‘जल आंदोलन’ को ‘जन आंदोलन’ बनाने की जरूरत: गजेंद्र सिंह शेखावत


यह विचार केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने शुक्रवार को भारतीय जन संचार संस्थान यानी आईआईएमसी द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘शुक्रवार संवाद’ में व्यक्त किए।


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आईआईएमसी के ‘शुक्रवार संवाद’ कार्यक्रम में बोले केंद्रीय जल शक्ति मंत्री।

नई दिल्ली। ”जल के महत्व को समझते हुए प्रत्येक व्यक्ति को जल संरक्षण का प्रयास करना चाहिए। अब वक्त आ गया है जब ‘जल आंदोलन’ को ‘जन आंदोलन’ में बदला जाए।” यह विचार केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने शुक्रवार को भारतीय जन संचार संस्थान यानी आईआईएमसी द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘शुक्रवार संवाद’ में व्यक्त किए। इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी विशेष तौर पर उपस्थित थे।

‘भारत की जल संस्कृति’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम सभी को मिलकर यह सोचना होगा कि भारत को जल समृद्ध कैसे बनाया जा सकता है। इसके लिए युवा शक्ति को हमें जल आंदोलन से जोड़ना होगा। हमें ऐसी योजना बनानी होगा कि सरकार के साथ समाज की भूमिका भी तय की जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों से देश के 7 करोड़ 5 लाख ग्रामीण घरों को पीने का साफ पानी मिलने लगा है।

गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारत के अलावा दुनिया के किसी देश में नदी को ‘मां’ नहीं कहा जाता। हमारी संस्कृति में हर दिन कुछ नया सीखने की परंपरा है। अगर युवा देश की जल संस्कृति को समझना चाहते हैं, तो उन्हें बुंदेलखंड से लेकर कच्छ तक की यात्रा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जल समृद्धि से ही देश की समृद्धि संभव है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में अगर किसी विषय पर सबसे ज्यादा चर्चा की है, तो वो जल संरक्षण का विषय है।

पानी की गुणवत्ता के विषय पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने हर गांव में 5 महिलाओं को प्रशिक्षित किया है और उन्हें फील्ड टेस्टिंग किट प्रदान की है। अब तक 4 लाख 60 हजार महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि जल जीवन का आधार है, लेकिन उसकी गुणवत्ता की जांच कहां हो, उसके लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। लेकिन हमारी सरकार ने हर जिले के हर ब्लॉक में पानी की जांच के लिए एक लेबोरेट्री स्थापित करने की शुरुआत की है।

इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि भारत की जल संस्कृति पूरे विश्व के लिए प्रेरणादायक है। हिन्दुस्तान की तमाम नदियां पर्यावरण की पोषक रही हैं। उन्होंने कहा कि पानी को लेकर सरकार, समाज और मीडिया तीनों को सक्रिय होने की जरूरत है। मीडिया एक ऐसा प्रभावी माध्यम है, जो जल संरक्षण के मुद्दे पर जनता को जगाने का काम कर सकता है।

कार्यक्रम का संचालन प्रो. संगीता प्रणवेंद्र ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के अपर महानिदेशक (प्रशासन) के. सतीश नंबूदिरीपाड ने किया। कार्यक्रम में अपर महानिदेशक (प्रशिक्षण) ममता वर्मा, डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह, डीन (छात्र कल्याण) प्रो. प्रमोद कुमार सहित समस्त प्राध्यापकों, अधिकारियों एवं विद्यार्थियों ने भाग लिया।



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