Artificial Intelligence के जनक को मिला नोबेल, जानिए कैसे हॉपफील्ड और हिंटन ने बदली एआई की दुनिया


2024 के भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से जॉन हॉपफील्ड और ज्योफ्री हिंटन को उनके मौलिक कार्य के लिए सम्मानित किया गया, जिसने कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क और मशीन लर्निंग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हॉपफील्ड ने 1982 में हॉपफील्ड नेटवर्क का विकास किया, जो कंप्यूटर को स्मृति पुनर्प्राप्ति की क्षमता देता है। हिंटन ने 1984 में बोल्ट्ज़मैन मशीन को प्रस्तुत किया, जो स्वायत्त रूप से डेटा से सीख सकती है। उनके कार्य ने आधुनिक एआई अनुप्रयोगों, जैसे चेहरा पहचान और भाषा अनुवाद, को आधार प्रदान किया है।


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8 अक्टूबर 2024 को रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने 2024 के भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से जॉन हॉपफील्ड और ज्योफ्री हिंटन को सम्मानित किया। यह पुरस्कार उन्हें कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क (आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क) और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में मौलिक योगदान के लिए दिया गया। उनके द्वारा किए गए अनुसंधान ने आज की उन्नत एआई तकनीकों की नींव रखी है और आधुनिक मशीन लर्निंग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

हॉपफील्ड और हिंटन ने भौतिकी और जीवविज्ञान से प्रेरित होकर ऐसे कंप्यूटर सिस्टम विकसित किए, जो पैटर्न को याद कर सकते हैं और डेटा से सीख सकते हैं। इस प्रकार के कार्यों ने वर्तमान एआई में क्रांति लाने का मार्ग प्रशस्त किया।

 

तंत्रिका नेटवर्क की शुरुआत और हॉपफील्ड का योगदान

जॉन हॉपफील्ड, जोकि एक अमेरिकी सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी हैं, ने 1982 में हॉपफील्ड नेटवर्क का विकास किया, जो तंत्रिका नेटवर्क के शुरुआती संस्करणों में से एक है। इस नेटवर्क की विशेषता यह थी कि यह कंप्यूटर को “नेटवर्क” के रूप में सूचनाओं को याद रखने और पुनर्प्राप्त करने की क्षमता प्रदान करता था। यह नेटवर्क मुख्य रूप से डेटा के विभिन्न प्रकारों जैसे कि ब्लैक एंड व्हाइट छवियों को स्मरण कर सकता था और समान डेटा मिलने पर उन्हें पहचान सकता था। हॉपफील्ड नेटवर्क ने दिखाया कि किस प्रकार कंप्यूटर डेटा को एक नए तरीके से स्टोर कर सकते हैं, जिससे यह तंत्रिका नेटवर्क पर आधारित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की नींव बन गया।

 

बोल्ट्ज़मैन मशीन और ज्योफ्री हिंटन का काम

ज्योफ्री हिंटन, जो ब्रिटिश-कनाडाई कंप्यूटर वैज्ञानिक हैं और अक्सर “एआई का गॉडफादर” कहा जाता है, ने हॉपफील्ड नेटवर्क के विचार को और भी उन्नत करते हुए 1984 में बोल्ट्ज़मैन मशीन का विकास किया। बोल्ट्ज़मैन मशीन सांख्यिकी भौतिकी के सिद्धांतों पर आधारित थी, जो कंप्यूटर को डेटा से स्वायत्त रूप से सीखने और उसमें पैटर्न को पहचानने की क्षमता प्रदान करती है। इस मशीन ने गहन शिक्षण (डीप लर्निंग) के लिए मार्ग प्रशस्त किया, जिससे मशीनें जटिल कार्यों जैसे छवि पहचान, आवाज की पहचान, और अन्य एआई अनुप्रयोगों को सटीकता से कर सकती हैं। यह सिस्टम न केवल डेटा को वर्गीकृत कर सकता है, बल्कि स्वायत्त रूप से नए डेटा को भी उत्पन्न कर सकता है जो सीखे गए पैटर्न के अनुरूप हो।

 

तंत्रिका नेटवर्क और उनकी संरचना का महत्व

कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क (Artificial Neural Networks) हमारे मस्तिष्क की तरह ही काम करते हैं, जहां न्यूरॉन एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। इन डिजिटल न्यूरॉनों के बीच कनेक्शन की ताकत और पैटर्न ही नेटवर्क के “स्मार्ट” होने का कारण होते हैं। जब किसी इनपुट के आधार पर एक न्यूरॉन सक्रिय होता है, तो यह संकेत अन्य न्यूरॉनों तक जाता है, जिससे नेटवर्क इनपुट डेटा को प्रोसेस करता है और आउटपुट देता है। यह प्रक्रिया क्लासिफिकेशन, प्रेडिक्शन, और निर्णय लेने जैसे जटिल कार्यों के लिए उपयोगी होती है।

