कड़ी ठंड में भी जारी है आंदोलन, नहीं मिली टेंट लगाने तक की अनुमति


प्रशासन जहां किसानों को अब तक टेंट लगाने से रोकता रहा है तो वहीं अब भी प्रशासन से नाराज़ दिखाई देते हैं और उन्हें दूसरे किसानों को सर्मथन भी मिल रहा है।  धरने को समर्थन देने गांव के कई किसान आने लगे है।


शिवेंद्र शुक्ला शिवेंद्र शुक्ला
छतरपुर Updated On :

छतरपुर। विवादित कृषि कानून के खिलाफ छतरपुर में भी किसानों का आंदोलन जारी है। यहां के किसानों के मुताबिक उन्हें कृषि कानूनों के साथ प्रशासन की संवेदनहीनता से भी लड़ना पड़ रहा है। किसान बताते हैं कि जिला प्रशासन किसानों से इतना डरा हुआ है कि उनके धरने के लिये उन्हें टेंट लगाने की इजाज़त तक नहीं दे रहा। ऐसे में ये किसान  5 डिग्री तापमान में खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं। इस दौरान किसानों की तबियत भी बिगड़ने लगी है।

प्रशासन जहां किसानों को अब तक टेंट लगाने से रोकता रहा है तो वहीं अब भी प्रशासन से नाराज़ दिखाई देते हैं और उन्हें दूसरे किसानों को सर्मथन भी मिल रहा है।  धरने को समर्थन देने गांव के कई किसान आने लगे है। किसानों का कहना है कि जब भी कोई सरकारी अधिकारी हमारे गांव में आता है, हम उनका पूरा स्वागत करते हैं। आज जब हम प्रशासन से अनुमति लेने के बावजूद हम अपने हक की बात रख रहे हैं तो प्रशासन हमारी आवाज को दबा रहा है। हमारे संवैधानिक अधिकारों का दमन किया जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारी अपने  इस व्यवहार से अपनी ही छवि खराब कर रहे हैं।

आंदोलन के नेतृत्वकर्ता व ग्रामीण अधिकार संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अमित भटनागर ने बताया कि उन्होंने बाकायदा प्रशासन से पहले से अनुमति ली थी, पर प्रशासन अपनी बातों से मुकर रहा है। वे कहते हैं कि हम कलेक्टर महोदय को भी 2 बार पत्र लिख चुके हैं, पर प्रशासन कोई जबाब नहीं दे रहा है, अमित का कहना है कि जिला प्रशासन के इस तानाशाही के खिलाफ उन्होंने व किसान भाइयों ने गिरफ्तारी की घोषणा की थी पर प्रशासन ना तो हमें गिरफ्तार कर रहा है ना हमारी किसी पत्र का जवाब दे रहा है।

अमित कहते हैं कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना किसी का भी लोकतांत्रित अधिकार है। ऐसे में अगर वे टेंट लगाने की अनुमति मांग रहे हैं और प्रशासन उन्हें नहीं दे रहा तो यह प्रशासन के द्वारा आंदोलन को खत्म करने के लिये किया जा रहा कृत्य है। जो कि नहीं होना चाहिये था।  अमित का कहना है कि वह पिछले 15 साल से पूरे जिले का देश में गांधीवादी तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, यह पहला मौका है कि जिला प्रशासन का इस तरह का चेहरा सामने आया है।

धरने में मुख्य रूप से बालक दास पटेल, मानिक लाल विश्वकर्मा, दिनेश मिश्रा, किशोरी कुशवाहा जानकी आदिवासी भगत राम तिवारी बालादीन पटेल, हिसाबी राजपूत, जुगल किशोर कुशवाहा मूलचंद हैं हर बार आनंदी लाल रजक, अवध लाल यादव, हीरा लाल अहीर, प्रेम नारायण मिश्रा, बबलू कुशवाहा, सुधीर अग्रवाल आदि मुख्य रूप से बैठे हुए हैं



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