अब डिजिटल क्रांति से बदलेगा फसल सर्वेक्षण, पटवारी-गिरदावरी का युग होगा समाप्त


सरकार ने डिजिटल फसल सर्वेक्षण (DCS) लागू किया, जिससे पटवारी-गिरदावरी प्रणाली समाप्त होगी। अब मोबाइल ऐप के जरिए खेतों से सीधे फसल डेटा जुटाया जाएगा, जिससे किसानों को सटीक उपज जानकारी और सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा।


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देश में खेती-किसानी से जुड़े आंकड़ों को सटीक और पारदर्शी बनाने के लिए सरकार ने डिजिटल फसल सर्वेक्षण (DCS) लागू करने का फैसला किया है। यह प्रणाली जल्द ही पटवारी-गिरदावरी के पुराने तरीके की जगह ले लेगी, जिससे अब फसल संबंधी जानकारी सीधे मोबाइल ऐप के माध्यम से एकत्र की जाएगी। इससे किसानों को उनकी उपज से जुड़ी सटीक जानकारी मिलेगी और बाजार में कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव पर भी नियंत्रण संभव होगा।

कैसे काम करेगा डिजिटल फसल सर्वेक्षण?

सरकार रिमोट सेंसिंग, जियोस्पेशियल एनालिसिस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करके डिजिटल फसल सर्वेक्षण को कारगर बना रही है। इस प्रणाली के तहत:

  • मोबाइल ऐप और डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए खेतों से सीधे डेटा संग्रह किया जाएगा।
  • किसानों को गिरदावरी कराने की जरूरत नहीं होगी, जिससे प्रक्रिया तेज और पारदर्शी बनेगी।
  • सरकार रियल-टाइम फसल डेटा का आकलन कर पाएगी, जिससे MSP, फसल बीमा और लोन जैसी योजनाओं को बेहतर बनाया जाएगा।

किन राज्यों में शुरू हुआ डिजिटल सर्वे?

वर्तमान में 15 राज्यों के 485 जिलों में डिजिटल फसल सर्वेक्षण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, असम और राजस्थान जैसे राज्यों ने 90% से अधिक सर्वे का कार्य पूरा कर लिया है। इसके तहत लगभग 3 लाख गांवों के आंकड़े जुटाए जा चुके हैं।

 

किसानों के लिए कैसे फायदेमंद होगा यह सर्वेक्षण?

1. गलत अनुमानों से बचाव: वर्तमान में फसल उत्पादन के अलग-अलग अनुमानों के कारण बाजार कीमतों में भारी अंतर देखने को मिलता है। अब सटीक डेटा मिलने से यह समस्या दूर होगी।

2. समय और श्रम की बचत: पटवारी-गिरदावरी की मैन्युअल प्रक्रिया लंबी और त्रुटिपूर्ण होती थी, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता था। डिजिटल प्रणाली इस प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बनाएगी।

3. सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ: फसल डेटा का सही आकलन होने से किसानों को MSP, बीमा, कृषि लोन और अन्य सरकारी योजनाओं का फायदा आसानी से मिल सकेगा।

4. फार्मर आईडी की सुविधा: किसानों का डिजिटल डेटाबेस तैयार किया जा रहा है, जिससे वे कृषि योजनाओं और सब्सिडी का लाभ सीधे उठा सकेंगे। अब तक 4.8 करोड़ किसानों को डिजिटल आईडी जारी की जा चुकी है।

 

क्या पटवारी-गिरदावरी का युग समाप्त हो जाएगा?

सरकारी अधिकारियों के अनुसार, मैन्युअल गिरदावरी में कई खामियां थीं, जिससे फसल क्षेत्र और उत्पादन का सही अनुमान नहीं मिल पाता था। अब डिजिटल प्रक्रिया से डेटा तेजी से एकत्र और विश्लेषण किया जाएगा, जिससे गलतियों की गुंजाइश खत्म होगी।

 

आगे क्या होगा?

सरकार इस सर्वेक्षण को देशभर के सभी जिलों में लागू करने की योजना बना रही है। साथ ही, किसानों के लिए नए मोबाइल एप्लिकेशन और डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित किए जा रहे हैं, जिससे वे अपनी फसल की स्थिति स्वयं ट्रैक कर सकें।

डिजिटल क्रॉप सर्वे भारत की कृषि व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला है। किसानों को अब गिरदावरी के झंझट से मुक्ति मिलेगी और सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे प्राप्त होगा। नई तकनीक से कृषि क्षेत्र को पारदर्शी, तेज और प्रभावी बनाया जा सकेगा, जिससे देश की आर्थिक और खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी।





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