रायपुर। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में दो दिवसीय राष्ट्रीय महिला आयोग एवं अन्य राज्यों के महिला आयोग के बीच इंटरेक्टिव बैठक हुई जिसमें पहले दिन दूसरे सत्र में घरेलू हिंसा में महिलाओं की सहायता, कानून में संशोधन और पुनर्वास विषय पर छत्तीसगढ़ में किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी गई।
इस दौरान जानकारी दी गई कि छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग द्वारा निरंतर न्यायालयीन जनसुनवाई किए जाने के साथ ही महिलाओं की प्रताड़ना के विषय मे त्वरित कार्रवाई की जा रही है।
इतना ही नहीं राज्य महिला आयोग द्वारा पीड़ित महिलाओं के रहवास और पुनर्वास के संबंध में भी त्वरित कार्रवाई किया जाता है। सभी राज्य के महिला आयोगों ने छत्तीसगढ़ में किए जा रहे कार्यों की सराहना की।
दूसरे दिन के सत्र में 6 राज्यों के आयोग अध्यक्षों के द्वारा पीड़ित महिलाओं के पुनर्वास और सहायता विषय पर अपने-अपने राज्यों में किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी गई। इसके साथ ही आने वाली समस्याओं पर भी चर्चा किया गया। इस पूरे सत्र का संचालन त्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने किया।
इसी सत्र में अन्य विषय ‘राजनीति में आने वाली महिलाओं के ऊपर समस्या और उसमें किए जा रहे कार्यों पर आयोग के विचार’ मुद्दे पर चर्चा के बाद यह निर्णय आया कि महिलाओं को सशक्त करने के लिए विधानसभा और संसद में 33 फीसदी आरक्षण अनिवार्य करने के लिए केंद्रीय स्तर पर प्रस्ताव बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए।
पैनल डिस्कशन में छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. नायक ने अपने विचार रखे जिसमें राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष, प्रधानमंत्री, लोकसभा तथा राज्यसभा के स्पीकर को एक पत्र भेजे जाने की समस्त महिला आयोग ने मांग रखी।
सभी महिला आयोग की यह मांग है कि पूरे भारत मे संसद और प्रत्येक राज्य के विधानसभा में 33 फीसदी महिला आरक्षण का बिल बीते आठ सालों से लंबित है, उसे तत्काल पास कर लागू कराया जाना चाहिए।