राधे जाट ने बताया कि इतिहास के कई जाट महापुरुषों और राजाओं की पहचान को बदल दिया गया है।
यह इतिहास का हिस्सा है लेकिन इससे छेड़खानी की जा रही है। अपनी बात स्पष्ट करते हुए राधे जाट कहते हैं कि मंदसौर में छठी सदी में हूणो को हराने वाले महाराजा यशोवर्धन जाट थे लेकिन उन्हें ब्राम्हण बता दिया गया।
वे इस धरती के महान योद्धाओं में थे ऐसे में उन्हें उचित सम्मान मिलना चाहिए उनकी सही पहचान बताई जानी चाहिए और भोपाल में उनकी प्रतिमा लगवानी चाहिए।
अन्य मांगें…
- चंदेरी के पूरणमल जाट ने बाबर को हराया था। उनके अलावा भी कई बड़े योद्धा और अन्य लोग जाट समुदाय से आते हैं लेकिन इनके बारे में जानकारी नहीं दी जाती।
- जाटों के आराध्य लोकदेवता तेजाजी महराज की दशमीं का अवकाश रखा जाए।
- एक अन्य मांग गोहद के राजा भीम सिंह राणा के किले को संरक्षित करने की भी है।
- मप्र में जाट समुदाय की संख्या अच्छी है ऐसे में उनका राजनीतिक प्रतिनिधित्व होना चाहिए। फिलहाल प्रदेश में केवल तीन जाट नेता हैं। इनमें विक्रम वर्मा, कमल पटेल और राव उदय प्रताप हैं। इस बार जाटों की मांग है कि राजनीतिक दल उनके समाज के करीब बीस लोगों को टिकिट दें।
- रतलाम मेडिकल कॉलेज को भगत सिंह के नाम पर करना।
- तेजाजी बोर्ड का गठन।
जाट समुदाय को एक साथ लाने का बीड़ा युवाओं ने उठाया है। राधे जाट के अलावा इस टीम में रंजीत जाट, संजय खेरवा और कई दूसरे युवा भी शामिल हैं। वहीं जाटों के संगठन भी इनके साथ आए हैं।
इनमें जाट आरक्षण समिति के प्रदेशाध्यक्ष लक्ष्मीनारायण गोरा, अखिल भारतीय जाट महासभा के प्रदेशाध्यक्ष विलास पटेल , शिव पटेल, हर नारायण माली, शंकर घुड़िया, सुदीप बेड़ा, शांतिलाल जाणी आदि कई वरिष्ठ साथ आए हैं।
मप्र में होने वाले जाटों के इस पहले सम्मेलन में समाज के कई नामचीन लोग पहुंच रहे हैं। इनमें अभिनेता धर्मेंद्र, जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल रहे सतपाल मलिक, अभिनेता सनी देओल, किसान नेता राकेश टिकैत, राजनेता हनुमान बेनिवाल, पंजाब से केप्टिन अमरिंदर सिंह, बॉक्सर विजेंद्र सिंह, दीपक हुड्डा, स्वीटी बोरा, अभिनेता रणदीप हुड्डा, इतिहासकार भलाराम, हरियाणा से अभय चौटाला, संजीव बालियान आदि कई लोग पहुंच रहे हैं।
14 मई को भोपाल के दशहरा मैदान में इस सम्मेलन के लिए तैयारियां की जा रहीं हैं। इसके लिए समाजजनों की बैठकें लगातार जारी हैं। रतलाम, हरदा, होशंगाबाद, मंदसौर आदि जाट बाहुल्य इलाकों से बड़ी भीड़ भोपाल जाएगी।