रायपुर। छत्तीसगढ़ के करीब दस हजार वन कर्मचारी अपनी 12 सूत्री मांगों को लेकर बीते तीन दिनों से हड़ताल पर हैं और प्रदेशव्यापी प्रदर्शन कर रहे हैं।
दूसरी ओर गर्मी बढ़ने की वजह से जंगल में आग लगने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जिन्हें बुझाने वाला और जंगल की सुरक्षा करने वाला कोई नहीं है।
वन कर्मचारियों की हड़ताल से वनों की सुरक्षा दांव पर लग गई है और इसकी जिम्मेदारी ग्रामीणों को ही उठानी पड़ रही है। इससे जंगल का नुकसान तो हो ही रहा है, वन्यजीवों के जीवन को भी खतरा पैदा हो गया है।
बुधवार को अंबिकापुर के पास मड़वा के जंगलों में आग लग गई। ग्रामीण ही इसे बुझाने में लगे रहे। मंगलवार को कोरिया जिले के दो वनमंडलों में आग लग गई थी। इसी दिन धमतरी के वनक्षेत्रों में भी आग लगी।
दूसरी ओर हड़ताल पर होने के कारण वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों घटनास्थल तक भी नहीं पहुंच रहे हैं और जंगलों की निगरानी नहीं होने से अवैध कटाई की आशंका भी बढ़ गई है।
इस संबंध में पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी ने जानकारी दी है कि हड़ताली वन कर्मचारियों से चर्चा हुई है, लेकिन फिलहाल कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकल पाया है। गुरुवार को फिर से चर्चा के लिए बुलाया गया है और कोई न कोई समाधान निकल जाने का पूरा भरोसा है।
वन कर्मचारियों की प्रमुख मांगें
- पदनाम के साथ ही वन रक्षक का वेतनमान वर्ष 2003 से 3,050 रुपये किया जाए।
- वनरक्षक, वनपाल का वेतनमान मांग अनुसार किया जाए।
- पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए।
- छत्तीसगढ़ राज्य गठन के पश्चात नया सेटअप पुनरीक्षण किया जाए।
- महाराष्ट्र सरकार की तरह 5,000 रुपये वेतन, पौष्टिक आहार और वर्दी भत्ता दिया जाए।
- वनपाल प्रशिक्षण अवधि 45 दिन किया जाए।
- वनपाल प्रशिक्षण केंद्र कोनी (बिलासपुर) प्रारंभ किया जाए।
- दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को नियमित किया जाए।
छत्तीसगढ़ वन कर्मचारी संघ के बैनर तले प्रदेशभर के करीब 10 हजार कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर पिछले तीन दिनों से हड़ताल पर हैं। कर्मचारियों की मांग जब तक पूरी नहीं होगी, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। – पवन पिल्लई, मीडिया प्रभारी, छत्तीसगढ़ वन कर्मचारी संघ