 

AI का प्रभाव और आधुनिक अनुप्रयोग

आज AI जीवन के हर क्षेत्र में उपयोग किया जा रहा है, चाहे वह चिकित्सा हो या Climate Modeling, या Material Science और Financial Analysis। Hopfield और Hinton के कार्यों ने आधुनिक AI Applications के लिए मजबूत आधार तैयार किया है, जिनका उपयोग आज Face Recognition, Voice Recognition, और Language Translation में किया जाता है।

नैतिक चिंताएँ और एआई का भविष्य

हाल के वर्षों में, एआई की तेजी से बढ़ती क्षमता के कारण इसके संभावित खतरों पर भी चर्चा हो रही है। 2023 में, हिंटन ने गूगल से इस्तीफा दिया ताकि वे एआई के खतरों के बारे में खुलकर चर्चा कर सकें। उन्होंने कहा कि एआई “औद्योगिक क्रांति की तरह होगा, लेकिन यह हमारी बौद्धिक क्षमताओं को पार कर सकता है।” हिंटन का मानना है कि जल्द ही एआई इतना बुद्धिमान हो सकता है कि यह मानव नियंत्रण से बाहर हो जाए।

 

हॉपफील्ड और हिंटन की वैज्ञानिक यात्रा

हॉपफील्ड का जन्म 1933 में हुआ था और उन्होंने 1980 के दशक में अपनी खोज के माध्यम से तंत्रिका नेटवर्क के क्षेत्र में नई संभावनाओं को खोजा। वह न्यूरोसाइंस और जैविक भौतिकी में भी महत्वपूर्ण योगदान दे चुके हैं। दूसरी ओर, ज्योफ्री हिंटन का जन्म 1947 में हुआ और उन्होंने कंप्यूटर विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया। उनकी खोजें, जैसे बैकप्रोपेगेशन और कन्वोल्यूशनल न्यूरल नेटवर्क, आज के डीप लर्निंग मॉडलों के लिए मील का पत्थर हैं।

 

AI के सामाजिक और नैतिक मुद्दे

हाल के वर्षों में AI की बढ़ती क्षमता को देखते हुए इसके संभावित खतरों पर भी चर्चा हो रही है। Geoffrey Hinton ने 2023 में Google से इस्तीफा दिया ताकि वे AI के खतरों के बारे में खुलकर बात कर सकें। उनका मानना है कि जल्द ही AI हमारी बौद्धिक क्षमताओं से भी आगे बढ़ सकता है, जिससे मानवता को संभालना मुश्किल हो सकता है।

 

2024 के भौतिकी का नोबेल पुरस्कार यह मान्यता देता है कि हॉपफील्ड और हिंटन की खोजें एआई की नींव में हैं। उनके प्रयासों के कारण आज मानवता के पास एक नई तकनीक है, जो चिकित्सा, सामग्री विज्ञान और जलवायु मॉडलिंग जैसे क्षेत्रों में क्रांति ला सकती है। यह पुरस्कार इस बात का प्रतीक है कि वैज्ञानिक अनुसंधान न केवल तकनीकी प्रगति के लिए बल्कि सामाजिक और नैतिक विचारों के लिए भी आवश्यक है।

हॉपफील्ड और हिंटन के काम ने न केवल एआई तकनीक को बढ़ावा दिया है, बल्कि भविष्य की संभावनाओं के दरवाजे भी खोल दिए हैं, जो हमारे जीवन को और अधिक स्वचालित, सुरक्षित और उन्नत बना सकते हैं।

 

डीप लर्निंग को दर्शाता एक चित्र

समझिए डीप लर्निंग

Deep Learning एक प्रकार की Machine Learning है, जो तंत्रिका नेटवर्क (Neural Networks) की कई परतों का उपयोग करती है। यह मानव मस्तिष्क के काम करने के तरीके से प्रेरित है, जहाँ तंत्रिका कोशिकाएँ एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं और सूचनाओं को प्रोसेस करती हैं। Deep Learning का उपयोग बड़े डेटा सेट से सीखने और जटिल कार्यों को हल करने के लिए किया जाता है, जैसे कि छवि और आवाज की पहचान, भाषा अनुवाद, और स्वचालित निर्णय लेना। Geoffrey Hinton का योगदान, विशेष रूप से “Backpropagation” और “Convolutional Neural Networks” के विकास में, Deep Learning को आधुनिक AI तकनीकों के लिए आधार प्रदान करता है।

 



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