छिंदवाड़ा सीट का गणित कांग्रेस के पक्ष में, भाजपा आक्रामक तो भावुक हैं कमलनाथ


— छिंदवाड़ा में कमलनाथ की बड़ी साख, उनके विरोधी भी उनके मुरीद हैं।
— अपनों के जाने से दुखी हैं कमलनाथ और अब इसी बात को लेकर जनता के बीच पहुंच रहे हैं और जनता इसे समझ भी रही है।



लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा मप्र की सबसे ज्यादा सक्रिय सीट बनी हुई है। अब तक यहां कमलनाथ एक बार ही चुनाव हारे हैं और कहा जा रहा है कि इस बार भी उनकी या कहें नाथ परिवार की ये सीट खतरे में है। छिंदवाड़ा में ऐसा कोई बड़ा कारण नजर नहीं आता जो कहता हो कि कमलनाथ से जनता नाराज़ है और उन्हें वोट करना नहीं चाहती।

छिंदवाड़ा में भाजपा पूरा ज़ोर लगाकर जीतना चाहती है। इसके लिए मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह यहां एक बड़ी रैली भी कर रहे हैं। इस रैली में भाजपा बड़ी भीड़ जुटा रही है। शहर में स्वागत के लिए कई मंच लगाए गए हैं। शाह के साथ मंच पर सीएम मोहन यादव, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, लोकसभा प्रत्याशी बंटी साहू के साथ कई नेता मौजूद होंगे।

कांग्रेस की इकलौती सीट छिंदवाड़ा में दोनों दल जीतने की किस कदर कोशिश कर रहे हैं इसका अंदाज़ा अब तक के घटनाक्रम से लगाना मुश्किल नहीं है। भाजपा जहां एक समय अपने करीब नजर आ रहे नेता कमलनाथ और नकुलनाथ पर हर तरह के हमले कर रही है तो वहीं कमलनाथ अब केवल जनता के भरोसे नज़र आ रहे हैं।

गृहमंत्री अमित शाह की सभा के दौरान शहर में खासी भीड़ नजर आई।

कमलनाथ ने करीबी विधायक नीलेश उईके के घर पर पिछले दिनों पुलिस ने छापा मारा और छानबीन की। पुलिस के मुताबिक वे अवैध शराब की तलाशी लेने के लिए विधायक के घर पर पहुंचे थे। हालांकि काफी देर तक खोजने के बाद भी उन्हें अवैध शराब का कोई सुबूत नहीं मिला।

इसके बाद सोमवार को ही कमलनाथ के छिंदवाड़ा स्थित घर पर भी छापा मारा गया। यह छापा एक कथित सीडी को लेकर था जिसमें भाजपा प्रत्याशी बंटी साहू का किसी अश्लील वीडियो होने की बात कही जा रही है। साहू ने पुलिस के पास इसकी शिकायत की है। जिसके मुताबिक कमलनाथ और उनके करीबी उनका यह फर्जी वीडियो सार्वजनिक करवाने के लिए काम कर रहे हैं। इसके लिए वे लोगों को पैसे भी दे रहे हैं। शिकायत करने वालों में एक पत्रकार भी शामिल है। इस मामले में कमलनाथ के पीए आरके मृगलानी पर एफआईआर भी हुई है।

इस बीच कमलनाथ भी सक्रिय हैं और उनकी यह सक्रियता जनता के बीच है। नाथ जानते हैं कि अगर चुनाव जीत गए तो सब कुछ वापस हासिल हो जाएगा। इसके लिए वे लगातार जनता के बीच जा रहे हैं। नाथ जनता से मार्मिक अपीलें कर रहे हैं और एक तरह से अबतक उनके और छिंदवाड़ा के रिश्ते का वास्ता दे रहे हैं। मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 16 अप्रैल मंगलवार को जिले की पांढुर्ना व मोहगांव में जनसभाएं की।

पांढ़ुर्ना में उन्होंने कहा कि भाजपा सरकारें छिंदवाड़ा में डराने और धमकाने का काम कर रहीं हैं। कमलनाथ ने हालही की घटनाओं को लेकर उन्होंने लोगों के सामने भाजपा सरकार द्वारा किए जा रही कार्रवाइयों पर बात की।

कमलनाथ ने कहा कि हमारे आदिवासी विधायक के ऊपर भी छापे डाले गए और उन्हें प्रताड़ित करने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि हमारा जिला पिछड़े जिले के रूप में पहचाना जाता था जिससे उबरकर अब चहुंमुखी विकास की इबारत मैंने आप लोगों के सहयोग से ही लिखी है। कमलनाथ ने यहां लोगों का साथ मांगा।

