रतन टाटा की जिंगदी से जुड़ी कुछ ख़ास कहानियां, जो शायद आपको भी एक राह दिखाएं…


रतन टाटा की जिंगदी की ये कहानियां आपको शायद एक बेहतर राह दिखा दें…


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विविध Updated On :

रतन टाटा अब कहानियों में साथ होंगे, उनकी ये कहानियां कई लोगों को जिंगदी की दिशा देंगी और इनमें जो किरदार रहे होंगे उन्हें याद आती रहेंगीयहाँ रतन टाटा के जीवन की आठ रोचक और प्रेरणादायक कहानियां हैं, जो उनकी दृढ़ता, सादगी और आदर्शों की मिसाल देती हैं:

1. इंडिका का सपना और फोर्ड की चुनौती

1998 में, रतन टाटा ने अपनी पहली कार, इंडिका, लॉन्च की। यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था, लेकिन बाजार में इसे अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली और कंपनी घाटे में चली गई। इस कारण, रतन टाटा को कंपनी बेचने का विचार आया और वे फोर्ड के पास प्रस्ताव लेकर गए। लेकिन बैठक में फोर्ड के मालिक बिल फोर्ड ने अपमानजनक टिप्पणी करते हुए कहा, “जिस व्यापार की समझ नहीं, उसमें इतना पैसा क्यों लगाया?” यह सुनकर रतन टाटा ने कंपनी बेचने का विचार छोड़ दिया और इंडिका को एक सफल ब्रांड बनाने का संकल्प लिया। 2008 में, जब फोर्ड आर्थिक संकट में था, टाटा ने लैंड रोवर और जगुआर कंपनियों को खरीदा। इस बार बिल फोर्ड ने कहा, “आप हमारी कंपनी खरीदकर हम पर बड़ा एहसान कर रहे हैं।”

 2. आईबीएम का प्रस्ताव और टाटा में वापसी

कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से पढ़ाई के बाद, रतन टाटा को आईबीएम में नौकरी का प्रस्ताव मिला। लेकिन जब जेआरडी टाटा ने उनसे टाटा समूह में शामिल होने को कहा, तो रतन टाटा ने बिना हिचकिचाहट के अपना फैसला बदल लिया। दिलचस्प बात यह थी कि टाटा समूह में नौकरी के लिए रतन टाटा ने आईबीएम के ऑफिस में बैठे-बैठे अपना बायोडाटा इलेक्ट्रिक टाइपराइटर पर बनाया था। यह उनकी प्रतिबद्धता और टाटा परिवार के प्रति निष्ठा का प्रमाण है।

3. गैंगस्टर से टकराव और कर्मचारियों का साथ

1980 के दशक में, एक गैंगस्टर टाटा मोटर्स के कर्मचारियों को धमकाकर हड़ताल करवाना चाहता था। रतन टाटा ने खुद मोर्चा संभाला और प्लांट में कई दिनों तक रहकर कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाया। उनकी कोशिशों के कारण गैंगस्टर पकड़ा गया और काम दोबारा शुरू हो गया। यह घटना उनके कर्मचारियों के प्रति समर्पण और साहस को दर्शाती है।

4. टाटा नैनो का सपना और उससे मिली सीख

रतन टाटा का सपना था कि हर भारतीय परिवार के पास एक कार हो, और इसी सोच के साथ उन्होंने टाटा नैनो लॉन्च की। लेकिन यह परियोजना व्यावसायिक रूप से उतनी सफल नहीं हो पाई। इसके बाद रतन टाटा ने सबसे अच्छे “फेल्योर प्रोजेक्ट” के लिए इनाम देने की परंपरा शुरू की, ताकि लोग असफलताओं से भी सीख सकें। यह उनके सीखने की भूख और आगे बढ़ते रहने की प्रवृत्ति का प्रमाण है।

 

