रिटायरमेंट के बाद जस्टिस रोहित आर्य ने पहना भाजपा का पट्टा


जस्टिस आर्य सेवानिवृत्ति के तीन महीने बाद, भाजपा मध्य प्रदेश प्रमुख डॉ. राघवेंद्र शर्मा ने भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्हें सदस्यता दिलाई।


DeshGaon
भोपाल Updated On :

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के तेज़ तर्रार जज रहे जस्टिस (रिटा.) रोहित आर्य ने अपना सियासी करियर शुरू किया है। शनिवार को उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली। तीन महीने पहले ही जस्टिस आर्य का रिटायरमेंट हुआ है और न्यायिक सेवा से निकलकर सीधे भाजपा में जाने के उनके फैसले से कई लोग अचरज में हैं। भाजपा कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में भाजपा के सदस्यता अभियान के प्रमुख मध्य प्रदेश प्रमुख डॉ. राघवेंद्र शर्मा ने उन्हें सदस्यता दिलाई।

1962 में जन्मे जस्टिस आर्य ने 1984 में अधिवक्ता के रूप में अपना करियर शुरू किया था। 2003 में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया था। सिविल कानून, वाणिज्यिक कानून, मध्यस्थता, प्रशासनिक कानून, सेवा कानून, श्रम कानून और कर कानून जैसे प्रमुख प्रैक्टिस क्षेत्रों में उनकी विशेषज्ञता थी। उन्होंने केंद्र सरकार, भारतीय स्टेट बैंक, दूरसंचार विभाग, बीएसएनएल, कर्मचारी राज्य बीमा निगम और आयकर विभाग जैसे कई निकायों का भी प्रतिनिधित्व किया।

2013 में जस्टिस आर्य हाई कोर्ट के जज बने और 2015 में उन्हें स्थायी जज के रूप में शपथ दिलाई गई। वह 27 अप्रैल, 2024 को सेवानिवृत्त हुए थे।

जस्टिस आर्य के फैसले…

2021 में जस्टिस आर्य ने कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी और नलिन यादव को धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में जमानत देने से इनकार कर दिया था। उन्होंने अपने आदेश में जोर दिया कि धार्मिक, भाषाई, सांप्रदायिक और क्षेत्रीय विविधताओं के बावजूद सद्भाव और समान भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना हर नागरिक और राज्य का संवैधानिक कर्तव्य है। राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे समाज में यह पारिस्थितिकी तंत्र और सह-अस्तित्व नकारात्मक शक्तियों द्वारा प्रदूषित न हो। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को खारिज कर फारुकी को जमानत दी थी।

“राखी बंधवाओ…”

2020 में, जस्टिस आर्य ने एक महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के आरोपी को शिकायतकर्ता के समक्ष उपस्थित होने के लिए जमानत प्रदान की थी, ताकि वह उसकी कलाई पर राखी बांध सके। उन्होंने आरोपी और उसकी पत्नी को रक्षाबंधन के दिन राखी और मिठाई लेकर शिकायतकर्ता के घर जाने का आदेश दिया था। इस निर्देश को सुप्रीम कोर्ट ने बाद में खारिज कर दिया था और इन जमानत शर्तों की कड़ी आलोचना भी की थी।

जस्टिस आर्य का जन्म 1962 में हुआ था और उन्होंने 1984 में वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया था। 2003 में उन्हें मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने वरिष्ठ वकील के रूप में नामित किया। वह विभिन्न कानूनी क्षेत्रों में विशेषज्ञ हैं और उन्होंने कई सरकारी निकायों का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं। साल 2013 में जस्टिस आर्य उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने और 2015 में स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। 27 अप्रैल, 2024 को उन्होंने सेवानिवृत्ति प्राप्त की।


Related





Exit mobile version