भोपाल। प्रदेश के सत्तर हजार अध्यापकों की बीस साल की नौकरी की वरिष्ठता शून्य हो सकती है। इसके विरोध में अब कई शिक्षक हाईकोर्ट में याचिका लगा रहे हैं। दरअसल साल 2018 में राज्य सरकार ने चुनावों से ठीक पहले लिए एक फैसले में अध्यापक संवर्ग के संविलियन की घोषणा की थी लेकिन जब संविलियन हुआ तो इन्हें नए कैडर में 2018 से नियुक्त होना माना गया। इस कदम से शिक्षकों की पुरानी वरिष्ठता अपने आप शून्य हो सकती है।
इस संविलियन प्रक्रिया के बाद अगर अध्यापकों की वरिष्ठता समाप्त होती है तो उन्हें ग्रेच्युटी, परिवार पेंशन, क्रमोन्नति, पदोन्नति, समयमान वेतनमान, अनुकंपा नियुक्ति, अर्जित अवकाश और नगदीकरण जैसी सुविधाएं नहीं मिलेंगी।
मध्यप्रदेश शासकीय अध्यापक संगठन के संयोजक उपेंद्र कौशल, जितेंद्र शाक्य, आजाद अध्यापक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष शिवराज वर्मा आदि इस कदम के विरोध में हैं। उन्होंने इसे विसंगतिपूर्ण बताया है। अध्यापक उच्चन्यायलय में इसके खिलाफ एक चाचिका भी दायर कर चुके हैं।