कुछ महीने पहले हुए विधानसभा चुनावों के बाद अब लोकसभा चुनाव का माहौल ठंडा दिखाई दे रहा है। यहां बात धार महू लोकसभा क्षेत्र के महू इलाके की हो रही है। जहां भाजपा और कांग्रेस दोनों का खेमा कुछ उदासीन है। हालांकि इसमें कांग्रेस की हालत ज्यादा खराब नजर आती है। इस बार धार लोकसभा क्षेत्र से भाजपा की ओर से सावित्री ठाकुर और कांग्रेस की ओर से राधेश्याम मुवेल को टिकिट दिया है। सावित्री ठाकुर को 2014 में भी इसी क्षेत्र से जीतकर सांसद बन चुकी हैं वहीं मुवेल के लिए यह पहला मौका है। मुवेल ने इलाके में घूमना शुरू कर दिया है लेकिन कांग्रेस संगठन में बिखराव के चलते उनकी चिंता साफ नजर आ रही है।
पिछले दिनों लोकसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद से ही भाजपा के कार्यकर्ता मैदानी तैयारियों में जुट गए थे। इसके बाद धार जिले में रहने वाली सावित्री ठाकुर के नाम की घोषणा हुई। जिसके बाद तैयारियों ने और भी ज़ोर पकड़ लिया। फिलहाल भाजपा के कार्यालयों में हल्की फुल्की सक्रियता नजर आ रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि इंदौर जिले का यह इलाका अब भाजपा का गढ़ बन चुका है। ऐसे में यहां भाजपा को अपनी जीत का पूरा भरोसा है।
वहीं कांग्रेस यहां खासी परेशान नजर आती है। इसकी वजह उनके पास किसी बड़े स्थानीय नेता का न होना है। दरअसल विधानसभा चुनाव से पहले तक कांग्रेस के नेता रहे अंतर सिंह दरबार ने टिकिट न मिलने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ा और हार मिलने के बाद अब वे भाजपा में आ चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस में नेता फिलहाल नहीं हैं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से जितने दावेदार थे लोकसभा में ये बिल्कुल भी सक्रिय नजर नहीं आ रहे हैं।
भाजपा से आकर कांग्रेस की ओर से टिकिट पाने वाले रामकिशोर शुक्ला अब वापसी की कोशिशें कर रहे हैं। ऐसे में भाजपा का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस के पास कोई नेता नहीं है। यहां कांग्रेस की स्थिति इसी बात से स्पष्ट होती है कि बाज़ार के एक व्यस्ततम इलाके में कांग्रेस पार्टी के कार्यालय में कई दिनों ताला लगा हुआ है। यहां के लोगों के लिए यह बात आम है लेकिन चुनाव के समय उन्हें भी कांग्रेसियों से कुछ हिम्मत दिखाने की उम्मीद थी जो कि फिलहाल तो नजर नहीं आ रही है।
कांग्रेसी नेताओं की नाराजगी संगठन से है। वे कहते हैं कि संगठन ने इस इलाके में कभी ध्यान नहीं दिया यही वजह रही कि अंतर सिंह दरबार ने किसी दूसरे कांग्रेसी नेता को यहां पनपने नहीं दिया। ऐसे में कांग्रेस को अब इस परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस के नेता रहे अंतर सिंह दरबार को अब भाजपा ने कांग्रेस के पुराने वोटबैंक में सेंध लगाने की जिम्मेदारी दी है।
दरबार की आदिवासी और ग्रामीण इलाकों में अच्छी पैठ है। हालांकि इस बीच कांग्रेसी नेताओं की हल्की-फुल्की कोशिशें जारी हैं। हालही में विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण इलाके मानपुर में कांग्रेस ने एक बड़ा सम्मेलन कर माहौल बनाने की कोशिश की।
