मकान किराए पर भी देना होगा 18 प्रतिशत GST


जीएसटी कानून के तहत रजिस्टर्ड किरायेदार की श्रेणी में सामान्य और कॉरपोरेट संस्थाएं सभी आएंगे।


DeshGaon
Kaam ki baat Published On :

नई दिल्ली। अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों पर प्राइवेट रूम के लिए टैक्स लगाने के बाद अब सरकार ने मकान दुकान किराए पर भी जीएसटी लगाई है। यानी अगर आप जीएसटी के दायरे में आते हैं तो आपको अपने किराए की रकम में जीएसटी जोड़ कर देनी होगी। जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स के नए नियमों के तहत किराये के मकान में रहने वाले लोगों के लिए 18 जुलाई से यह अहम नियम लागू हो चुका है। जिसके मुताबिक, रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी किराये पर लेकर रहने वाले किरायेदारों को रेंट के साथ 18 प्रतिशत जीएसटी भी देना होगा, हालांकि, यह नियम बस उन किरायेदारों पर लागू होगा, जो किसी बिजनेस के लिए जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड हैं।

पिछले नियम के मुताबिक कॉमर्शियल प्रॉपर्टी जैसे कि ऑफिस या रिटेल स्पेस जैसी जगहों को किराये पर लेने पर ही लीज पर जीएसटी लगता था। रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी को चाहे कोई कॉरपोरेट हाउस किराये पर ले कोई सामान्य किरायेदार, इस पर कोई जीएसटी नहीं देना होता था।

नए नियम के मुताबिक, जीएसटी रजिस्टर्ड किरायेदार को reverse charge mechanism (RCM) के अनुसार टैक्स भरना होगा। वह इनपुट टैक्स क्रेडिट के तहत डिडक्शन दिखाकर जीएसटी क्लेम कर सकता है।

यह भी बता दें कि यह 18 प्रतिशत जीएसटी तभी लागू होगा जब किरायेदार जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड हो और जीएसटी रिटर्न भरने वाली कैटेगरी में आता है।

रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी को किराये पर लेकर वहां से अपना बिजनेस चलाने वाले किरायेदार को 18 प्रतिशत टैक्स देना होगा। जीएसटी कानून के तहत रजिस्टर्ड किरायेदार की श्रेणी में सामान्य और कॉरपोरेट संस्थाएं सभी आएंगे। सालाना टर्नओवर निर्धारित सीमा से ऊपर पहुंच जाने पर बिजनेस मालिक को जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना ज़रूरी है।

वहीं, सामान बेच रहे या सप्लाई कर रहे बिजनेस मालिकों के लिए यह लिमिट 40 लाख रुपये है। हालांकि, अगर यह किरायेदार उत्तरपूर्वी राज्यों या विशेष दर्जा प्राप्त वाले राज्य में रहता है तो उसके लिए टर्नओवर की निर्धारित सीमा सालाना 10 लाख रुपये है।

 

इनपुट साभार: एनडीटीवी

 


Related





Exit mobile version