न पंडित-न फेरे, संविधान की शपथ लेकर वकील और शिक्षिका ने रचाया प्रेम विवाह


बैतूल जिला के निवासी व पेशे से वकील एक शख्स ने 12 सालों से प्रेम कर रही अपनी प्रियतमा से संविधान की उद्देशिका को पढ़कर प्रेम विवाह रचाया।


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विविध Published On :
married by oath of the constitution

बैतूल। अभी तक आपने अक्सर लोगों ने मंत्रोच्चार या अन्य तरह से वर-वधू को परिणय सूत्र में बंधते देखा होगा, लेकिन आज हम आपको एक अनोखी तरह की शादी के बारे में बता रहे हैं। बैतूल जिला के निवासी व पेशे से वकील एक शख्स ने 12 सालों से प्रेम कर रही अपनी प्रियतमा से संविधान की उद्देशिका को पढ़कर प्रेम विवाह रचाया।

दर्शन नामक वकील व राजश्री नामक शिक्षिका की इस अनोखी शादी में रिश्तेदारों के साथ-साथ कोर्ट के वकीलों ने भी शिरकत किया और इस कदम की सराहना करते हुए नवयुगल को आशीर्वाद दिया।

अपनी इस अनोखी शादी के बारे में दर्शन ने बताया कि

जिस प्रकार पूरे देश में जातिगत भेदभाव की जड़ें गहरी जड़ें जमा चुकी हैं और देश के कई राज्यों में जाति के आधार पर लगातार भेदभाव की खबरें आती रहतीं हैं। लगातार बढ़ रही जातिगत भेदभाव की वजह से ही हम लोगों ने फैसला किया कि जो हमारा संविधान है, वो देश के सभी नागरिकों को, चाहे वो किसी भी जाति, धर्म, लिंग, समुदाय का हो, का जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करता है। हम लोगों ने संविधान की प्रस्तावना को पढ़ते हुए अपने कार्यक्रम की शुरुआत की।

उन्होंने कहा कि भारत के संविधान के आर्टिकल 21 के तहत हमें चुनने का अधिकार देता है, जो हमारा मौलिक अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने भी बोला है कि जो आपकी पसंद का अधिकार है वो आपका मौलिक अधिकार है।

इस शादी में दर्शन की पत्नी बनी पेशे से शिक्षिका राजश्री ने कहा कि संविधान ने जो हमें मौलिक अधिकार दिए हैं, उसे कोई नहीं छीन सकता। उनमें से एक अधिकार है स्वतंत्रता का अधिकार, अपनी पसंद को चुनने का अधिकार। जो कि किसी के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। उसी का इस्तेमाल करते हुए हम लोग इस परिणय सूत्र में बंधे हैं।

इस मौके पर शिक्षिका दुल्हन ने कहा कि

मैं सभी माता-पिता को यह संदेश देना चाहती हूं कि सभी बच्चे अपने माता-पिता का कहना मानते हैं। उसी तरह माता-पिता भी एक बार अपने बच्चों की बातें सुन लें ओर समझें क्योंकि फैसला किसी एक का नहीं हो सकता है। अगर एक परिवार मिलकर जब फैसला लेता है तो वो रिश्ता आगे तक बढ़ता है इसलिए सभी को अपने माता-पिता की सुननी चाहिए और माता-पिता को भी बच्चो की सुननी चाहिए ताकि आपस में सहमति बने और सभी का जीवन सुखमय बने।


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