रायपुर। केंद्र की मोदी सरकार और उनके साथ अदाणी और अंबानी जैसे उद्योगपतियों के खिलाफ़ खुलकर बयान देने वाली कांग्रेस के सामने एक विकट स्थिति आ गई है। छत्तीसगढ़ सरकार ने हसदेव अरुण क्षेत्र में अदाणी समूह की कंपनी को कोयला खनन की अनुमति दे दी है। इसके बाद सरकार के खिलाफ आदिवासियों में जमकर नाराजगी दिखाई दे रही है।
इस मामले में प्रतिरोध बीते एक दशक से चला आ रहा है लेकिन अब अनुमति कांग्रेस सरकार के समय में ही दी गई है। इसे लेकर 4 मई यानी आज एक देशव्यापी आंदोलन किया जा रहा है। इसके तहत रायपुर में कई प्रदर्शन होंगे और इसके साथ ही दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय के सामने भी प्रदर्शन किए जा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य के समृद्ध जंगलों को बचाने के लिए आज पूरे देश में पर्यावरण और आदिवासी अधिकारों के लिए संवेदनशील नागरिक प्रदर्शन कर रहे हैं।
— Alok Shukla (@alokshuklacg) May 4, 2022
एकजुटता प्रदर्शित करने वाली ये तस्वीरें नागपुर की हैं। सभी साथियों को सलाम!#SaveHasdeoForest #IndiawithHasdeo @RahulGandhi pic.twitter.com/kIPUPSPuqu
इस बाबत हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि
विस्थापन और वनों की कटाई के खिलाफ एक दशक से चले आ रहे प्रतिरोध के बावजूद कांग्रेस नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार ने छह अप्रैल को हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई और खनन की अंतिम मंजूरी दे दी।
वनों की कटाई के खिलाफ संघर्ष कर रहे आदिवासियों पर अडानी समूह के कर्मचारी अनुपम दत्ता की शिकायत पर 15 अप्रैल को मुकदमा दर्ज किया गया।
समिति ने इसे लेकर देशभर के पर्यावरण कार्यकर्ताओं से सहयोग मांगा है और हसदेव अरण्य को बचाने की अपील की है।
समिति ने तय किया है कि जमीन के साथ-साथ यह आंदोलन सोशल मीडिया पर भी लड़ा जाएगा।
इसके तहत छत्तीसगढ़ सरकार और कांग्रेस नेताओं से जवाब मांगा जाएगा कि अडानी समूह और अपने फायदे के लिए वे हजारों पेड़ों की कुर्बानी देने के लिए कैसे तैयार हो गए। संघर्ष समिति के लोगों ने आम लोगों से भी इस सांकेतिक विरोध प्रदर्शन में अपना समर्थन देने की अपील की है।
छत्तीसगढ़ में जारी यह स्थिति कांग्रेस पार्टी के लिए परेशानी का सबब साबित हो सकती है क्योंकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी पिछले कई वर्षों से मोदी सरकार और अडानी और अंबानी जैसे उद्योगपतियों की दोस्ती पर सवाल उठाते रहे हैं और अब उनकी सरकार के खुद के मुख्यमंत्री भी इसी तर्ज पर सरकार चला रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मैं भी अदानी समूह की एक कंपनी को दिसंबर 2021 में सोलह सौ हेक्टेयर जमीन दी थी। यहां बनने वाले सोलर पार्क में अडानी समूह और राजस्थान सरकार एक ज्वाइंट वेंचर के तहत काम कर रहे हैं।
बताया जाता है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अडानी समूह को यह अनुमति देने के लिए राजी किया है। पिछले दिनों गहलोत और बघेल एक दूसरे से मिलते जुलते रहे हैं और दोनों ने एक दूसरे राज्यों में दौरा भी किया है।
उल्लेखनीय है कि खुद भूपेश बघेल भी सत्ता में आने से पहले अडानी समूह से होने वाले इस एमडीओ कहे जाने वाले अनुबंध यानी इंडिया ने माइंस डेवलपर कम ऑपरेटर का विरोध करते रहे हैं। जिस कंपनी को यह काम मिला है उसका राजस्थान सरकार और अडानी समूह के संयुक्त उपक्रम राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड को चार कोल ब्लॉक आवंटित किए हैं।
इस कोल ब्लॉक के आवंटन से हजारों आदिवासी विस्थापित होंगे और बड़ी संख्या में वनस्पति और वन्य जीवन का नुकसान होगा। ऐसे में आदिवासी इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं लेकिन फिलहाल छत्तीसगढ़ सरकार उनकी बात सुनती नजर नहीं आ रही है। आदिवासी बीते 2 महीनों से आंदोलन कर रहे हैं और राज्य सरकार तथा पर्यावरण बचाने वाली संस्थाओं का ध्यान खींचने के लिए कई पद यात्राएं कर चुके हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार पर आरोप है कि 6 अप्रैल को परसा पोल ब्लॉक में दी गई वन स्वीकृति वैधानिक तरीके से जारी नहीं गई। इसी खुशी में ग्राम सभा की अनुमति लेनी जरूरी थी हालांकि सरकार के मुताबिक उन्होंने अनुमति ली लेकिन ग्रामीणों के मुताबिक उनसे इस बारे में कोई राय नहीं ली गई।