इमोशनल अपील…

छिन्दवाड़ा को मैंने कभी निर्वाचन क्षेत्र या फिर एक जिला नहीं, बल्कि अपनी जिंदगी मानी है, इसीलिये जब-जब यहां कोई संकट आया है तब-तब मैं उन परेशानियों को दूर करने के लिये आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा हूं और जो बन पड़ा वो सबकुछ किया हूं। यहां की जनता मेरे लिये मतदाता नहीं बल्कि मेरे दिल की धड़कन है। इन बातों को केवल आप समझ सकते हैं, क्योंकि गुजरे हुये 44 वर्षों में आप लोगों ने अपने बदलते व संवरते हुए छिन्दवाड़ा-पांढुर्ना को देखा। आगे का सफर लम्बा है किन्तु इसे हम मिलकर तय करेंगे और विरोधियों के सारे षड्यंत्रों को विफल भी करेंगे।

छिंदवाड़ा का इतिहास

छिंदवाड़ा सीट का हाल देखें तो यहां नाथ परिवार का हमेशा राजनीतिक दबदबा रहा है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी का भी यहां एक बड़ा जनाधार है। बीते तीन चुनावों की बात करें तो यहां अब तक भाजपा को यहां अच्छे मत मिले हैं। बीते चुनाव में यहां नत्थन शाह कवरेती भाजपा के उम्मीदवार थे जिन्हें नकुलनाथ के सामने 549769 मत मिले थे, इस चुनाव में नकुलनाथ 37536 वोट से ही जीते थे।

वहीं इससे पहले कमलनाथ ने जब साल 2014 में यहां से अपना आखिरी लोकसभा चुनाव लड़ा था तब उन्हें यहां से 559755 वोट मिले थे और उनके सामने भाजपा प्रत्याशी चौधरी चंद्रभान को 443218 वोट मिले थे। यहां कमलनाथ की जीत 116537 वोट से हुई थी। इससे पहले साल 2009 में कमलनाथ के खिलाफ ही भाजपा के मारतराव खवासे को 2,88516 मत मिले थे।

छिंदवाड़ा की अमूमन यही कहानी रही है लेकिन यह पहली बार है जब भाजपा ने छिंदवाड़ा में कमलनाथ को पूरी तरह घेर लिया है और इस बार कहा जा रहा है कि छिंदवाड़ा भी कांग्रेस हार सकती है।

स्थानीय लोगों के मुताबिक इसकी वजह कमलनाथ ही हैं जिन्होंने भाजपा के नेताओं का खूब लिहाज किया। स्थानीय लोग पिछले दिनों का ही उदाहरण देते हैं, बस स्टैंड पर चाय की दुकान चलाने वाले  रमेश ओसे कहते हैं कि पिछले दिनों जब कमलनाथ और नकुलनाथ की पार्टी छोड़कर भाजपा में जाने की बात चल रही थी उस समय कमलनाथ ने कोई खुलकर जवाब नहीं दिया। वे बताते हैं कि स्थानीय स्तर पर कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता इससे इतने परेशान हो गए थे कि उन्हें यकीन हो चला था कि कमलनाथ कांग्रेस के प्रति सर्मपित नहीं हैं।

छिंदवाड़ा में कमलनाथ कितने मजबूत हैं इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विधानसभा चुनावों में जब कांग्रेस बुरी तरह हार रही थी तब भी छिंदवाड़ा की सभी सात विधानसभा सीटें कांग्रेस ने ही जीती थीं। हालांकि हालही में इनमें से एक विधायक कमलेश शाह भाजपा में शामिल हो गए। उनके आगे पीछे अब तक करीब तीन हजार से अधिक कांग्रेस के नेता कार्यकर्ता भाजपा में जा चुके हैं।

यही बात कांग्रेस के एक अन्य नेता भी कहते हैं हालांकि उनके मुताबिक उन्होंने तमाम दबावों के बावजूद पार्टी नहीं छोड़ी और कांग्रेस के साथ बने रहे। गोपनीयता की अपील पर ये नेता कहते हैं कि अगर कमलनाथ उस समय सीधे कोई स्टैंड लेते तो स्थानीय स्तर पर कांग्रेस की यह स्थिति नहीं होती। इन कांग्रेसी नेता का इशारा कांग्रेसियों के भाजपा में जाने वाले नेताओं को लेकर था।

छिंदवाड़ा शहर के तर्रा इलाके में रहने वाले 32 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता अरुण मिश्रा कहते हैं कि चुनाव में भाजपा मजबूत नजर आ रही है लेकिन नकुलनाथ फिर भी मजबूत हैं। अरुण कहते हैं कि छिंदवाड़ा कितना कठिन होगा इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा का हर बड़ा नेता यहां सक्रिय है और नकुलनाथ को हराना ही उनका एक मात्र उद्देश्य है। अरुण कहते हैं कि ज्यादातर युवा ही कमलनाथ को छोड़ चुके हैं और यही भाजपा की ताकत हैं लेकिन नकुलनाथ फिर भी मजबूत हैं क्योंकि उनके पिता इस इलाके में जितना काम किया है उसी की वजह से इस क्षेत्र का नाम जाना जाता है।

