दमोह। मार्च 2019 में हुए देवेंद्र चौरसिया हत्याकांंड में पांच आरोपियों की जमानत हाईकोर्ट ने रद्द कर दी है। उच्च न्यायालय ने जिला पंचायत अध्यक्ष बड्डा पुत्र इंद्रपाल और आरोपी खूबचन्द, आमिर, सोहेल व श्रीराम शर्मा ने जमानत की अर्ज़ी लगाई थी। अदालत ने इन याचिकाओं को सुनने के बाद खारिज कर दिया।
आरोपियों के वकील ने अदालत में दलील दी कि देवेंद्र चौरसिया की हत्या में उनका कोई सीधा संबंध नहीं है और न ही वे किसी षड्यंत्र में शामिल थे, लेकिन इसके बावजूद वे दो साल से जेल में हैं और ऐसे में उन्हें जमानत दी जानी चाहिए। इस याचिका पर चौरसिया परिवार के वकीलों की ओर से आपत्ति लगाई गई।
वकीलों ने दलील दी कि मामले के मुख्य आरोपी चंदू सिंह की जमानत सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो चुकी है और ऐसी स्थिति में उच्च न्यायालय को इन जमानत याचिकाओं में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि मामले के कुछ आरोपियों की ओर से न्यायालयीन प्रक्रिया को प्रभावित करने एवं धमकाने की शिकायत भी एक जज द्वारा की गई है जिसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।
वकीलों ने इससे संबंधित दस्तावेज़ भी अदालत के सामने पेश किये। ऐसी स्थिति में जमानत का लाभ देने पर साक्षियों को नुकसान हो सकता है क्योंकि जिन लोगों पर हत्या का आरोप लगा है वे राजनीतिक तौर पर मजबूत हैं।
इस प्रकरण में दो चश्मदीद गवाही दे चुके हैं। दोनों पक्षों की ओर से यह दलीलें सुनने के बाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश शील नागू ने सभी आरोपियों की ओर से प्रस्तुत जमानत अर्जियों को खारिज कर दिया।
उल्लेखनीय है कि इस मामले में दमोह से पथरिया की विधायक रामबाई के पति गोविंद सिंह परिहार और उनके भाई गोविंद सिंह मुख्य आरोपी हैं। पिछले दिनों गोविंद सिंह को पकड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया था।
कोर्ट ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल उठाए थे। जिसके बाद पुलिस ने विधायक पति गोविंद सिंह को पकड़ने के लिए पुलिस ने कई टीमें गठित की और छापे मारे, लेकिन बाद में गोविंद सिंह ने खुद ही आत्मसर्मपण कर दिया।