छत्तीसगढ़ः बच्चों के मध्याह्न भोजन की जानकारी अब ऑनलाइन दर्ज करेगी सरकार, भ्रष्टाचार और लापरवाही रोकने की कवायद


योजना के तहत प्रदेश के सरकारी, अनुदान प्राप्त और निजी स्कूलों में पहली से आठवीं तक के 30 लाख बच्चों को पका हुआ गरम पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाता है।


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छत्तीसगढ़ Updated On :

रायपुर। स्कूली बच्चों को दिये जाने वाले दिन के भोजन में अब गड़बड़ी करना ज़िम्मेदारों को मुसीबत में डाल सकता है। छत्तीसगढ़ सरकार ने इसकी ऑनलाइन मॉनिटरिंग शुरु की है। जिसके बाद  अगर बच्चों को तय मेन्यु से अलग भोजन मिलता है तो इस मामले में ऑनलाइन शिकायत की जा सकेगी। इससे यह भी जानकारी रियल टाइम में मिलेगी कि कितने बच्चों को भोजन दिया जा रहा है। कोरोना काल के दौरान दो साल तक मध्याह्न भोजन की सुविधा बंद थी और अब  इसे दोबारा शुरु किया जा रहा है। ऐसे में बच्चों के भोजन का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार के मुताबिक स्कूलों में बच्चों को दी जाने वाली यह सुविधा बेहद बुनियादी स्तर की व्यवस्था है और इसमें भ्रष्टाचार को रोकने और पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए यह कदम उठाए ज रहे हैं।

इस व्यवस्था के लागू होने के बाद स्कूलों में मध्या भोजन से जुड़ी सभी जानकारियां पूरी तरह स्पष्ट होंगी। अगर किसी स्कूल में एक दिन यह भोजन किसी वजह से नहीं बन पाता है तो ज़िम्मेदार कर्मचारी को इसका पूरा ब्यौरा भी ऑनलाइन ही देना होगा। इस विषय पर सरकार ने गंभीरता से कदम उठाना शुरु कर दिये हैं। इसके तहत लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक सुनील कुमार जैन ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (डीईओ) को पत्र लिखकर मोबाइल पर मध्या- भोजन की जानकारी देना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

यही नहीं अधिकारियों के औचक निरीक्षण से ऑनलाइन भरी गई जानकारी का भौतिक सत्यापन भी किया जा सकेगा। गौरतलब है कि योजना के तहत प्रदेश के सरकारी, अनुदान प्राप्त और निजी स्कूलों में पहली से आठवीं तक के 30 लाख बच्चों को पका हुआ गरम पौष्टिक भोजन दिया जाता है। इसके कारण पिछले सालों में स्कूलों में बच्चों द्वारा स्कूल छोड़ने की दर में कमी आई है। इसके साथ ही इस योजना के बेहतर क्रियान्वयन के बाद कुपोषण के आंकड़ों में भी सुधार हुआ है। छत्तीसगढ़ प्रदेश के 146 विकासखंडों में 31 हजार 587 प्राइमरी और 13 हजार 711 मिडिल स्कूलों के बच्चों को लाभ मिलता है।

 


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