फोन करते ही पशुओं के उपचार के लिए अब घर पहुंचेगी चिकित्सा टीम के साथ ANIMAL AMBULANCE


जिले के 13 विकासखंडों में 13 वैन रहेगी उपलब्ध, एक वाहन जिला मुख्यालय पर रहेगी तैनात।


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घर की बात Published On :
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धार। भारत सरकार की योजना चलित पशु उपचार की शुरुआत होने जा रही है और अब पशुपालकों को पशुओं के उपचार के लिए नजदीकी हॉस्पिटल नहीं जाना पड़ेगा। उनके पशुओं को घर पर ही उपचार की सुविधा मिलेगी।

जिले में 10 लाख गाय व भैस के साथ 8 लाख बकरी, अन्य हजार पालतू पशु को पशु संजीवनी का लाभ मिलेगा। धार जिले में सरकार 14 मोबाइल वेटरनरी वैन देने वाली है। इस वैन में एक डॉक्टर के साथ दो सहयोगी रहेंगे जिनके साथ दवाइयां और अन्य सुविधाएं मौजूद रहेंगी।

इस सुविधा का लाभ लेने के लिए पशुपालकों को पशु संजीवनी 1962 नंबर पर कॉल करना पड़ेगा, जिस पर वह अपने पशु की बीमारी के बारे में बताएंगे जिसे उनके पशुओं का उपचार होगा।

पशुपालकों को पशु के बीमार होने पर यहां-वहां भटकना नहीं पड़ेगा क्योंकि जिले के चिकित्सा विभाग को अब 14 मोबाइल वैन मिलने वाली है। एक कॉल करते ही पशु चिकित्सक विभाग की टीम सर्वसुविधायुक्त मोबाइल वैन पशुपालक के घर पहुंचकर पशुओं का उपचार करेगी। मुख्यालय को एक और विकासखंडों में भी 13 मोबाइल वैन तैनात रहेगी।

जिले के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी वर्मा ने बताया कि मॉनिटरिंग जिला कार्यालय से की जाएगी। यह मोबाइल वैन भी एम्बुलेंस की तर्ज पर कार्य करेंगी। इसमें फर्क सिर्फ इतना रहेगा कि एम्बुलेंस में मरीजों को अस्पताल लाया जाता है और पशुपालन विभाग की ओर से संचालित होने वाली मोबाइल वैन में संबंधित स्थान पर पहुंचकर पशुओं का उपचार करेंगे।

पशुपालकों के लिए राहत भरी खबर –

मवेशियों के इलाज के लिए उन्हें अब पशु चिकित्सालय और चिकित्सकों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मवेशियों का इलाज कराने पशुपालकों को 1962 नंबर पर डायल करना होगा। चिकित्सक एम्बुलेंस के साथ दरवाजे पर पहुंचकर इलाज करेंगे।

सरकार की पशु संजीवनी योजना के तहत यह व्यवस्था प्रदेशभर के साथ जिले में जल्द शुरू होने जा रही है। पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक एम्बुलेंस सेवा लेने के लिए पशुपालकों को 1962 नंबर डायल करना होगा।

ये नंबर केंद्रीयकृत व्यवस्था के तहत भोपाल में रिसीव होगा और वहां से यहां चिकित्सकों को विवरण उपलब्ध कराते हुए मौके पर भेजा जाएगा। जिले के 13 विकासखंड में एक-एक एम्बुलेंस संचालित करने की योजना है।

एम्बुलेंस में चिकित्सक के साथ स्टाफ भी मौजूद होगा। मवेशियों का इलाज यथासंभव पशुपालकों के घर पर ही किया जाएगा। एम्बुलेंस में सभी आवश्यक उपकरण और दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

बीमार होने पर छोड़ देते हैं –

पशु चिकित्सा विभाग के अनुसार केंद्र सरकार की योजना के तहत एम्बुलेंस सेवा शासन शुरू करने जा रहा है। कुछ वर्ष पहले योजना को शुरू किया जाना था, लेकिन अपरिहार्य कारणों से शासन स्तर पर ही योजना लंबित हो गई थी।

अब योजना शुरू होने से ग्रामीणों को राहत मिलेगी। गांवों में लगभग हर घर में मवेशी होते हैं और बीमार पड़ने पर तमाम तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है।

आमतौर पर देखने को मिलता है कि मवेशी बीमार हुए तो इलाज के अभाव में उनकी मौत हो जाती है क्योंकि बहुत कम पशुपालक चिकित्सकों की मदद लेते हैं। आज भी मवेशियों के बीमार होने पर पशुपालक देसी व घरेलू इलाज ही करते हैं।

बीमार मवेशी ठीक नहीं हुआ और अनुपयोगी हो गया तो उसे छोड़ दिया जाता है। शहर से लेकर गांवों तक ऐसे मवेशियों को बड़ी संख्या में देखा जा सकता है।

150 रुपये का भुगतान –

पशुपालकों को घर पर सेवा लेने 150 रुपये का भुगतान करना होगा। इसका शुल्क सीमित किया गया है। अगर किसी पशुपालक के पास नगद भुगतान देने के लिए पैसा नहीं है तो वह पशु कल्याण समिति के बैंक का क्यूआर कोड रहेगा उसमें भुगतान कर सकता है जिसे शासन की सेवा का कोई अनुचित प्रयोग न करे इसकी देखरेख के लिए जिला मुख्यालय पर नोडल अधिकारी भी रहेगा। एक एम्बुलेंस में एक डॉक्टर, एक कंपाउंडर, एक ड्राइवर रहेगा।

14 वाहन आने वाले हैं –

पशुपालन विभाग को कुल 14 मोबाइल वैन मिलने वाली है। पशुपालकों के एक कॉल करने पर वैन के साथ तैनात अमला बीमार पशुओं का क्षेत्र में जाकर ही उपचार करेगा जिसका शुल्क भी सीमित है। – डीजी वर्मा, उपसंचालक, पशु चिकित्सा, धार



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