मंडला लोकसभा में मतदान: गांव में ढेरों परेशानियां पर भाजपा के मजबूत गढ़ इस गांव में राम मंदिर और मुफ़्त राशन रहा मुद्दा


मंडला लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले भाजपा के प्रभाव क्षेत्र गोटेगांव विधानसभा से मतदान की खबर


ब्रजेश शर्मा ब्रजेश शर्मा
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“हमें तो जो खावे पीवे दे रहो है, हमने तो वई को वोट दई है…” ऐसी मिली जुली प्रतिक्रियाएं मंडला लोकसभा क्षेत्र के तहत गोटेगांव विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत उन मतदाताओं की हैं जो जिन्होंने रोटी, रुपए और मकान के आधार पर अपना निर्णय दिया है। रोटी यानि राशन, रुपए यानी लाडली लक्ष्मी या लाडली बहना योजना और मकान यानी प्रधानमंत्री आवास योजना। इसके आधार पर ही ग्रामीण क्षेत्र के मतदाता अपना निर्णय ले रहे हैं।

मध्य प्रदेश के लोकसभा चुनाव के पहले चरण में जिन 6 सीटों के लिए मतदान हुआ उनमें प्रदेश की सबसे चर्चित और सियासी तौर पर हॉट सीट छिंदवाड़ा थी जहां 79.59% मतदान हुआ। वहीं मंडला में 68.31%, सीधी में 51.24%, शहडोल में 59.91% , जबलपुर 56.74% और बालाघाट में 71.08% मतदान हुआ।

मंडला – गोटेगांव लोस क्षेत्र में लगभग 68.31% फ़ीसदी मतदान हुआ। गोटेगांव विधानसभा क्षेत्र में 2 लाख 17 हजार 621 मतदाताओं में से करीब 1 लाख 14 हजार 743 मतदाताओं ने वोटिंग की। इस आदिवासी,अजा बहुल इलाके में 254 मतदान केंद्र हैं।

गोटेगांव विधानसभा नरसिंहपुर जिले में आती है, यह इलाका केंद्रीय मंत्री रहे प्रह्लाद पटेल का गृह क्षेत्र है और अब वे नरसिंहपुर से विधायक भी हैं। यहां से मौजूदा विधायक भाजपा के महेंद्र नागेश हैं,  जो हालही में हुए विधानसभा चुनाव में 47788 वोटों से जीते हैं। ऐसे में स्पष्ट तौर पर यह इलाका भाजपा का प्रभाव क्षेत्र है।

देशगांव ने इस इलाके में मतदान के बाद कुछ मतदाताओं की नब्ज टटोली गई तो आमतौर पर चुनाव में रोटी ,रुपए और मकान की बात महंगाई, बेरोजगारी और अन्य मुद्दों से भारी दिखी।

नरसिंहपुर जिला मुख्यालय से लगे गांव बहोरीपार में ग्रामीण हाकम सिंह पटेल कहते हैं कि मोदी ही मुद्दा है। राम मंदिर, धारा 370 के आधार पर उन्होंने वोट किया है। यहां ग्रामीण धरम प्रसाद का कहना है कि मुद्दे के आधार पर ही उन्होंने वोट दिया है, जो खाने को दे रहा है, वही ठीक है। द्वारका कहते हैं कि यहां मुद्दा मोदी है। मोदी की हर बात अच्छी है। बुजुर्ग गणेश प्रसाद बहुत तसल्ली से जवाब देते हैं कि जो खाने-पीने को देत हैं हम उसी को वोट देत हैं और हम तो निशान जानत हैं उस पर ही वोट देना जानते हैं।

बेलखेड़ी शेड एक ऐसा ग्रामीण क्षेत्र है जो जिसमें गरीबों की संख्या अधिक है। वहां एक महिला देवका से पूछा गया कि आपके क्षेत्र का प्रत्याशी कौन है ? तो वह उत्तर देती हैं कि प्रत्याशी को नहीं जानती, बस इतना है कि जो खाने पीने को देता है उसी को उन्होंने वोट दिया।

कुंती बाई से पूछा गया कि प्रत्याशी कौन, तो उत्तर मिलता है मोदी सरकार। कहती है कि वह विकास कर रहे हैं गांव का, देश का, इसलिए उनको वोट दी है।

इसी गांव के मोहनलाल समस्या बताते हैं कि गांव में उनके घर तरफ रोड नहीं है। कीचड़ होता है बहुत बड़ी समस्या है, पर जब वोट देने की बात आती है तो कहते हैं कि जहां पूरा गांव गया, वहां वोट दे दी। चंद्रभान कहते हैं कि उन्होंने मुद्दे के आधार पर वोट दी है। बेरोजगारी बड़ा मुद्दा है। जब उनसे कहा कि मनरेगा का काम मिलता है तो कहते हां मिलता है पर टाइम से मजदूरी नहीं मिलती।

गांव की ही रुक्मिणी बाई को आवास का पैसा नहीं मिला लेकिन लाडली बहन का पैसा मिल रहा है उन्होंने इस आधार पर वोट दिया है। अशोक कुमार मेहरा के लिए बेरोजगारी कोई मुद्दा नहीं है। कहते हैं कि उन्हें तो वोट देना था तो डाल आए। उनकी मां का भी लगभग यही जवाब रहा।

यहां एक ग्रामीण तख्तसिंह कहते हैं कि कि भाजपा की एक खास बात है कि यहां चुनाव संगठन लड़ता है जबकि कांग्रेस में प्रत्याशी को अकेला जूझना पड़ता है। पार्टी के कई पदाधिकारी साथ ही नहीं दिखते।

इन गांवों में चुनाव के नजारे भी खूब दिखाई दिए। यहां शादी के बाद बिदा लेने से पहले दुल्हन वोट डालने पहुंची। गोटेगांव में भी बारात निकालने से पहले एक दूल्हा मतदान करने के लिए पहुंचा।

 

 



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