 

“जिन्हें बनाया उन्हीं ने छोड़ा कमलनाथ का साथ”

छिंदवाड़ा के सौसर विधानसभा के रहने वाले चंद्रशेखर गुर्वे कहते हैं कि कमलनाथ ने उनके जिले में एक बड़ी सेवा की, यहां के लिए काफी कुछ किया है। ऐसे में नकुलनाथ का जीतना तय है। गुर्वे कहते हैं कि मीडिया भाजपा प्रत्याशी को बहुत बढ़ाचढ़ा कर दिखा रही है। गुर्वे कहते हैं कि भाजपा में बंटी साहू को लेकर गुटबाजी भी बहुत हो रही है। गुर्वे, रामाकोना के पूर्व सरपंच हैं और कांग्रेस से जुड़े रहे हैं। वे बताते हैं कि उनके 25-26 बूथ हैं और इनमें से केवल 4-5 बूथ पर ही कांग्रेस कमजोर है।

चंद्रशेखर गुर्वे, छिंदवाड़ा में कांग्रेस के ग्रामीण नेता

गुर्वे कहते हैं कि अगर कमलनाथ, भाजपा में जाने को लेकर पहली बार में ही सीधे मना कर देते तो शायद कार्यकर्ताओं का मनोबल और उंचा होता लेकिन ऐसा नहीं हुआ और कार्यकर्ता उन्हें छोड़कर जाते रहे।  गुर्वे कहते हैं कि कमलनाथ को सभी छोड़कर चले गए उनमें वे भी थे जिन्हें कमलनाथ ने काफी सहयोग दिया था और वे चले गए। ऐसे में अब जनता के बीच कमलनाथ को एक भावनात्मक सहयोग भी मिल रहा है।

काश मोदी के साथ आ जाएं कमलनाथ…

छिंदवाड़ा लोकसभा में कमलनाथ की लोकप्रियता काफी अधिक है और लोग मानते हैं कि छिंदवाड़ा के लिए कमलनाथ ने पूरा किया है। सौंसर तहसील के ही उटेकाटा गांव के किसान विजय पातुरकर कहते हैं, विजय खुलकर कहते हैं कि वे एक हिन्दूवादी मानसिकता के नागरिक हैं और पीएम मोदी को बहुत पसंद करते हैं लेकिन उतने ही पसंद उन्हें कमलनाथ भी हैं। वे कहते हैं कि वे  किसी भी दल के सहयोगी नहीं है।

विजय पातुरकर, किसान

पातुरकर आगे बताते हैं कि कमलनाथ ने एक पिता की तरह छिंदवाड़ा के लिए काम किया है और इस दौरान न भाजपा और न कांग्रेस किसी से भी भेद नहीं रखा और भाजपाईयों के काम भी इसी तरह ही किए। पातुरकर कहते हैं कि जैसे देश के लिए मोदी की जरूरत है वैसे ही यहां के लिए कमलनाथ जैसे नेताओं की जरूरत है, वे चाहते हैं किल कमलनाथ भाजपा के साथ आ जाएं और नरेंद्र मोदी के लिए काम करें।

हालांकि छिंदवाड़ा के लोग कमलनाथ के द्वारा यहां कराए गए विकास को लेकर पूरी तरह संतुष्ट दिखाई देते हैं। जंगल के बीच गुजर रहे हाईवे से होकर जब कोई छिंदवाड़ा में पहली बार प्रवेश करता है तो यहां का नजारा उसे सोचने पर मजबूर कर देता है। छिंदवाड़ा का अपना एक औद्योगिक क्षेत्र है, शहर और गांवों में हर तरह की जरूरी सुविधाएं नजर आती हैं। लोगों के मुताबिक यहां सबकुछ है, यहां का बाजार आसपास के कई जिलों में रहने वाले लोगों के लिए खरीदी का अहम स्थान है। ऐसे में व्यापारिक तौर पर भी छिंदवाड़ा में हर तरह का कामकाज है। वहीं कानून व्यवस्था की स्थिति भी यहां अच्छी मानी जाती है। यहां नाथ परिवार की पर्याप्त लोकप्रियता है लेकिन भाजपा इसके बीच यहां एक तरह की एंटी इनकंबन्सी बना रही है। लोगों से बात करने पर यह कोशिश साफ नजर आती है और इसकी सफलता भी उतनी ही स्पष्ट दिखाई देती है।

 

 

 


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