MP में निकाय व पंचायत चुनाव को लेकर सभी पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित


सुप्रीम कोर्ट पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट का आकलन करने के बाद फैसला सुनाएगा। इस मामले में बुधवार को सुबह 10 बजे और गुरूवार को दोपहर 2 बजे की तारीख तय की गई है।


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भोपाल Published On :
Supreme Court of India

भोपाल। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण के साथ होंगे या नहीं, इसका प्रदेशवासियों को इंतजार करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सभी पक्षों को सुनने के बाद फिलहाल फैसला सुरक्षित रख लिया है।

सुप्रीम कोर्ट पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट का आकलन करने के बाद फैसला सुनाएगा। इस मामले में बुधवार को सुबह 10 बजे और गुरूवार को दोपहर 2 बजे की तारीख तय की गई है।

इस बीच, नगरीय विकास व आवास विभाग के मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया है कि सुप्रीम कोर्ट ने कुछ और जानकारी मांगी हैं, जिसे जल्द उपलब्ध करा दिया जाएगा।

गौरतलब है कि शिवराज सरकार सुप्रीम कोर्ट में राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की वार्डवार रिपोर्ट प्रस्तुत कर चुकी है। साथ ही पुनर्विचार आवेदन में 2022 के परिसीमन से चुनाव कराने की अनुमति मांगी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने दस मई को राज्य निर्वाचन आयोग को दो सप्ताह के भीतर चुनाव की अधिसूचना जारी करने के आदेश दिए हैं। आयोग अपने स्तर पर तैयारी कर चुका है।

नगरीय विकास एवं आवास विभाग से उन निकायों की जानकारी मांगी गई है, जहां कार्यकाल पूरा हो चुका है और चुनाव कराए जाने हैं। वहीं, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से नए परिसीमन के आधार पर आरक्षण करने के लिए कहा गया है।

दोनों विभागों ने अपने स्तर पर तैयारियां भी कर ली हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई का इंतजार किया जा रहा है। दरअसल, सरकार ने चुनाव कराने के लिए आरक्षण सहित अन्य प्रक्रिया करने के लिए दो-तीन सप्ताह का समय मांगा है।

सूत्रों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट यदि राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट को मान्य कर लेता है तो फिर ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराए जा सकते हैं।

आयोग ने सरकार से ओबसी को 35 प्रतिशत आरक्षण देने की अनुशंसा की है। आयोग का दावा है कि प्रदेश के कुल मतदाताओं में 48 प्रतिशत ओबीसी हैं।

उधर, भाजपा और कांग्रेस ने ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव होने की स्थिति में 27 प्रतिशत टिकट ओबीसी को देने की घोषणा कर दी है।

दरअसल, प्रदेश में ओबीसी कई विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका में हैं और अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में कोई भी दोनों प्रमुख दल इस वर्ग की नाराजगी मोल लेना नहीं चाहते हैं।


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