ऑक्सीजन की कमी को लेकर घबराए परिजन, अस्पताल से सिलेंडर वार्ड में पहुंचाने लगे


अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक वे सीमित संसाधनों में लगातार काम कर रहे हैं लेकिन महामारी का प्रकोप इतना अधिक है कि अब लोगों की हालत जल्दी खराब हो रही है।


लक्ष्मीकांत तिवारी
दमोह Updated On :

दमोह। उपचुनाव के बाद कोरोना संक्रमण को लेकर जैसा अंदेशा था अब वही तस्वीर लोगों के सामने आ रहा रही है। मतदान के बाद लगातार ही दमोह जिले में संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है और अब मौतों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है। वहीं अस्पतालों में कोरोना वार्ड का हाल बुरा है जहां भीड़ लगी हुई है।

मंगलवार को दमोह में 103 नए संक्रमित मिले और 8 की मौत हुई। जिले में व्यवस्था चरमरा गई है और ऐसे में लोगों में डर और गुस्सा बढ़ रहा है जिसका सामना डॉक्टरों और नर्सों को ही करना पड़ रहा है।

मंगलवार देर शाम जिला अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी की ख़बर फैल गई। जिसके बाद सिलेंडर के स्टोर रूम में घुसकर मरीजों के परिजनों ने एक के बाद एक ऑक्सीजन सिलेंडर उठाकर मरीजों के पास ले जाने का प्रयास किया देखते ही देखते सिलेंडर की लूट मच गई।

अस्पताल स्टाफ द्वारा रोके जाने पर मरीजों के परिजनों स्टाफ से झगड़ा शुरु कर दिया। जिसके बाद अस्पताल स्टाफ  सारी व्यवस्था छोड़कर बाहर आ गया।

पुलिस और डॉक्टरों के बीच हुई बहस

इसके बाद  सिविल सर्जन डॉ ममता तिमोरी एवं सीएमएचओ डॉ संगीता त्रिवेदी सहित आरएमओ डॉ दिवाकर पटेल ने अस्पताल पहुंचकर मामले को संभाला और मरीजों के परिजनों को समझाया बुझाया।

इस बीच पुलिस भी बुला ली गई। पुलिस ने वार्डों में जाकर मरीजों के परिजनों को समझाईश दी हालांकि डॉक्टरों की नाराज़गी पुलिस से बनी रही।

सिविल सर्जन डॉक्टर ममता तिमोरी का कहना है कि वह एसपी को चार बार पत्र लिख चुकी हैं कि उन्हें सुरक्षा की ज़रूरत है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें सुरक्षा नहीं दी जा रही है। ऐसे में मरीज के परिजन लगातार हंगामा करते हुए अव्यवस्थाएं फैला रहे हैं।

डॉक्टरों के मुताबिक अस्पताल में पुलिस चौकी तो है लेकिन उनसे कोई सहयोग नहीं मिल पा रहा है जिससे मरीजों के परिजन डॉक्टरों से अभद्रता कर रहे हैं।

जिला अस्पताल में मौके पर पहुंचे इंस्पेक्टर मनीष मिश्रा ने बताया कि एक मरीज के साथ कई परिजन अस्पताल में पहुंच रहे हैं जिससे भीड़ बढ़ती है और विवाद बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि अस्पताल पुलिस चौकी स्टाफ के अलावा अतिरिक्त पुलिस बल लगाया जा रहा है। जिससे अस्पताल स्टाफ को परेशानी न हो और मरीज का व्यवस्थित रूप से इलाज हो सके।

अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक वे सीमित संसाधनों में लगातार काम कर रहे हैं लेकिन महामारी का प्रकोप इतना अधिक है कि अब लोगों की हालत जल्दी खराब हो रही है।

देश-प्रदेश  से आ  रही ख़बरों को सुनकर मरीज़ और उनके परिजन डर रहे हैं और फिलहाल उनके साथ केवल डॉक्टर ही पूरी जिम्मेदारी से खड़े हैं  लेकिन परिजन व्यवस्था का गुस्सा डॉक्टरों पर उतार रहे हैं।

मंगलवार को ही देर रात तक कोरोना पॉजिटिव 8 मरीजों की मौत हो चुकी थी। जिसके कारण लोगों में डर और गुस्सा था। हालांकि स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि निर्धारित इलाज प्रत्येक मरीज को उपलब्ध कराया जा रहा है लेकिन कई मरीज गंभीर होने के बाद जिला अस्पताल पहुंचते हैं जिन्हें बचा पाना मुश्किल होता है।

उपचुनाव के बाद क्या यही होना था…

लोगों को अब उपचुनाव में भीड़ जुटाने के परिणाम दिखाई दे रहे हैं। वोटिंग के बाद से ही आश्चर्यजनक तौर पर  दमोह जिले में काफी मरीज मिल रहे हैं और मौतों का आंकड़ा भी बढ़ा है। ये हाल तब है जब स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बुरी तरह चरमराई हुई है।

कुछ दिनों पहले तक लगातार जनता के बीच पहुंच कर उनका दिन में कई बार हालचाल ले रहे राजनेता अब यहां नज़र भी नहीं आ रहे हैं और दूर से ही मास्क लगाने, भीड़ न करने और घर से न निकलने की सलाह दे रहे हैं।


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