हालांकि इसके इतर कांग्रेस के कई नेताओं ने खुद को केवल चुनावी कवायद की औपचारिकता निभाने तक ही सीमित रखा है यही कारण है कि कांग्रेस प्रत्याशी राधेश्याम मुवेल को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
वोटरों में भी चुनाव को लेकर उदासीनता दिखाई देती है। हालांकि इससे पहले विधानसभा चुनाव में ऐसा नहीं था। सिमरोल क्षेत्र के कैलाश यादव नाम के एक ग्रामीण बताते हैं कि तब उन्हें भरोसा था कि इस बार कांग्रेस भाजपा को कड़ी टक्कर देगी क्योंकि कई मुद्दों पर भाजपा पिछड़ी हुई थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वे कहते हैं कि चुनाव परिणाम देखकर वे खुद चौंक गए थे। ऐसे में उन्हें इस बार खास उम्मीद नहीं बची है।
दूसरी एक अहम वजह इस लोकसभा क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति भी है। दरअसल धार एक आदिवासी जिला है जिसमें इंदौर की एक विधानसभा महू को शामिल करके लोकसभा क्षेत्र बनाया गया है। ऐसे में यहां के लोगों के लिए लोकसभा चुनावों में बहुत उत्साह नहीं होता है।
मतदाताओं के मुताबिक एक बार सावित्री ठाकुर तथा एक बार भाजपा के छतर सिंह दरबार सांसद रह चुके हैं लेकिन दोनों ही ने ही महू की काफी उपेक्षा की है स्थिति यह है कि उन्हें न तो महू की भौगोलिक स्थिति के बारे में पूरी जानकारी है और ना ही समस्याओं को लेकर कुछ पता है।
भाजपा के नेता व कार्यकर्ता अपने प्रत्याशी सावित्री ठाकुर के लिए जमीनी स्तर पर काम करने लग गए हैं कांग्रेस की वर्तमान स्थिति को देखकर उनकी जीत की संभावनाएं काफी बढ़ती नजर आ रही हैं। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी राधेश्याम मुवेल महू तहसील के लिए एक अनजान चेहरा है लेकिन अपने नाम की घोषणा होने के बाद मुवेल महू के नेताओं से संपर्क कर रहे हैं लेकिन उन्हें कोई उत्साह नजर नहीं आ रहा है।
अभी तक महू तहसील में कांग्रेसियों के तीन सम्मेलन हो चुके हैं लेकिन यह तीनों सम्मेलन ग्रामीण क्षेत्र के कट्टर कांग्रेसी नेताओं ने अपने स्तर और खर्च पर किए हैं। वहीं विधानसभा चुनाव में जितने युवा दावेदार मैदान में थे उन सभी ने अपने आप को अभी तक दूर ही रखा है, कुछ नेता इन सम्मेलन में जा तो रहे हैं लेकिन सिर्फ भाषण देने व फोटो खिंचवाने तक सीमित है।
कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं की शिकायत है कि कई नेता जो विधानसभा चुनाव में खुद को टिकिट मिलने पर चार से पांच करोड़ रुपए खर्च करने को तैयार थे अब छोटा-मोटा खर्च भी नहीं क रहे हैं।
4 साल से नगर अध्यक्ष ही नहींः कांग्रेस की स्थिति के अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महू शहर में पिछले 4 सालों से कांग्रेस का शहर अध्यक्ष ही नहीं हैं, पिछले अध्यक्ष महेश जायसवाल ने अपने पद से इस्तीफा दिया था उसके बाद चार कार्यवाहक अध्यक्ष जरूर बनाए गए थे लेकिन एक पूर्ण कालिक अध्यक्ष आज तक नहीं बनाया गया। यही कारण है कि विधानसभा चुनाव भी बिना शहर अध्यक्ष के ही लड़ा गया।
मुवेल को भी उम्मीद नहींः विगत तीन सम्मेलनों की स्थिति को देखकर यही लगता है कि लोकसभा में कांग्रेस प्रत्याशी राधेश्याम मुवेल को महू तहसील के कार्यकर्ताओं व मतदाताओं से कोई ज्यादा उम्मीद नहीं है। कुछ कट्टर व पुराने कांग्रेसी जरूर हैं जो अपनी ओर से कांग्रेस के लिए प्रयास कर रहे हैं लेकिन वह कितना सफल होंगे यह कहना फिलहाल मुश्किल है।