संविदा वेतनमान में अनियमितता: हाई कोर्ट के आदेश की अवमानना पर अफसरों के खिलाफ वारंट


आदेश के बाद भी नहीं मिल रहा पूरा वेतन, कई संविदा पदों पर वेतन घट गया


DeshGaon
भोपाल Published On :

मप्र में संविदा नीति-2023 के तहत वेतनमान निर्धारण में हो रही गड़बड़ियों को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। प्रदेश के विभिन्न विभागों में संविदा कर्मचारियों के वेतनमान में समकक्षता न होने और वेतन में कटौती से जुड़ी शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। इंदौर हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश में मनरेगा के अधिकारियों के वेतन समकक्षता को निर्धारित कर उन्हें एरियर के साथ भुगतान का निर्देश दिया था। इसके बावजूद, कई मामलों में सरकार की ओर से आदेश का पालन नहीं किया गया।

 

हाई कोर्ट के आदेश की अवमानना करने पर स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव (एसीएस) मोहम्मद सुलेमान समेत पांच अधिकारियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया गया है। यह मामला इंदौर के एक कर्मचारी के वेतनमान से संबंधित है, जिसके लिए अप्रैल 2024 में कोर्ट ने चार माह के भीतर वेतनमान देने का आदेश दिया था। इसके बावजूद संबंधित अधिकारी द्वारा आदेश का पालन नहीं किया गया।

 

इस संविदा नीति के तहत अब तक 25,000 से अधिक अफसर-कर्मचारियों के वेतन में कटौती की गई है। विभिन्न विभागों में कर्मचारियों की ग्रेड पे घटाई गई है, जिससे उनका वेतन कम हो गया है।

उदाहरण के लिए, एमपीआरआरडीसी में सहायक प्रबंधक की ग्रेड पे 5400 से घटाकर 3600 रुपए कर दी गई, जिससे उनका वेतन 15 हजार रुपए कम हो गया। इसी प्रकार, 10,000 डाटा एंट्री ऑपरेटर्स का ग्रेड पे 2400 रुपए से घटाकर 1900 रुपए कर दिया गया है, जिससे उनका वेतन 5 हजार रुपए घट गया है।

 

संविदाकर्मियों के लिए पूर्ववर्ती शिवराज सरकार ने 100% वेतनमान देने की नीति बनाई थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग में कई कर्मचारियों को यह लाभ नहीं मिल पाया है। पार्थन पिल्लई नामक कर्मचारी ने इस मुद्दे पर अफसरों से शिकायत की थी, लेकिन सुनवाई न होने पर उन्हें कोर्ट की शरण लेनी पड़ी।

 

इस मुद्दे पर अगली सुनवाई 9 सितंबर को होगी, और अब यह देखना होगा कि सरकार और संबंधित अधिकारी कोर्ट के आदेशों का पालन कब तक और कैसे करते हैं।


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