संदीप नाईक इन दिनों देवास में रहते हैं। अंग्रेजी साहित्य में शोध और समाज सेवा एवं ग्रामीण विकास में टाटा सामजिक संस्थान, मुम्बई से शिक्षित हैं। अनेक वर्षों तक पठन पाठन, स्वैच्छिक संस्थाओं और राज्य योजना आयोग में काम करने के बाद इन दिनों फ्रीलांस करते हैं। साहित्य में रूचि है। 40 के करीब कहानियां प्रकाशित हैं। डेढ़ सौ कवितायें। नर्मदा किनारे से बेचैनी की कथाएं पर हिंदी का प्रतिष्ठित वागीश्वरी पुरस्कार एवं सम सामयिक लेखन के लिए देश का सीताकांत शास्त्री पुरस्कार से सम्मानित हैं। उनसे naiksandi@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।