5. 26/11 मुंबई हमले के बाद ताज होटल की सेवा

26/11 के आतंकवादी हमले के दौरान, ताज होटल का स्टाफ बिना अपनी जान की परवाह किए लोगों की मदद कर रहा था। रतन टाटा ने हमले के बाद न सिर्फ कर्मचारियों को समर्थन दिया, बल्कि उन छोटे व्यापारियों को भी मदद की जो होटल के आसपास अपना रोजगार चलाते थे। 20 दिनों के अंदर उन्होंने सभी प्रभावितों को मुआवजा दिलाया, जबकि सरकारी मुआवजा देने में सालों लग गए।

 

6. अधूरा प्यार और आजीवन अकेलापन

रतन टाटा जब लॉस एंजिल्स में थे, तब उन्हें एक अमेरिकी लड़की से प्यार हो गया था। वे शादी करने वाले थे, लेकिन भारत-चीन युद्ध के चलते लड़की के माता-पिता ने उसे भारत आने से मना कर दिया और उसकी शादी कहीं और कर दी। रतन टाटा ने वचन दिया था कि वह उसे ही अपना जीवन साथी बनाएंगे, और इसीलिए उन्होंने कभी शादी नहीं की।

 7. नासिक का वह टायर पंचर

एक बार नासिक जाते समय रतन टाटा की गाड़ी का टायर पंचर हो गया। जब उनकी टीम के सदस्य इधर-उधर टहलने लगे, रतन टाटा खुद पंचर वाले की मदद करने लगे। जब टीम के लोगों ने उनसे पूछा, तो उन्होंने कहा, “अगर मेरी मदद से यह काम जल्दी हो जाता है, तो हम अपनी मीटिंग समय पर पहुंच सकते हैं।”

 8. कर्मचारियों के लिए संघर्ष

एक बार टाटा मोटर्स में लेबर यूनियन और प्रबंधन के बीच बहस के बाद कर्मचारियों ने बोनस की मांग की। रतन टाटा खुद यूनियन के साथ बैठकर उनकी बात सुनी और प्रबंधन को बोनस देने के लिए कहा। कर्मचारियों ने यह देख खुद ही बोनस लेने से मना कर दिया, क्योंकि उनके लिए रतन टाटा का समर्थन ही सबसे बड़ा बोनस था।

9. वादे के पक्के

एक बार रतन टाटा को एक कॉलेज समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। समारोह में बच्चों की भीड़ उमड़ पड़ी, जिससे कुछ अफरा-तफरी मच गई और एक बच्ची गिरकर घायल हो गई। रतन टाटा ने यह देखा और तुरंत घोषणा की कि वे सभी बच्चों से मिलकर ही जाएंगे। फंक्शन खत्म होने के बाद, जब फ्लाइट का समय हो गया था, तो उन्होंने अपनी फ्लाइट कैंसिल कर दी ताकि वे सभी बच्चों से मिल सकें। उनका यह वादा निभाना उनकी ईमानदारी और लोगों के प्रति जुड़ाव को दर्शाता है।

10. देश के प्रति निष्ठा

26/11 मुंबई हमले के बाद, ताज होटल के पुनर्निर्माण के लिए रतन टाटा ने टेंडर जारी किया, जिसमें पाकिस्तान की कंपनियों ने भी आवेदन किया था। जब रतन टाटा को यह पता चला, तो उन्होंने उन पाकिस्तानी प्रतिनिधियों से मिलने से साफ मना कर दिया। उनके अनुसार, “मैं अपने देश के खिलाफ किसी भी प्रकार की गद्दारी नहीं कर सकता।” यह उनके देशप्रेम और निष्ठा को दिखाता है।

11. जमीन से जुड़ाव

रतन टाटा अपने अमीर होने के बावजूद हमेशा जमीन से जुड़े रहे। एक बार किसी फंक्शन में, जहां लोगों ने उन्हें कुर्सी पर बैठने को कहा, उन्होंने कुर्सी को हटाकर पहली पंक्ति के लोगों के साथ बैठना पसंद किया। इस घटना से उनकी सादगी और लोगों के साथ जुड़ने की उनकी सहजता का पता चलता है।

ये कहानियाँ रतन टाटा के जीवन के उन पहलुओं को उजागर करती हैं जो उनके व्यवसायिक कौशल से परे जाकर उनकी मानवता, ईमानदारी और जीवन जीने के सच्चे आदर्शों को दर्शाती हैं।


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