रायपुर। छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य स्थित परसा कोल ब्लॉक पर राज्य की भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए केंद्र से खदान के लिए दी गई वन स्वीकृति रद्द करने की मांग की है।
हसदेव अरण्य में स्थानीय नागरिकों व विभिन्न पर्यावरण प्रेमियों द्वारा लंबे समय से किए जा रहे विरोध प्रदर्शन को देखते हुए बघेल सरकार ने केंद्र में पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार से खदान के लिए दी गई वन स्वीकृति को रद्द कराने की मांग की है।
छत्तीसगढ़ सरकार में वन विभाग के अवर सचिव केपी राजपूत ने सोमवार को केंद्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में वन महानिरीक्षक को पत्र लिखकर खदान के लिए दी गई वन भूमि के डायवर्शन की अनुमति को निरस्त करने का आग्रह किया है।
केंद्र को लिखी गई चिट्ठी में कहा गया है कि हसदेव अरण्य कोल फील्ड में व्यापक जनविरोध के कारण कानून व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति पैदा हो गई है।
ऐसे में जनविरोध, कानून व्यवस्था और व्यापक लोकहित को ध्यान में रखते हुए 841 हेक्टेयर की परसा खुली खदान परियोजना के लिए जारी वन भूमि डायवर्शन स्वीकृति को निरस्त करने का कष्ट करें।
बता दें कि इससे पहले सरकार ने विधानसभा में आए एक अशासकीय संकल्प का समर्थन किया था जिसमें केंद्र सरकार से हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खदान परियोजनाओं का आवंटन निरस्त करने की बात कही गई थी।
भूपेश बघेल के नेतृत्व वाले कांग्रेस सरकार के इस निर्णय का विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों ने स्वागत किया है। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन से जुड़े समाजसेवी आलोक शुक्ला ने कहा कि
इसे संघर्ष की जीत की दिशा में इसे देखना चाहिए, लेकिन हसदेव को बचाने के लिए यह कम है। परसा कोल ब्लॉक की वन स्वीकृति ग्रामसभा के फर्जी प्रस्ताव के आधार पर हासिल की गई थी। यदि केंद्र सरकार कार्रवाई नहीं करती है तो राज्य सरकार तत्काल वन स्वीकृति को निरस्त करे। जब तक हसदेव की खनन परियोजनाएं रद्द नहीं होती आंदोलन जारी रहेगा।